जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तानी हमले का सिलसिलेवार वर्णन ( 3 september 22 october 1947).
   22-अक्तूबर-2018
 
 
15 अगस्त 1947, को ब्रिटिश राज समाप्त हुआ, हिंदुस्तान और पाकिस्तान अधिराज्यों की स्थापना हुई, साथ ही उपमहाद्वीप में सभी रियासतों पर से ब्रिटिश प्रभुसत्ता भी समाप्त हो गयी. शीघ्र ही भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया की राज्यों के लिए स्वतंत्रता का अर्थ था भारत या पाकिस्तान में विलय.
 
जम्मू कश्मीर के महाराजा ने विलय सम्बन्धित अपना निर्णय कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया क्योंकि राज्य में उस समय कुछ ऐसी परिस्तिथयाँ बन गयी थीं. साथ ही उन्होंने कुछ व्यावहारिक शर्तों सहित दोनों देशों के साथ स्टैंड स्टिल एग्रीमेंट करने का निर्णय लिया. पाकिस्तान ने ये शर्तें मान लीं और जम्मू कश्मीर के साथ एक औपचारिक समझौता भी हुआ. महाराजा के इस स्टैंड स्टिल समझौते से पाकिस्तान ने राहत की साँस ली, क्योंकि देर सवेर जम्मू कश्मीर पाकिस्तान की झोली में ही आएगा ऐसा उनका विश्वास था. परन्तु उनकी आशाओं पर तब पानी फिर गया जब महाराजा की सरकार ने पाकिस्तान द्वारा राज्य के पोस्ट ऑफिस पर पाकिस्तानी झंडा फरहराने पर आपत्ति जताई l दरअसल जम्मू कश्मीर राज्य अविभाजित भारत में सियालकोट सर्किल में आता था, और सियालकोट अब विभाजन के बाद पाकिस्तान चला गया था, पाकिस्तान ने सोचा की स्टैंड स्टिल एग्रीमेंट के तहत ये वो इलाके पाकिस्तान का हिस्सा बन गए l साथ ही महाराजा की सरकार ने भारत सरकार से राज्य की डाक एवं तार व्यवस्था का जिम्मा अपने ऊपर लेने की प्रार्थना की l इस से साफ़ पता चलता है की महाराजा का झुकाव भारत की और था l
 
महाराजा के इस निर्णय से पाकिस्तान की फजीहत हुई और पाकिस्तान ने महाराजा पर पाकिस्तान में विलय का अधिक दबाव डालने का निर्णय ले लिया l अपना दबाव बढ़ने के लिए पाकिस्तान ने कुछ कदम उठाये, जैसे राज्य में पाकिस्तान से बाजार में आने वाली दैनिक इस्तेमाल की वस्तुओं पर रोक, जिस से बाजार ठप्प पड़ गया, जब की ये स्टैंड स्टिल एग्रीमेंट के खिलाफ था, जम्मू कश्मीर के मुसलमान समुदाय को राजा के खिलाफ बग़ावत के लिए उकसाना, राज्य के अलग अलग ठिकानो पर छापे मारना और नियत/सही समय पर राज्य पर आक्रमण करने की योजना l
 
जम्मू कश्मीर के लोग अपनी रोज़मर्रा / दैनंदिन की वस्तुओं के लिए पूरी तरह सियालकोट और रावलपिंडी पर आधारित थे l बाजार बंद करवाने के लिए पाकिस्तान सरकार ने रावलपिंडी और सियालकोट से जम्मू कश्मीर आने वाली सभी वस्तुओं को, यहाँ तक की अति आवश्यक वस्तुओं को भी, रोक दिया, जम्मू से सियालकोट की ट्रैन सेवा रोक दी, साथ ही पूर्व निर्धारित तरीके से 3 सितम्बर 1947 से छापे मरना शुरू कर दिया जो 22 अक्टूबर तक चलते रहे, और अंत में 22 अक्टूबर को राज्य पर आक्रमण कर दिया l इस सबके दौरान पाकिस्तान द्वारा कई बार सीमा से घुसपैठ भी की गयी l
 
निम्नलिखित हमलों / घटनाओं के बारे में महाराजा की सरकार ने भारत सरकार को सूचित भी किया परन्तु भारत सरकार
पाकिस्तान के नापाक इरादे समझने में नाकामयाब रही –
 

