Dear Hindufobic Liberals, कोलंबिया यूनिवर्सिटी कह रही है, भारत में 2500 साल पहले होती थी प्लास्टिक सर्जरी
Jammu Kashmir Now Hindi   12-Jan-2019
 
 
सबको बताया जाता है प्लास्टिक सर्जरी एक मॉडर्न मेडिकल साइंस का कोई चमत्कार है। लेकिन कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने दावा किया है कि प्लास्टिक सर्जरी का इतिहास 2500 साल पुराना है और जिसका नाता है भारत से। कोलंबिया यूनिवर्सिटी, जोकि दुनिया टॉप 15 यूनिवर्सिटी में से एक है, की रिसर्च के मुताबिक प्लास्टिक सर्जरी का मॉडर्न मेडिकल साइंस से कोई लेना देना नहीं है। बल्कि इसकी जड़ें ये 6वीं शताब्दी ईसापूर्व में भारत के प्रसिद्ध चिकित्साशास्त्री सुश्रुत तक पहुंचती है। जिन्हें भारत में (Hindufobic Liberals के अलावा) सर्जरी का जनक माना जाता है।
 
 
कोलंबिया यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक सुश्रुत ने दुनिया की पहली सर्जरी और औषधि पर किताब सुश्रुत संहिता लिखी। जिसमें 1100 सौ बीमारियों के इलाज और तरीकों का लेखा-जोखा लिखा गया था। इसी ग्रंथ में सैंकड़ों पौधों के बारे लिखा गया है, जिनका इस्तेमाल औषधि के तौर पर किया जाता है। इनका इस्तेमाल आज फिर से किया जा रहा है। इसी संहिता में त्वचा, नाक जैसे अंगों की प्लास्टिक सर्जरी करने का भी वर्णन किया गया है।
 
 

 
 
आज की मॉडर्न मेडिकल साइंस में जिस तरीके से स्किन ट्रांसप्लांट किया जाता है, ठीक इसी विधि को सुश्रुत ने 2500 साल पहले लिख दिया था, इसके अलावा माथे और सिर से जुडी rhinoplasty टेक्निक के बारे में भी सुश्रुत संहिता में विस्तार से लिखा गया है। आज भी दोनों ही सर्जरी का इस्तेमाल ऐसे ही सुश्रुत के बताये तरीकों के आधार पर ही हो रहा है।
 
 
हैरानी की बात ये भी है कि सुश्रुत के जमाने में भी नाक को सुंदर बनाने की सर्जरी हुआ करती थी। खासतौर पर उनकी जिनकी नाक चोरी जैसे अपराधों की सजा के तौर पर काट दी जातीथी। इस सर्जरी की विधि की चर्चा भी सुश्रुत संहिता में की गयी है।
कोलंबिया यूनिवर्टी की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक जिस तरीकों से आज स्किन ट्रांसप्लांट और ब्रेस्ट सर्जरी होती है। उसकी तमाम तकनीक को विस्तार से सुश्रुत संहिता में बताया गया है।
 

 
सुश्रुत द्वारा सर्जरी में इस्तेमाल किये जाने वाले औजार 
 
 
लेकिन हैरानी की बात ये है कि जब भी राष्ट्रवादी इतिहासकार भारत की ऐसी समृद्ध इतिहास की बातें करते हैं, तो मीडिया में मठाधीश बने बैठे Dear Hindufobic Liberals इसको झूठ और प्रौपेगेंडा साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। हैरानी नहीं होगी अगर वो अमेरिका का जानी मानी कालंबिया यूनिवर्सिटी के खिलाफ भी प्रौपेगेंडा शुरू न कर दें।