J&K: वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी परिवारों के साथ भद्दा मजाक, मुआवज़े के लिए मांगे 1951-57 लोकसभा चुनाव वोटर लिस्ट, राज्य में पहला लोकसभा चुनाव हुआ 67 में
Jammu Kashmir Now Hindi   16-Jan-2019
 

 
 
पिछले 70 सालों से जम्मू कश्मीर की सरकारें वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी परिवारों के साथ सिर्फ भद्दा मजाक करती आई हैं। ये परिवार आज भी बेसिक सुविधाओं से महरूम हैं। राज्य प्रशासन की बेरुखी का एक और उदाहरण फिर देखने को मिल रहा है। केंद्र सरकार द्वारा आवंटित वित्तीय सहायता धनराशि को बांटने के लिए राज्य के रेवन्यू डिपॉर्टमेंट ने रिफ्यूजी परिवारों से कुछ शिनाख्ती कागज़ात जमा कराने को कहा है, इस लिस्ट में एक रिकॉर्ड है 1951 और 1957 लोक सभा चुनाव की वोटर लिस्ट से संबंधी रिकॉर्ड डॉक्युमेंट। यानी जिसको मुआवज़ा चाहिए उसको कोई प्रमाण देना होगा, जिससे ये साबित हो जाये को वो पीड़ित परिवार उस दौरान वोटर लिस्ट में था। लेकिन रेवेन्यू डिपार्टमेंट की संजीदगी का पता इस बात से चलता है कि उन्होने ऐसे रिकॉर्ड को देने की मांग की है जोकि असल मे है ही नहीं। क्योंकि जम्मू कश्मीर में पहली बार लोक सभा चुनाव 1967 में हुए थे। जब चुनाव ही नही हुए तो लिस्ट कहाँ से आएगी। यहां गौर करने वाली बात ये है कि आर्टिकल 35A के चलते वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी सिर्फ लोक सभा चुनाव में वोट कर सकते हैं, विधानसभा चुनाव में नहीं। जाहिर है ये उदाहरण राज्य प्रशासन की सजगता को दर्शाता है।
 
 
 
 
 
 
 
एक अंग्रेजी अखबार को दिए बयान में वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी एक्शन कमेटी के लीडर लाभराम गांधी के मुताबिक- "एक तो जब चुनाव ही 67 में हुए तो 51 और 57 में लोक सभा लिस्ट कहाँ से आएगी और दूसरा 1951 में तो रिफ्यूजी विस्थापित होकर रहने का ठिकाना तलाश कर रहे थे। उस वक़्त का कोई डॉक्यूमेंट कहां से आएगा।"
 
 

 
 
दरअसल जून 2018 में केंद्र गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने दो दिवसीय दौरे के दौरान वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी के करीब 5700 परिवारों साढ़े 5 लाख प्रति परिवार सहायता राशि देने की घोषणा की थी। इसके एक हफ्ते बाद इसको आधिकारिक मंज़ूरी भी मिल गयी थी। लेकिन महीनों बीत चुके हैं और ये राशि रेवेन्यू डिपार्टमेंट की बेरुखी के चलते उनके खाते में ही पड़ी है और ज़रूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाई है।