 
 3 सितम्बर 1947-
 
 जम्मू से 17 कि. मी . दक्षिण पूर्व की ओर कोठा में, हथियार बंद हमलावारों ने शरणार्थियों पर हमला किया, लूट मार की और हत्याएं कीं l जब जम्मू कश्मीर की सेना वहां पहुंची तो हमलावर पाकिस्तान में चले गए l
 
एक और घटना में साम्बा से लगभग 10 कि. मी . दक्षिण की ओर, राजपुरा गांव के पास करीब 300 छापामार घात लगाकर बैठे थे, वहां एक हिन्दू शरणार्थी और उसकी पत्नी की हत्या करके उनकी 2 बेटियों का अपहरण कर दिया और फिर गांव पर धावा बोल दिया l कुछ पाकिस्तानियों ने जम्मू- पाकिस्तान सीमा पर स्तिथ दोहली पर धावा बोलै और गांव वालों के पशु/ गाय बैल ले गए I एक और घटना में साम्बा से 6 कि. मी . दूर चक हरिया में सर्विस राइफल से लैस 500 हमलावरों ने वहां के शरणार्थियों पर हमला कर दिया और पेट्रोल के ठिकानों पर धावा बोल दिया l
 
 
 
4 सितम्बर 1947- पंजर इलाके में झेलम नदी पार करके कठुआ और मूरी से करीब 200-300 हमलावरों ने राज्य में लूट आगजनी और हत्याएं कीं l
 

 
 
5 सितम्बर 1947- पूंछ के पश्चिम इलाके में हथियारबंद छापेमार कानून व्यवस्था को ताक पर रखकर लूट पाट करते रहे l
 
6 सितम्बर 1947 - जम्मू कश्मीर में पाकिस्तानी सेना मुख्य सडकों तक आ गयी, भिम्बर से 12 कि मि पश्चिम की ओर अलीबेग में पाकिस्तान की सेना ने गश्त लगाने अपनी एक टुकड़ी भेजी l
 

 
 
7 सितम्बर, 1947- मनवर और श्री के दक्षिण की ओर पाकिस्तान के लोग सीमा पर जमा हुए और वहां पर प्रदर्शन किया, हालांकि कोई सीमा पर नहीं आया l
 

 
 
9 सितम्बर 1947- रावलपिंडी से जम्मू कश्मीर के लोगों का एक काफिला कोहला आने के लिए रवाना हुआ, ये काफिला पाकिस्तानी सेना के सुरक्षा घेरे में चल रहा था, पर नियत समय पर ये लोग कोहला नहीं पहुंचे l बाद में पता चला की सारे काफिले की रास्ते में ही निर्मम ह्त्या कर दी गयी
 

 
 
12 सितम्बर 1947- मीरपुर के डाकघर ने मान्य आर्डर, रजिस्टर्ड पत्र और बीमा के कागज़ात लेने से मन कर दिया. Villagers across the border at Alibeg were firearms.
 

 
 
13-14 सितम्बर, 1947- पाकिस्तानी सेना सीमा पार कर भिम्बर से 14 की मि पश्चिम में अलीबेग और जेटली तक आ गयी l
 

 
 
16 सितम्बर,1947- झेलम से मीरपुर को डाक ख़ज़ाने के साथ आयी पाकिस्तानी सेना के जवान भड़काऊ नारे लगते हुए गए
 

 
 
17 सितम्बर,1947- रणबीर्सिंघ्पुरा के दक्षिण-पूर्व के इलाके में जम्मू कश्मीर की सेना की गश लगाति टुकड़ी को को पाकिस्तान से आये करीब 400 छापामार मिले, जिनको सेना ने मार भगाया l
 

 
 
19 सितम्बर, 1947- सियालकोट के एरिया मुख्यालय ने पाकिस्तान के रेलवे अधिकारीयों को सन्देश भेजा की पाकिस्तान अपनी सेना की सुरक्षा में, सियालकोट में अटकी रेलवे की 5 वैगन - 3 पेट्रोल,1 डीज़ल और 1 केरोसिन से भरी, को , जम्मू और सुचेतगढ़ भिजवा दें , पर पाकिस्तान की ओर से कोई जवाब नहीं आया l 
 
पालंद्री के स्पेशल मजिस्ट्रेट ने राज्य सरकार को सूचित किया की पाकिस्तान से लोग अलग अलग जगहों से सीमा में घुसपैठ करने का प्रयास कर रहे हैं 
 

 
 
