J&K: बारामूला भी हुआ आतंकवाद मुक्त, अब 22 में से साउथ कश्मीर के सिर्फ 3-4 ज़िलों में बचे हैं मुट्ठीभर आतंकी
   24-Jan-2019

 
 
पाकिस्तान-परस्त संगठन या दिल्ली में बैठे इंटेलेकटुअल्स कितना भी नकारते रहें, लेकिन सच यहीं है कि कश्मीर घाटी धीरे-धीरे पूरी तरह आतंकवाद-मुक्त होती जा रही है। साउथ कश्मीर के सिर्फ 3-4 ज़िलों को छोड़कर घाटी के बाकी इलाका आतंकवाद से मुक्त हो चुका है। बारामूला इसकी ताज़ा मिसाल है, जहां सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा के अंतिम 3 आतंकियों को सुरक्षाबलों ने बुधवार को मारकर बारामूला को नए पूर्णतया आतंकवाद ज़िले का दर्जा दिलाया।
 
डीजीपी दिलबाग सिंह के मुताबिक अब बारामूला में अब कोई आतंकी सक्रिय नहीं है।
 
 
गौरतलब है कि बुधवार को लश्कर के सुहैब अखनून, मोहसिन मुश्ताक़, नासिर अहमद दर्ज़ी मारे गए थे। तीनों बारामूला में लंबे समय से सक्रिय थे, जिनके बारामूला और सोपोर में कई आतंकी वारदातों का रिकॉर्ड था, अप्रैल 2018 में ये आतंकी 3 नौजवानों के कत्ल में शामिल थे,आरोपियों में से एक एजाज़ अहमद गोजरी पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। इसके अलावा ये आतंकी 2017 और 2018 में बारामुला पुलिस स्टेशन पर आतंकी हमले में भी शामिल थे।
 
 
 
 क्या आप जानते है जम्मू कश्मीर की असली समस्या क्या अगर नहीं तो नीचे दी गई वीडियो देखे ।
 
 
 
 
इसी के साथ जम्मू कश्मीर राज्य के 22 ज़िलों में से लगभग 18-19 ज़िले मुख्यधारा में शामिल होकर विकास और शांति की राह पर हैं। याबी बचे हैं साउथ कश्मीर का अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां और कुलगाम। जहां करीब 200 पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकी अभी भी बचे हुए हैं। लेकिन यहां भी 2018 में सुरक्षाबलों ने आतंकियों को कमर पूरी तरह तोड़ दी है। 2018 में कुल 259 आतंकी मारे गए थे, जिनमें लगभग तमाम ज़िला कमांडर मारे गए। जोकि नए रिक्रूट के लिए एक्सपर्ट माने जाते थे। जिस स्पीड से घाटी में सुरक्षाबल आतंकियों का सफाया कर रहे हैं, उससे लगता है कि 2019 घाटी में आतंकवाद का अंतिम साल होगा।
 
 
कश्मीरियों ने आतंकवाद को नकारा
 
सुरक्षाबलों के बाद कश्मीर में आतंकियों के सफाये का श्रेय लोकल कश्मीरियों को ही जाता है, क्योंकि 2018 में आतंकियों के ठिकाने की जानकारी देने वाले लोकल कश्मीरी ही थे, जोकि सालों से पाकिस्तान परस्त आतंकियों से तंगहाल हैं और शांति चाहते हैं। हालाँकि हिज़्बुल मुजाहिदीन और लश्कर के आतंकियों ने कम से कम 4 नौजवानों की इस्लामिक स्टेट स्टाइल में न सिर्फ हिंसक हत्याएं की बल्कि उनकी वीडियो रिकॉर्डिंग कर प्रोपेगंडा फैलाया गया, आम कश्मीरियों में दहशत फैलाने के लिए। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि कश्मीरी डरे नहीं और सुरक्षाबलों की मदद करते रहे।