जम्मूू-कश्मीर के शहीदों की दास्तान: अब्दुल राशिद पीर

    25-सितंबर-2018
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जम्मू कश्मीर हमारे देश की वो पावन भूमि है जिसे हमारे देश के वीरों ने अपने खून से सींचा है और इसी मिट्टी में एक ऐसा हीरो पैदा हुआ जिसके खौफ से आतंकी कांपते थे।हम बात कर रहे हैं जम्मू कश्मीर पुलिस के जांबाज ऑफिसर ए एस आई अब्दुल राशिद पीर की। अब्दुल राशिद मूलतः अनंतनाग जिले के रहने वाले थे और उनकी पोस्टिंग अनंतनाग के सदर पुलिस थाने में थी। राशिद घाटी में फैले अलगाववाद के रास्ते पर चलने के बजाय देश भक्ति का रास्ता चुना और जम्मू कश्मीर पुलिस में भर्ती हुए।
 
वो जम्मू कश्मीर पुलिस के एक बहादुर अफसर थे जिन्होने सेना के साथ मिलकर कई सफल आतंकी ऑपरेशन को अंजाम दिया था। जिसका बदला लेने के लिए आतंकियों ने 28 अगस्त 2017 को दोपहर 12.30 बजे डयूटी पर तैनात राशिद को गोली मार दी।

 
 
हमले के वक्त राशिद अनंतनाग के लाल चौक के निकट यातायात को नियंत्रित कर रहे थे और उस वक्त उनके पास कोई हथियार नहीं था। तभी कुछ हथिया बंद आतंकियों ने उन पर हमला कर दिया जिसमें वो बुरी तरह से घायल हो गये। घायल अवस्था में ही उन्हें पास के अस्पताल में ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गयी। अब्दुल राशिद तो इस दुनिया से चले गए मगर उनके पीछे रह गयी पत्नी और बच्चे।

 
राशिद के बेटे ने बताया की उनके पिता को बहुत जल्दी प्रमोशन मिलने वाला था जिसके लिए उन्हे ट्रेनिंग पर जाना था। राशिद के बच्चों का कहना है कि हमारे पिता बहुत ही बहादुर और देश भक्त सिपाही थे और हमें उनकी शहादत पर नाज़ है। राशिद की मौत की खबर जब आई तब उनकी 5 साल की बेटी स्कूल से घर लौटी ही थी। अपने पिता की मौत पर चीखती उनकी बेटी की तस्वीर किसी भी इंसान का दिल पिघला सकती है।
 

 
राशिद भले ही इस दुनिया से चले गए पर उनके दोनों बेटेअपने पिता के कदमों पर चलते हुए स्पेशॅल पुलिस ऑफिसर के लिए भर्ती हुए हैं और ये इस बात का सबूत है कि राशिद और उनका ये देश भक्त परिवार आतंकियों द्वारा घाटी में फैलाए जा रहे आतंक से नहीं डरता।