22 सितम्बर,1947- साम्बा से 6 की मि दक्षिण -पूर्व की ओर मावा पर कई छापे मरे गए और हमले किये गए l
 
साम्बा से 10 की मि दक्षिण-पूर्व की ओर चक सादा गांव में शाम 7.30 बजे पाकिस्तान से 8 लोग घुस गए, वे पशु चुराने आये थे, जिन्हे गांव वाले ने पीटकर भगा दिया l
 
साम्बा से 11 की मि दक्षिण- पूर्व , झोहर की ओर रात 11 बजे पाकिस्तान से लगभग 400 लोगों की भीड़ को ढोल बजा बजा कर एकत्रित किया गया, जम्मू कश्मीर विरोधी नारे लगाए गए और फिर इन् लोगों ने हमला कर दिया, पूरे झोहर गांव में आग लगा दी गयी l
 

 
 
28 सितम्बर, 1947- साम्बा से 6 की मि दक्षिण-पूर्व में चक हरका में गश्त लगा रही राज्य की टुकड़ी पर लगभग 500 हथियार बंद छापेमरों ने हमला बोल दिया l हमलावरों के पास भले, स्वचालित बंदूकें और सर्विस राइफल्स थीं l
 
साम्बा से 8 की मि दक्षिण -पूर्व की ओर रायपुरा में भी करीब 500 हमलवर देखे गए l
 

 
 
29 सितम्बर,1947- अखनूर से 5 की मि दक्षिण- पश्चिम की ओर वर्दी पहने हुए लगभग 40 पाकिस्तानी हमलावर, 2 कांस्टेबल के साथ राज्य में सुबह 10 बजे घुस आये l
 
 
 
3 अक्टूबर, 1947- कोहला से 8 की मि दक्षिण - पूर्व को ढीकोटे थाने में हथियारों से लैस 100 पठान घुस गए और थाने के गोला बारूद कब्ज़ा लेने के बाद पठानों ने थाने पर आग लगा दी l
  
ढीकोटे से 2.5 की मि दक्षिण-पश्चिम की ओर सालियन में सुबह 11.30 बजे लगभग 300 हथियारबंद हमलावर झेलम नदी पार कर के आये और दोबारा ढीकोटे पर हमला कर दिया l
 
कोहला से 4 की मि दक्षिण को बसीन में भी छापेमार झेलम पार करते देखे गए l
 
 
 
4 अक्टूबर, 1947- पाकिस्तान का एक हवाई जहाज कोहला से पलंदी के ऊपर से घूमकर वापस चला गया, शायद इस इलाके की प्राथमिक जांच करने के लिए हवाई जहाज भेजा गया l
 
चिराला में हमलावरों की गतिविधियां बढ़ने लगीं l लगभग 400 हथियारबंद हमलावरों ने चिराला को घेर लिया, इनके पास आटोमेटिक हथियार और बम भी थे l
 
चिराला से 3 की मि पश्चिम को कप्पादार में 20 ट्रक मुरी से कोहला की ओर आते देखे गए l .
 
झेलम नदी पार करके बड़ी संख्या में हमलावर अल सुबह सीसर पहुँच गए l राज्य सरकार को विश्वसनीय सूत्रों से एक गुप्त सूचना मिली की पूंछ का इब्राहिम खान, कराची मुस्लिम होटल में ठहरा हुआ था l वो पेशावर से मूर्ति वापस आ गया और अब हथियार, गोला बारूद पूंछ भेजने की तैयारी कर रहा था l
   
 
6 अक्टूबर, 1947- विभिन्न प्रकारों के हथियारों से लैस हमलावरों ने थोरार को चरों ओर से घेर लिया lअबोट्टाबाद से अफ्रीदियों से लदे ट्रक्स भेजे गए और हवाई जहाज से बाघ इलाके का भी सर्वेक्षण भी किया गया l सालिआं में राज्य की सेना को छपेमारों से कड़ा मुकाबला करना पड़ा l
 
कठुआ गश दल को हथियारों से लैस 100 डाकुओं का मुकाबला करना पड़ा, जिन पर इस गश्त दल पर गोलियां बरसाईं और तब वे भाग गए l लगभग 25 लोग, हरे रंग की वर्दी पहने हुए डोंगियों में छुपे हुए थे जिन्हे गश दाल ने देखा 
 
 
 
9 अक्टूबर, 1947- राज्य सरकार को पता चला की झेलम की तरफ पूरी सीमा पर पाकिस्तान की सेना और पुलिस की तैनाती कि गयी थी l
 
