आतंकवाद पर ट्रंप ने पाकिस्तान को लताड़ा, इमरान खान ने किया एक औऱ ट्विटर डिप्लोमसी ब्लंडर
   19-नवंबर-2018

 
 
 
अमेरिका ने पाकिस्तान को डॉलर देने इंकार किया तो इमरान खान ने अमेरिका के खिलाफ आग उगलना शुरू कर दिया है। पिछले 70 सालों तक अमेरिका की कठपुतली बने रहे पाकिस्तान इतिहास में पहली बार इस तरह अमेरिका के खिलाफ खुलकर सामने आया है। दरअसल संडे को अमेरिकी फॉक्स न्यूज को दिये इंटरव्यू में प्रेज़िडेंट ट्रंप ने पाकिस्तान की तालिबान की खिलाफ झूठी लड़ाई को एक्पोज़ कर दिया था। इंटरव्यू के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि- ‘’पाकिस्तान को पता था कि ओसामा पाकिस्तान में है, लेकिन उन्होनें नहीं बताया। लेकिन इसके बावजूद भी अमेरिका पाकिस्तान को हर साल 1.3 बिलियन डॉलर दे रहा था, मैंने उसे रोका, क्योंकि पाकिस्तान ने तालिबान के खिलाफ हमारे लिए कुछ नहीं किया, वो हमारे लिए कुछ भी नहीं करते हैं। ‘’
 
 
 
 
ट्रंप के इस बयान पर पाकिस्तान में जबरदस्त राजनीतिक भूचाल आ गया। इसके जवाब में पीएम इमरान खान ने अपने ट्विटर अकाउंट के जरिये 3 ट्वीट कर जवाब दिया। इमरान खान ने कहा कि ‘’अफगानिस्तान मे पाकिस्तान ने 75 हजार गंवाये और उनकी इकॉनोमी को 123 बिलियन डॉलर का नुक्सान हुआ, जबकि इन सालों के दौरान अमेरिका ने सिर्फ 20 बिलियन डॉलर की सहायता दी।‘’
 
 



अपने तीसरे ट्वीट में इमरान खान ने अमेरिका की अफगान नीति पर सीधे सवाल उठाते हुए कहा कि ''14 हज़ार नाटो के जवान और ढ़ाई लाख अफगानी सुरक्षा कर्मियों के बावजूद अमेरिका क्यों फेल रहा। अमेरिका 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च कर चुका है, जबकि तालिबान औऱ मजबूत हो चुका है।''
 
 
 
 
इमरान की ट्विटर डिप्लोमसी पर सवाल
अंतरराष्ट्रीय संबंध और कूटनीति के जानकार मानते हैं कि इमरान खान की ये ट्विटर डिप्लोमेसी बैकफायर कर सकती है। क्योंकि ऐसे मुद्दों पर सरकारों को कूटनीति के Proper Channels के जरिये ही बयान देना माकूल माना जाता है। लेकिन साफ जाहिर है कि इमरान खान ने ट्विटर के जरिये जवाब देकर पाकिस्तान की जनता को साधने की कोशिश की है, लेकिन कूटनीति के स्तर पर पाकिस्तान को भारी नुक्सान झेलना पड़ सकता है।
 
इमरान खान इससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री के ऊपर डिप्लोमेटिक ट्वीट कर पहले ही किरकिरी करा चुके हैं।
 
चीन है पाकिस्तान का नया मास्टर
 
दरअसल कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तान चीन मास्टर मानते हुए खुद को सरेंडर कर चुका है। ऐसे में चीन की शह पर अमेरिका के खिलाफ ये बयानबाज़ी चौंकाऊं नहीं लगती। पाकिस्तान को पता है कि अमेरिका से अब आंतकवाद के नाम पर कोई फायदा नहीं होने वाला। इसीलिए सीधे सीधे पाला बदलकर चीन की झोली में बैठना ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है।
 
इमरान को इसका दूसरा फायदा देश के अंदर चल रहे मुल्लाओं के बवाल को भी शांत करने में मिलेगा। पाकिस्तान में तालिबानी मुल्ला सरकार पर अमेरिका से हटने के दबाव बनाते रहे हैं।