मुल्लाओं के सामने झुकी पाकिस्तान सरकार, रिव्यू पेटिशन का विरोध नहीं करेगी सरकार, आसिया के वकील छोड़ेंगे देश
   03-नवंबर-2018

 
दो दिनों तक पाकिस्तान की सड़कों पर कहर बरपा रहे तहरीके-लब्बैक के सामने पाकिस्तान की सरकार ने आखिरकार घुटने टेक दिये। पाकिस्तान सरकार ने खादिम रिज़वी के साथ एक समझौता किया, जिसमें कई शर्तें मानी गयी। मसलन-
 
1. आसिया बीबी के नाम को ECL यानि EXIT CONTROL LIST में डाला जायेगा। जिसका मतलब है कि जिसका नाम इस लिस्ट में होता है, वो देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकता।
 
2. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में भी सरकार आसिया बीबी के फैसले के खिलाफ डाली गयी रिव्यू पेटीशन का विरोध न करने के लिए सरकार ने हामी भर दी है।
 
 
 पहले खबर आयी थी कि आसिया को कनाड़ा भेज दिया गया है, लेकिन बाद में सरकार ने ऐसी खबरों का खंड़न किया। यानि आसिया अभी पाकिस्तान में ही है।
 
 
3. साथ ही पिछले दो दिनों में अलग-अलग शहरों में जितने प्रदर्शनकारियों के तोड़फोड़ के आरोप में गिरफ्तार किया है। उनको भी रिहा किया जायेगा।
 
4. इसके अलावा प्रदर्शन के दौरान सुरक्षाबलों की तरफ से टीएलपी कार्यकर्ताओं पर फायरिंग करने वाले सुरक्षाकर्मिय़ों पर भी मुकदमा दर्ज करने की हामी भी भर दी गई है।
 
 
 
एग्रीमेंट की कॉपी 
 
 
एग्रीमेंट पर साउन करने वालों में Minister for Religious Affairs नूरूल-हक-कादरी, पंजाब लॉ मिनिस्टर बशारत राजा, तहरीके-लब्बैक के मुखिया पीर अफजल कादरी और वहीद अनवर का नाम शामिल है। हालांकि तहरीके-लब्बैक ने एक औऱ मांग रखी थी कि सुप्रीम कोर्ट में तमाम जजों की एक बेंच बनायी जाये, जिसमें रिहाई का फैसला देने वाले जजों के नाम शामिल न हों। जो आसिया की रिव्यू पेटीशन पर सुनवाई करेगी। जाहिर है ये सुप्रीम कोर्ट का विशेषाधिकार है, इसीलिए पाकिस्तान सरकार पर इसको एग्रीमेंट का हिस्सा नहीं बनाया।
 
 
 
 
 
उधर सुप्रीम कोर्ट में आसिया का केस लड़ रहे वकील सैफुल मलूक ने लगातार मिल रही धमकियों को देखते हुए देश छोड़ने का फैसला किया है। मलूक ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी लागू करा पाने में नाकाम है। मौजूदा हालात में देश में रहना मुनासिब नहीं, ऐसे में मुझे ज़िंदा रहना है, ताकि मैं आसिया की कानूनी लड़ाई लड़ पाऊं। इसीलिए मैं यूरोप निकल रहा हूं।
 
 
 आसिया के वकील सैफुल मलूक