त्राल में सिख युवक की हत्या के बाद 35 सरपंचों ने दिया इस्तीफा, हिंदूओं के बाद घाटी में निशाने पर सिख
Jammu Kashmir Now Hindi   10-Jan-2019
 
90 के दशक में कश्मीर घाटी में हिंदूओं को घाटी से निकाला गया, इस दौरान सिखों पर भी कई हमले हुए लेकिन सिखों ने घाटी न छोड़ने का फैसला लिया। लेकिन इन दिनों एक बार फिर घाटी में सिखों को निशाना बनाया जा रहा है। बीते शुक्रवार को त्राल के खासीपोरा गांव में आतंकियों ने 29 साल के सिमरनजीत सिंह की हत्या कर दी थी। जोकि खासीपोरा गांव के सरपंच का भाई था। पुलिस आजतक हत्यारों का पता नहीं लगा पायी। इसके बाद ऑल पार्टी सिख कॉर्डिनेशन कमेटी ने खासीपोरा गांव में मीटिंग की। जिसमें कुल 35 नवनिर्वाचित पंच-सरपंचों ने अपना इस्तीफा पुलवामा के डिप्टी कमिश्नर को भेज दिया है। हालांकि इस्तीफे अभी तक मंजूर नहीं हुए हैं। सिखों को आशंका है कि चूंकि घाटी में पंचायत चुनाव में सिखों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था, तो उसी के चलते सिखों को निशाना बनाया जा रहा है। चुनाव के वक्त से ही सिखों को चुनाव से दूर रहने की धमकियां दी जा रही हैं। इसीलिए सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विरोधस्वरूप 35 पंच-सरपंचों ने इस्तीफा दे दिया है।
 
 

 गोली मारे जाने के बाद एंबुलेंस में सिख युवक सिमरनजीत सिंह
 
 
मारे गये सिख सिमरनजीत सिंह के भाई राजेंद्र सिंह का कहना है कि पहले हमारे घर पर ग्रेनेड से हमला हुआ और फिर मेरे भाई की हत्या कर दी गयी। अब ऐसे में हमने ये सब छोड़ने का फैसला लिया है। ताकि हम शांति से जी सकें।
 
ऑल पार्टी सिख कॉर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन जगमोहन रैना का कहना है कि हम जानना चाहते हैं कि सिमरनजीत की हत्या किसने की, साथ ही हुर्रियत इस घटना की निंदा करे और पुसिल मामले की ठीक से जांच करे।
 
 
गौरतलब है कि पुलवामा में पंचायत चुनाव के दौरान एनसी, पीडीपी. अलगाववादियों के साथ आतंकियों ने चुनाव बहिष्कार किया था। आतंकवाद प्रभावित पुलवामा में पंचायत चुनाव में मुस्लिम उम्मीदवार न के बराबर थे। इसीलिए कुछ राष्ट्रवादी सिखों ने जहां से भी पर्चा भरा वो निर्विरोध जीत गये। लेकिन तब से आतंकियों ने सिखों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
 
 
 
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