Indian Express ने रानी लक्ष्मीबाई पर बनी फिल्म मणिकर्णिका को बताया देश तोड़ने वाली फिल्म, लॉजिक सुनकर आप भी हैरान हो जायेंगे
Jammu Kashmir Now Hindi   15-Jan-2019
 
मोदी सरकार का विरोध समझ में आता है, लेकिन पिछले साढ़े 4 सालों में देशभक्ति या अपने स्वर्णिम इतिहास की बात करना गुनाह साबित करने की कोशिश की जा रही है। इसको एक साजिश करार देने की कोशिश लगातार जारी है। इंडियन एक्सप्रैस ने लेख प्रकाशित किया है, जिसके मुताबिक रानी झांसीबाई पर बनी फिल्म मणिकर्णिका एक साजिश का हिस्सा है। जो देश को तोड़ने की साजिश का हिस्सा है, आप सोचेंगे क्या....!!!!
 
 
हमारे आजादी के लिए अंग्रेंजों के खिलाफ लड़ने वाली वीरांगना पर बनने वाली फिल्म आखिर देश के लोगों को बांटने की कोशिश कैसे हो सकती है। लेकिन इंडियन एक्सप्रैस की मनीषा पांडे ने इस काल्पनिक साजिश का खतरनाक एंगल निकाला है। मनीषा पांडे के मुताबिक दरअसल 2019 के चुनावों से पहले एक साजिश के तहत बॉलीवुड के कलाकार ऐसी मूवी बना रहे हैं, इस साजिश जिसके तहत मोदी सरकार और उसके वोट बैंक को खुश करने के लिए फिल्म बनायी जा रही है।
 
 
 
 
 
मनीषा पांडे ने साजिश की इस लिस्ट में मणिकर्णिका के अलावा उड़ी और एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर को शामिल किया है। इंडियन एक्सप्रैस की रिपोर्ट ने शंका जाहिर करते-करते साबित करने की मोदी सरकार ने बॉलीवुड को चुनाव से पहले ऐसी मूवी बनाने का ठेका दिया है। कमाल है...यहां पर आपको लेखिका को कल्पना और सोच की दाद देनी पड़ेगी।
 
 
फिल्म देखे बिना अपनी कल्पना को उड़ान देते हुए फैसला कर चुकी मनीषा पांडे लिखती हैं कि - हां कंगना रानाउत की मणिकर्णिका वैसे तो यकीनन एक अच्छी स्टोरी है। लेकिन नि:संदेह ये भी उन्हीं जाने-पहचाने ‘’लोगों को बांटने वाले राष्ट्रवाद और देशभक्ति के ढर्रे पर बनाया गयी होगी। यहां पर लेखिका की कल्पना को फिर से दाद ज़रूर दीजिए, मतलब एक तो फिल्म देखे बिना ही स्क्रीनप्ले टाइप सब कुछ जान लिया और साथ ही नया एंगल गढ़ने के लिए कि राष्ट्रवाद और देशभक्ति देश को तोड़ती है। सच तो ये है कि मणिकर्णिका उस गौरवशाली इतिहास की कहानी है जिसमें बताया गया है कि कैसे हिंदू-मुस्लिम एक होकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़े, अपनी मिट्टी की आन-बान-शान के लिए..। तो फिर फिल्म किसको तोड़ती है..ये लेखिका बताना भूल गयी । शायद उनको जिनको देश की सेना और देश के गौरवशाली इतिहास या फिर देश पर ही नाज नहीं है।
 

 
इंडियन एक्सप्रैस में छपे आर्टिकल का स्क्रीनशॉट
 
 
आज के बॉलीवुड को जी भर गरियाने के बाद लेखिका पुराने जमाने को याद दिलाना नहीं भूलती, (बिल्कुल वैसे ही जैसे सदियों से दादा जी पुराने जमाने की तारीफ करते हुए नये जमाने की जमकर बुराई करते रहे हैं) जब बॉलीवुड सरकारों से भिड़ जाया करते थे।
 
 
और आखिर में लेखिका घोषणा करती हैं कि विचारधारा के मतभेदों का दौर अब खत्म हो चुका है, MAY DAY