#Kashmir मस्जिदों में घुसकर गद्दी पर जा बैठा है ISIS
   29-दिसंबर-2018
 
 
कश्मीर घाटी में पत्थरबाज़ी के दौरान इस्लामिक स्टेट के झंडे दिखना आम बात है। लेकिन कश्मीर के मुहाफिजों, अलगाववादियों, नेताओं, यहाँ तक कि स्थानीय मीडिया ने इसको कभी सीरियसली नहीं लिया। लेकिन पिछले 24 घंटों में घाटी 2 घटनाओं ने ये साबित कर दिया है कि इस्लामिक स्टेट धीरे-धीरे कश्मीरी नौजवानों के बीच पैर जमा चुका है। बल्कि इस हद तक फैल चुका है कि वो सीधे तौर पर प्रो-आज़ादी तहरीक चलाने वालों को चुनौती देने लगा है। 
 
 
पहली घटना देखने को मिली शुक्रवार को पुलवामा एनकाउंटर में मारे गए हिज़्बुल मुजाहिदीन के आतंकी इश्फाक वानी जनाजे में। आतंकी हिज्बुल संगठन से जुड़े होने के बावजूद भी स्थानीय नौजवानों ने इरशाद को IS के झंडे से ढंका। इस तस्वीर सोशल मीडिया पर जारी होने के बाद प्रो-पाकिस्तानी जेहादियों में ज़बरदस्त हलचल मच गयी। यहाँ तक कहा गया कि पुलवामा में IS का प्रभाव पूरी तरह से फ़ैल चुका है।
 
 
 IS के झंडे में लिपटा आतंकी इश्फाक वानी
 
इसके तुरंत बाद दूसरी घटना श्रीनगर की जामा मस्जिद में घटी, जो बताने के लिए काफी है कि इस्लामिक स्टेट किस हद तक अपनी जड़े जमा चूका है, और उसकी की आंच से अलगाववादी भी नहीं बचने वाले। दरअसल यहाँ जामा मस्जिद के अंदर घुसकर कुछ IS समर्थकों ने न सिर्फ नारेबाजी की और झंडे लहराए, बल्कि एक जेहादी ने मीरवाएज़ उमर फारुख की 'गद्दी' पर चढ़कर 'दौलत-उल-इस्लाम' के नारे भी लगाए। इसका वीडियो नीचे दिए लिंक पर देख सकते हैं।
 
 
 
 
 
ये दोनों घटनाएं आने वाले दिनों में आतंकवाद की बदलती तस्वीर को बयान करती हैं।
 

#ISJK का अफगान कनेक्शन
 
कुछ महीनों पहले तक इस्लामिक स्टेट जम्मू कश्मीर यानी ISJK को स्थानीय जेहादियों द्वारा संगठन माना जाता रहा, इस साल जून महीने में फिराम श्रीगुफारा में 4 आतंकी मारे गए। जिनकों इस्लामिक स्टेट ने अपने से जुड़े होने का दावा किया, तब भी जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी एससपी वैद ने लोकल आतंकी कहकर नकार दिया। लेकिन ख़बरों के मुताबिक एनआईए को हाल ही कई सबूत मिले हैं जो ये साबित करते हैं कि ISJK के तार अफगानिस्तान स्थित इस्लामिक स्टेट के ऑपरेटिव से जुड़े हो सकते हैं। अगस्त महीने में NIA हैदराबाद में कई जगहों पर दो IS हैंडलर्स को पकड़ा। इसके बाद दिल्ली में NIA ने परवेज़ लोने और जमशेद पॉल नाम के 2 कश्मीरी संदिग्धों को पकड़ा। जिसके बाद पता चला की हैदराबाद और दिल्ली दोनों जगहों से पकडे गए IS हैंडलर्स के तार एक ही अफगानी IS ऑपरेटिव जाकर जुड़ते हैं। जांच एजेंसियों को सबूत मिले है कि घाटी में ISJK के तार भी इसी अफगान ऑपरेटिव से जुड़े हो सकते हैं।
 

केरल में भी इस्मालिक स्टेट अपनी जड़े जमा चुका है
 
 
पाकिस्तान परस्त आतंकियों के लिए भी खतरा है #ISJK
 
इस्लामिक स्टेट घाटी में अल-कर्रार के बैनर तले अपने पैर पसार रहा है। सोशल मीडिया के अकॉउंट के जरिये वो अपने भड़काऊ लिटरेचर को लोगों तक पहुंचता रहता है। अपने संदेशों में अल-कर्रार ने पाकिस्तान से जुड़े आतंकी संगठनों जैसे हिज़्बुल मुजाहिदीन, जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैय्यबा के साथ साथ अलगाववादियों को कश्मीर के साथ धोखा देने के ज़िम्मेदार ठहराता रहता है। इस्लामिक स्टेट कश्मीर में खिलाफत लाने की बातें करता है। जबकि बाकी संगठन कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाने के समर्थक रहे हैं , लिहाज़ा IS तमाम पाकिस्तान परस्त संगठनों के खिलाफ जंग छेड़ने की बात करता है। ISJK के अलावा आतंकी अंसार-ग़ज़वातुल-हिंद के मुखिया ज़ाकिर मूसा को खिलाफत का साथी मानता है। लिहाजा अल-कर्रार ने ज़ाकिर मूसा के समर्थन में फतवा भी जारी किया था। 
 
 
इसके बाद कई बार खबरें आयी कि ज़ाकिर मूसा और रियाज़ नाइकू के बीच गैंग वॉर चल रही है। दोनों एक दुसरे को ख़त्म करने पर तुले हैं। हालाँकि इसको रियाज़ नाइकू में ऑडियो क्लिप जारी कर हाल ही में इसको खारिज भी किया। लेकिन घाटी में दोनों के समर्थक बनते हुए नज़र आते हैं। हाल ही में अलगाववादी मीरवाइज़ उमर फारुख ने ज़ाकिर मूसा के खिलाफ फतवा जारी कर कहा था कि ज़ाकिर मूसा को इस्लामिक वैल्यूज की कोई क़द्र नहीं है वो अपने फायदे के लिए कश्मीर के CAUSE और इस्लाम को बदनाम कर रहा है। क्या ये महज़ इत्तेफ़ाक़ है कि इसके बाद इस्लामिक स्टेट के जेहादी जामा मस्जिद में घुसकर उमर फारूख की गद्दी पर चढ़कर नारे लगते हैं , ज़ाहिर वो साफ़ सन्देश देना चाहते हैं, कि कश्मीर में IS एक हक़ीक़त है , सिर्फ शिगूफा नहीं।