एएमयू कश्मीरी छात्रों पर राजनीति तेज़, गवर्नर ने की गृहमंत्री औऱ वाइस चांसलर से बात
   16-अक्तूबर-2018

 
 
 
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 3 छात्रों पर देशद्रोह का मुकदमें को लेकर देशभर में राजनीति उफान पर है। एक तरफ कश्मीर घाटी में उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती कश्मीरी छात्रों की रहनुमाई को लेकर आपस में भिड़े हुआ हैं।
 
एएमयू कैंपस में छात्रों का फिर प्रदर्शन
 
 
 
तो एएमयू कैंपस में मंगलवार को एक बार फिर कश्मीरी छात्रों के समर्थन में प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने प्रशासन को धमकी दी है कि अगर उन तीन कश्मीरी छात्रों के देशद्रोह आरोपों को वापस नहीं लिया गया तो 1200 से अधिक कश्मीरी छात्र यूनिवर्सिटी छोड़ देंगे.
 
 

 
 
इससे पहले सोमवार को प्रदर्शनकारियों ने सर सैयद गेट से कुलपति के कार्यालय तक पदयात्रा की. उसके बाद पांच छात्रों के समूह ने एएमयू के रजिस्ट्रार से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में कश्मीरी छात्रों ने आरोप लगाया कि वे लगातार डर के माहौल में जी रहे हैं.लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन पहले ही छात्रों को आश्वासन दे चुका है कि किसी भी बेकसूर छात्र पर कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी।
 
 
अब्दुल्ला औऱ महबूबा का ट्विटर वॉर 
 
उधर कश्मीर घाटी में इस मुद्दे को लेकर राजनीति ज़ोरों पर है। पहले महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर मन्नान वानी को एक पीड़ित के तौर पर पेश किया। 
 
 
 
इस पर नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर महबूबा मुफ्ती पर हमला कर आतंकवादी मन्नान वानी की मौत का ज़िम्मेदार ठहरा दिय़ा।
 
 
 
 
 
साफ है दोनों ही पार्टियां स्थानीय निकाय चुनाव बहिष्कार के बाद कश्मीर घाटी में अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने लगी हैं। क्योकिं चार चरणों में हुए मतदान में इक्का-दुक्का ज़िलों को छोड़कर तमाम कश्मीरियों ने दोनों पार्टियों के बहिष्कार को सिरे से नकार चुके हैं। अब मन्नान वानी के मुद्दे पर भड़काकर दोनों पार्टियां अपना रसूख बचाने में लगी हैं।
 
 
 
जेके गवर्नर की अपील
 

 
 
 
इस मुद्दे पर हो रही राजनीति को देखते हुए जम्मू कश्मीर के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने गृह मंत्री और एएमयू के वाइस चांसलर से फोन पर बात की। गवर्नर ने केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मामले में दखल देने और मामले को जल्द सुलझाने  के लिए अपील की, कि एएमयू में कश्मीरी छात्रों के मुद्दे को जल्द सुलझाया जाये। साथ ही कैंपस में कश्मीरी छात्रों के लिए उपयुक्त माहौल बनाये जाये ताकि कश्मीरी छात्रों की पढ़ाई पर कोई असर ना पड़े।