फौजी जिसने अपनी मौत के बाद भी आतंकवादियों के गढ़ में लगवाये ‘भारत माता की जय‘ के नारे

    27-सितंबर-2018
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कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में पैदा हुआ एक ऐसा युवा जो आतंकी सोच के लोगों के बीच में रहते हुए भी एक सच्चा देशभक्त था

 
 
  
यू तो जम्मू कश्मीर की जमीन पर पैदा हुए वीरों की लिस्ट बहुत लम्बी है पर इन्हीं में से कुछ नाम एसे भी हैं जिन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इसी कड़ी में ये कहानी है जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा के रहने वाले मोहम्मद अशरफ मीर की जिसे हर भारतीय को जानना चाहिए।
 
अशरफ मीर भारतीय सेना के जैक लाई रेजिमेंट में जेसीओ के पद पर तैनात थे। जैकलाई भारतीय सेना का वो रेजिमेंट है जिसे 1947 में जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तानी हमले के वक्त गठित किया गया था। इस रेजिमेंट में तब से लेकर आज तक सिर्फ जम्मू कश्मीर के लोगों को ही भर्ती किया जाता है। अभी जैक लाई में 20 हजार जम्मू कश्मीर के युवा भर्ती हैं।
 
अशरफ मीर वो जांबाज सैनिक थे जिन्होंने अपने आखिरी दम तक देश के लिए अपना फर्ज निभाया। 11 फरवरी 2018 को जम्मू में सुंजवान आर्मी कैंप पर हुए आतंकवादी हमले में अशरफ मीर ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए कैंप में फंसे कई लोगों को सकुशल बाहर निकाला। दरअसल आतंकवादियों ने आर्मी कैंप में बने सेना के रिहायशी इलाके पर हमला किया था जिसमें फंसे महिलाओं और बच्चों को बचाते हुए उन्हें गोली लग गई।
 

 
 
बुरी तरह से जख्मी होने के बाद भी अशरफ उन आतंकियों से अंतिम सांस तक लड़ते रहे पर अफसोस की बात ये है कि इस ऑपरेशन में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए अशरफ शहीद हो गए। अशरफ जम्मू कश्मीर के उन युवाओं में से एक थे जिन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और अलगाववाद को बिल्कुल नकार दिया और देश की रक्षा के लिए भातीय सेना में भर्ती हुए।
 
अशरफ कुपवाड़ा के रहने वाले थे। वो अपने घर वालों के साथ साथ अपने गांव के लोगों के लिए कितने खास थे इस बात का अंदाजा उनकी शव यात्रा में हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़ से लगाया जा सकता है। अशरफ की शव यात्रा में उमड़ा जन सैलाब कश्मीर की असली हकीकत है जिसे पाकिस्तान देखना नहीं चाहता है। अशरफ की मौत ने कुपवाड़ा में रह रहे देश भक्त लोगों को झकझोर कर रख दिया और इसी का परिणाम था कि अशरफ की शव यात्रा में कश्मीर घाटी पाकिस्तान मुरदाबाद के नारों से गूंज उठी। अशरफ की शव यात्रा की ये तस्वीर उन लोगों की आंखें खोलने का काम करेगी जो ये कहते हैं कि कश्मीर में भारत समथर्क लोग रहते ही नहीं हैं। ऐसे लोगों को ये पता होना चाहिए की कश्मीर में सिर्फ अशरफ जैसे लोग रहते ही नही है बल्कि जरूरत पड़ने पर वो भारत की रक्षा के लिए अपनी जान भी दे देते हैं।