चेचियाँ में पूरी रात लॉरी इधर उधर चलती देखीं गयींl पाकिस्तान से पुलिस और सेना की वर्दी पहने हुए 17 हथियारबंद लोगों ने पशु/ गाय/ बैल चुराने के लिए मनवार के पास हमला किया l
 
जब राज्य की सेना ने जवाबी कार्यवाही कि तो लुटेरे भाग गए, पर पाकिस्तान के टांडा के सब इंस्पेक्टर तोरा खान की मृत देह और 6 राउंड सहित एक रिवाल्वर पीछे छोड़ गए l
 

 
 
10 अक्टूबर, 1947- जम्मू के हीरानगर से 6 की मि दक्षिण- पूर्व को पंसार गांव पर हथियारबंद भीड़ ने हमला कर दिया, इनका नेतृत्व पाकिस्तानी सेना के 2 सेक्शंस कर रहे थे l
 
पाकिस्तान से एक और हथियार बंद भीड़ ने अखनूर से 12 की मि दक्षिण-पश्चिम को स्थित निक्कोवाल गांव में खेत में हल जोट रहे लोगों पर हमला कर दिया l जब राज्य की सेना ने जवाबी हमला किया तो पाकिस्तानी भीड़ ने उन पर 30 राउंड गोलियां चलाईं l
 

 
 
11 अक्टूबर, 1947- अखनूर से 12 की मि दक्षिण-पश्चिम को स्थित निक्कोवाल गांव में पाकिस्तान ने 9 राउंड गोइलियन चलाईं l
 

 
 
11-12 अक्टूबर,1947- पाकिस्तान के हज़रा से लगभग 500 छापेमार, सालियन के पास झेलम नदी पार करके 11-12 अक्टूबर की रात पूंछ जागीर में घुस गए l 
 
13 अक्टूबर 1947- साम्बा से 12 की मि दक्षिण-पूर्व, सुखो चक के सामने बाबिया प्लाटून पोस्ट पर पाकिस्तानी सेना ने शाम 7.15 बजे हमला कर दिया l
 
 
 
14 अक्टूबर, 1947- कोटली से 20 की मि उत्तर- पश्चिम को तरला से लगकर सभी संवेदनशील जगहों पर करीब 4 से 5 हज़ार हरी वर्दी पहने पाकिस्तानियों ने पोजीशन ले ली
 

 
 
18 अक्टूबर, 1947- लगभग 5000 पाकिस्तानी, स्वचालित बन्दूक और मशीनगन से लैस, सेना की टुकड़ियों के साथ जम्मू कश्मीर में घुस आये और रणबीर्सिंघ्पुरे से 12 की मि दक्षिण- पूर्व की ओर के गांव- अल्ला, पिंडी चरकन , कठार, करिअल, कोठी पर हमला बोल दिया l हमलावरों ने महिलाओं की इज़्ज़त लूटी, बच्चों और बूढ़ों की निर्मम ह्त्या की, महिलाओं को अगवा किया और गांवों को आग के हवाले कर दिया l
 
साम्बा से 12 की मि दक्षिण- पश्चिम को खरोबाल मथिरिरान में पाकिस्तानी दाल ने राज्य की सेना पर फायरिंग की l
पाकिस्तानी सेना के साथ मिलकर छापामारों ने राजपुरा और आसपास के इलाकों पर हमला किया
 

 
20 अक्टूबर 1947- पाकिस्तानी हमलावरों ने बिलासपुर, परहला, चनौर, ढँगोटे , निक्कोवाल गांव पर 20-21 अक्टूबर की रात हमला किया और आग लगा दी l

 
 
22 अक्टूबर, 1947- दोमेल सेना के कमांडर ने सूचना दी की उन् पर आक्रमण हुआ है और लगभग 500 हथियारों से लैस आदमी उन् पर पहाड़ों से गोलों बारी कर रहे हैं l
रामकोट, दुब और लहोरगली के राज्य सेना की गश्त दाल सेना से संपर्क नहीं कर पा रहे थे और कोहला-बरसाला से भी कोई खबर नहीं मिल रही थी
 
बाद में सूचना मिली की सुबह 11 बजे 6 लौरियाँ लोहार्गली से राज्य में घुस आये l और इस तरह 22 अक्टूबर को पाकिस्तान ने मुज़फ़्फ़राबाद की ओर से जम्मू कश्मीर पर धावा बोल दिया l