सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35A पर जल्द सुनवाई के आसार नहीं, सुनवाई कब और कैसे होगी, इसका फैसला बंद कमरे में होगा
   22-Jan-2019


 
 
सुप्रीम कोर्ट में आर्टिकल 35A पर जल्द सुनवाई की उम्मीद कर रहे लोगों को अभी थोड़ा इंतजार और करना होगा। आर्टिकल 35A की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई सूचिबद्ध करने का फैसला इन-चैम्बर यानि बंद कमरे में होगा। दरअसल एडवोकेट विमल रॉय ने सुनवाई जल्द करने के लिए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ के सामने मेंशन किया था। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले की सुनवाई की तारीख यानि सूचिबद्ध करने का फैसला बंद कमरे में होगा। दरअसल ‘We The Citizens’ द्वारा फाइल याचिका का हवाला देते हुए एडवोकेट विमल रॉय ने पीठ से ये कहते हुए गुजारिश की थी कि चूंकि पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई जनवरी के दूसरे हफ्ते में करने की बात कही थी, लिहाजा अब मामले की सुनवाई जल्द की जाये। जिस पर जस्टिस गोगोई ने इस मामले की सुनवाई की तारीखों का फैसला इन चैंबर करने को कहा। जिसका मतलब ये है कि इसकी सुनवाई की तारीखों का फैसला कोई पीठ नहीं बल्कि चैंबर में बैठा एक न्यायाधीश करेगा। ये कौन करेगा इस पर भी फैसला होना है, जिसका साफ मतलब है कि इस मामले में सुनवाई जल्द होने के आसार नहीं हैं।
 
 
 
 
 
 
दरअसल पिछले साल आर्टिकल 35A की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली और उसको हटाने के लिए अलग-अलग संगठनों ने कई याचिकाएं दायर की थी। राज्य सरकार और केंद्र सरकार से अपना रूख स्पष्ट करने के लिए जवाब मांगा था, जिसमें उस वक्त राज्य सरकार ने जम्मू कश्मीर में पंचायत चुनावों को हवाला देकर मामले की सुनवाई टालने की अपील की थी। जिसके बाद अगस्त 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई जनवरी दूसरे हफ्ते से करने की बात कही थी, लेकिन तीसरा हफ्ता खत्म हो चुका है और अब तक मामले की सुप्रीम कोर्ट में लिस्टिंग नहीं पायी है। अब बंद कमरे में लिस्टिंग करने के फैसले से ये मामला और टलता दिखाई दे रहा है।
 
क्या है आर्टिकल 35A 
 
जम्मू कश्मीर राज्य से संबंधित आर्टिकल 35-A वो धारा है, जोकि 1954 में राष्ट्रपति के आदेश पर संविधान में जोड़ी गयी थी। जबकि संविधान में कोई भी प्रावधान बिना संसद में प्रस्ताव पारित किये बिना नहीं किया जा सकता। यानि आर्टिकल 35 A न सिर्फ अपने लागूकरण के कारण असंवैधानिक है बल्कि इस धारा के तहत जम्मू कश्मीर में रहने वाले लाखों लोग आज भी मूलभूत अधिकारों से वंचित है। इनमें जम्मू कश्मीर में रहने वाले वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी, गोरखा, दलित और महिलाएं शामिल है। आर्टिकल 35 A के तहत इन वोट के अधिकार, नौकरी में अवसर, संपत्ति खरीदने या बिजनेस करने तक के अधिकारों से वंचित रखा गया है। साथ ही जम्मू कश्मीर के अलावा भारत के दूसरे राज्य के नागरिकों को भी आर्टिकल 35 A के चलते राज्य में कोई अधिकार नहीं मिल सकते। जोकि भारत के संघीय व्यवस्था के विपरीत है।