तो क्या जम्मू कश्मीर गवर्नर के दबाव में एएमयू ने 2 कश्मीरी छात्रों का निलंबन वापस लिया ?
   17-अक्तूबर-2018

 
 
मंगलवार देर शाम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने 2 कश्मीरी छात्रों का निलंबन वापस ले लिया। जिनको कैंपस में आतंकवादी मन्नान वानी का नमाज-ए-जनाजा पढ़ने और देशविरोध नारेबाज़ी करने के आरोप में निलंबित किया गया था। दरअसल निलंबन के बाद करीब 12 सौ छात्रों ने निलंबन वापस ने लिये जाने की सूरत में यूनिवर्सिटी छोड़ने की धमकी भी दी थी। ऐसे में एएमयू प्रशासन द्वारा निलंबन वापसी के फैसले पर देशभर में विरोध के स्वर उठे कि आखिर देशविरोधी तत्वों के सामने एएमयू प्रशासन ने घुटने क्यों टेके।
 
  
 
लेकिन पुष्ट खबरों के मुताबिक कश्मीरी छात्रों का निलंबन वापस लेने का दबाव किसी और ने नहीं खुद जम्मू कश्मीर के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने डाला। नीचे दिय़े गये वीडियो पर क्लिक कर सुनिये जिसमें गवर्नर सत्यपाल मलिक खुद एक कार्यक्रम में कश्मीरी नौजवानों को आश्वासन दे रहे हैं कि उन्होंने बात कर ली है औऱ कश्मीरी छात्रों के ऊपर चार्जेंज़ कल तक यानि बुधवार तक हट जायेंगे।
 
 
 
 
इसके लिए सत्यपाल मलिक ने मंगलवार को ना सिर्फ केंद्रीय एचआरडी मिनिस्टर प्रकाश जावड़ेकर से बात कर दखल देने की बात कही, बल्कि एएमयू के वाइस चांसलर से भी बात कर मामले को जल्द सुलझाने को कहा।
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जाहिर है कैंपस में कश्मीरी छात्रों और जम्मू कश्मीर के गवर्नर सत्यपाल मलिक के चलते एएमयू प्रशासन ने मंगलवार को ही ये कहते हुए निलंबन वापस ले लिया कि जांच के लिए गठित यूनिवर्सिटी की कमेटी ने रिपोर्ट दी है। जिसके मुताबिक किसी सीसीटीवी कैमरे या अन्य तथ्य़ों से ये बात साबित नहीं हुई कि आरोपी छात्र किसी देशविरोध कार्यक्रम में शामिल थे।
  
सवाल ये उठता है कि जम्मू कश्मीर के गवर्नर या फिर एएमयू प्रशासन को ऐसे देशद्रोही तत्वों के सामने झुकने की क्या जरूरत थी। उस घटना के कई वीडियो ये साबित करते हैं कि कैंपस में ना सिर्फ आतंकवादी के पक्ष में नारेबाज़ी हुई, बल्कि आतंकवादी का नमाज़-ए-जनाजा भी पढ़ा गया था। नीचे दिए गये वीडियो पर क्लिक करें।
 
 
 
 
ऐसे में एक बात तो साफ है कि अगर इसी तरह देश विरोधी तत्वों को खुली छूट देकर उनके हौसलें बढाये जाते रहे तो तय है कि समस्या सुलझने के बजाय विकराल होती जायेगी।