उइगुर महिला: 'चीन ने मेरे बच्चे को मार डाला, मुझे मुस्लिम कंसन्ट्रेशन कैंप में करंट से टॉर्चर किया'
   01-दिसंबर-2018
 
वाशिंगटन में एक प्रैस कांफ्रेंस के दौरान मिरिगुल तरसुन के आंसू रोके नहीं रूक रहे थे। जब वो चीन में अपनी नजरबंदी की कहानी पत्रकारों को सुना रही थी। तरसुन एक उइगुर मुस्लिम महिला है। जिसको चीन के मुस्लिम ‘री-एजुकेशन कैंप’ में महीनों तक नजरबंद रखा गया था। तरसुन ने बताया कि ये ‘री-एजुकेशन कैंप’ एक तरह के कंसन्ट्रेशन कैंप हैं। जहां लाखों मुस्लिमों को रखकर उनके कट्टरपंथी विचारों को बदलकर कम्यूनिस्ट विचारधारा के मुताबिक नयी ट्रैनिंग दी की जा रही है। यहां उइगुर मुस्लिमों को मंदारिन भाषा और सेक्यूलर चीनी कल्चर सिखाने पर जोर दिया जाता है। यहां तक कि इन कैंप्स में मुस्लिमों को हलाल खाने पर भी मनाही है।
 
लेकिन तरसुन का कहना है कि ये कैंप दरअसल एक जेल की तरह हैं। जहां उनको महीनों तक नग्न रखा गया और पूछताछ की गयी। यहां तरसुन को ड्रग्स की जाती और खाने के नाम पर सिर्फ ब्रैड और सब्जियों का पानी दिया जाता। ताकि भूख से मौत न हो। तरसुन को उसके 3 बच्चों से भी अलग कर दिया गया। जिनको जबरदस्ती खाना दिया जाता। जिसके चलते तरसुन के एक बच्चे की मौत हो गयी।
 
 
 
 
सेटेलाइट से ली गई चीन के री-एजुकेशन सेंटर्स 
 
 
तरसुन के मुताबिक उसको 12 साल की उम्र में ही मां-बाप से अलग कर चीनी शिक्षा दी गयी। जिसके बाद वो हाइयर एजुकेशन के लिए इजिप्ट चली गयी, जहां उसने शादी की और 3 बच्चे हुए। लेकिन जब वो जिनजियांग क्षेत्र में अपने परिवार से मिलने चीन वापिस आयी तो उसको गिरफ्तार कर लिया गया।
 
 
आखिरकार मीडिया और मानवाधिकार संगठनों की मदद से तरसुन को चीन की कैद से मुक्ति मिली। जिसको बाद में अमेरिका ने शरण दी, जहां तरसुन अपने 2 बच्चों के साथ रह रही है। आज तरसुन दुनिया भर चीन में उइगुर मस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों के बारे में प्रचार कर रही हैं।
 
 
इंटरप्रेटर की मदद से मीडिया से बात करती तरसुन 
 
 
 हाल ही में अल-जजीरा में एक रिपोर्ट प्रकाशित की गयी थी। जिसके मुताबिक चीन में री-एजुकेशन सेंटर्स के कम से कम 10 लाख मुस्लिमों को रखकर उनको कम्यूनिस्ट ट्रेनिंग दी जा रही है।
 (स्रोत- BREITBART में छपी एक रिपोर्ट के आधार पर...)