दुश्मनों से जीता पर कुदरत से हारा: हवलदार सेवांग नोरबू

    27-सितंबर-2018
Total Views |
 
 
 
हमारे देश के वीरों का पराक्रम केवल युद्ध के मैदान में ही नहीं दिखता बल्कि शांति काल में भी इनका योगदान रहता है और आज हम एक ऐसे ही शहीद को याद करेंगे जिन्होंने अपनी जान देश पर कुरबान कर दी।
 
जम्मू कश्मीर के लेह जिले में पैदा हुए हवलदार सेवांग नोरबू अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद भारतीय सेना के लद्दाख स्काउट में भर्ती हो गए। सेवांग भारतीय सेना के एक बहुत ही अच्छे पर्वतारोही थे। वो सेना द्वारा किये गए बहुत से कठिन रेस्क्यू ऑपरेशन का हिस्सा रहे। 2016 में सेवांग नोरबो की बटालियन को सियाचिन में तैनात किया गया था।
 
हमारे देश के ये जाबाज सैनिक दुनिया की सबसे ऊँची और दुर्गम लड़ाई के मैदान सियाचिन में हमेशा ड़टे रहते हैं। सियाचिन हिमालय के पूर्वी काराकोरम पर्वत पर भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित है। जिसे दुनिया का सबसे दुर्गम यूद्ध का मैदान कहा जाता है सियाचिन की खून जमा देने वाली ठंड में भी यहां हमारे सैनिक हमेंशा तैनात रहते हैं।
 

 
 
सेवांग की बटालियन तो सियाचिन में तैनात थी पर उन्हे और उनके कुछ साथियों को नुव्रा वैली में भेजा गया था। 3 जनवरी 2016 को सुबह के लगभग 8.30 बजे के आस पास हवलदार सेवांग और उनके दो साथियों को लास्कीन से गुलाब बेस की ओर जाने वाले रोड़ से बर्फ हटाने का काम दिया गया। सेवांग अपनी टीम के साथ अपने काम को कर ही रहे थे तभी ऊपर की पहाड़ी से बर्फ का एक बहुत कड़ा हिस्सा फिसल कर सेवांग और उनके दो साथियों पर आ गिरा जिससे वो बर्फ में पूरी तरह से दब गए। इस घटना के बाद रेसक्यू ऑपरेशन तुरंत शुरू किया गया पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। त्वांग और उनके साथियों की बर्फ में दबने से मौत हो गयी। सेवांग भले ही सीमा पर लड़ते हुए शहीद ना हुए हों पर उन्होने देश की सेवा में अपनी जान कुरबान कर दी।