कश्मीर से निष्कासन हिंदुओं का न भूले जाने वाला दर्द
   23-Jan-2019


 
जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र भोपाल के द्वारा शिवाजीनगर स्थित विश्व संवाद केंद्र में , 1990 में कश्मीरी हिन्दूओं के निर्वासन की स्मृति में "निष्कासन दिवस का आयोजन किया गया ।
 
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रख्यात पत्रकार और इतिहासकार विजय मोहन तिवारी थे ,मुख्य अतिथि श्री वंशीलाल किचलू ,विशेष अतिथि श्री जोगेंद्र भान और मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ विश्वास कुमार थे।
 
"19 और 20 जनवरी 1990 की कश्मीर घाटी की सर्द रातों में मस्जिदों से एलान किये गए कि सभी कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़ कर चले जायें, अपनी पत्नी और बेटियों को भी यहीं छोड़े । हम अपने छह माह पहले अपने खून पसीने से बनाये मकान, दुकान और खेत ,बगीचे छोड़कर मुश्किल से जान बचाकर भागे , 1500 मन्दिर नष्ट कर दिए गए लगभग 5000 कश्मीरी हिन्दुओ की हत्या की गई । ठंडे स्थान पर रहने के कारण कई कश्मीरी हिन्दू दिल्ली की मई जून की गर्मी सहन नही कर सके और मारे गए । केम्पों में सांप बिच्छु के काटने से कई लोग मारे गए ।"
 
उक्त आपबीती कश्मीरी हिन्दू वंशीलाल किचलू और जोगेंद्र भान सहित कश्मीरी हिन्दुओ ने व्यक्त की इस घटना का जिम्मेदार पाकिस्तान द्वारा घाटी में फैलाये गए इस्लामिक आतंकवाद को बताया गया ।
 
श्री विजय मोहन तिवारी ने इतिहास की अनेक घटनाओं के द्वारा बताया कि साम्प्रदायिकता ने किस तरह उस देश की संस्कृति और सभ्यता को नुकसान पहुंचाया है ।
 
मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉ विश्वास कुमार ने कहा कि इस देश मे सुप्रीम कोर्ट, संसद , सेना ,सुरक्षा बल , मानवाधिकार आयोग इत्यादि सेकुलर ताकतों के होते हुए भी कश्मीर घाटी से हिन्दुओ का इस तरह भगाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है । आज धर्म राजनीति से ऊपर उठकर कश्मीर की वास्तविकता से लोगो को अवगत कराना देश की एकता अखंडता के लिए जरूरी है । 
 
नीचे दी गई वीडियो में आप कश्मीरी हिन्दुओं का दर्द समझ सकेंगे
 
 
 
 
जम्मू कश्मीर का कुल क्षेत्रफल 1 लाख 1 हजार वर्ग किमी है जिसमे 59 हजार वर्गकिमी लद्दाख, 26 हजार वर्ग किमी जम्मू यानी 85 प्रतिशत भूभाग शांत है ।शेष 15 प्रतिशत भूभाग के मात्र 4 या 5 जिलों के मुट्ठीभर लोगों के कारण पूरा जम्मू कश्मीर बदनाम हो गया है। वहां 70 लाख मुस्लिम सिर्फ 20 प्रतिशत भूभाग पर हैं लेकिन 50 लाख हिन्दू, बौद्ध 80 प्रतिशत भूभाग पर शांतिपूर्ण और देश मि मुख्यधारा में हैं । अलगाववादियों का मनोबल पिछले 4 - 5 वर्षों में टूट गया है ।
 
इस देश मे सुप्रीम कोर्ट, संविधान,संसद, सेना ,सुरक्षा बल और सेकुलरों के होते हुए भी 5 लाख लोग अपने ही देश मे रिफ्यूजी जीवन जेहादी कट्टरवादी साम्प्रदायिक सोच से पीड़ित होकर जी रहे हैं ।
 
जम्मू कश्मीर में आज भी ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नही हे , 14 % अनुसूचित जनजातियों के लिए कोई राजनीतिक आरक्षण नही है , एससी को भी 2007 तक कोई आरक्षण नही था अब कुछ छोटे पदों पर ही आरक्षण की व्यवस्था है ।
 
 
आतंकवाद के बहाने मुस्लिम पड़ोसी हिन्दुओ की प्रॉपर्टी पर कब्जा करना करना शुरू कर दी थी |
 
 
 वहीं इस देश मे सैंकड़ो किमी दूर फिलिस्तीन के उग्रवादियों के दमन के कारण 25 वर्षो तक इजराइल से सम्बन्ध नही रखे जाते, रोहिंग्यो को बसाने के लिए धरने प्रदर्शन और सुप्रीम कोर्ट ततपरता से एक्शन लेते हैं ,लेकिन कश्मीरी हिन्दू उनके लिए कोई मायने नही रखता ।
 
जो कोर्ट दही हांडी की रस्सी की लंबाई तय करती है, महाकाल पे कैसा जल चढ़ेगा ये तक तय करती है , उसी कोर्ट की नाक के नीचे 5000 कश्मीरी हिन्दुओ के हत्यारे खुले आम घूम रहे हैं ।आज तलक जम्मू कश्मीर में 20 लाख लोगों को मौलिक अधिकार उपलब्ध नही है ।
 
कार्यक्रम के अंत मे आभार प्रदर्शन करते हुए जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र के संयोजक डॉ राघवेंद्र शर्मा ने कहा कि देश के लोगो को एक होकर कश्मीर के हिन्दुओ के साथ खड़ा होना चाहिए ,उनकी कश्मीर में शांतिपूर्ण ,सम्मानजनक वापसी सुनिश्चित करना देश के हर नागरिक की जिम्मेदारी है ।
 
कार्यक्रम में भोपाल के बुद्धिजीवी वर्ग सहित विद्यार्थी और रिसर्च स्कॉलर उपस्तिथ थे ।