रिपब्लिक डे स्पेशल: जानिए भारतीय संविधान में कैसे रचा-बसा है जम्मू कश्मीर, 6 खास बातें
   26-Jan-2019
 
 
भारत अपना 70वां गणतंत्र दिवस माना रहा है। आज के दिन यानि 26 ज़नवरी 1950 में भारत में नया संविधान लागू हुआ था। राजपथ पर देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले कश्मीरी देशभक्त नज़ीर अहमद वानी का परिवार राष्ट्रपति के हाथों से शौर्य चक्र ले रहा था, वो इस बात की नज़ीर है कि जम्मू कश्मीर में भारतीय संविधान और भारतीय संविधान में जम्मू कश्मीर न सिर्फ एक दूसरे में गुथा है, बल्कि जम्मू कश्मीर के दिलों में, रग-रग में दौड़ रहा है। चलिए जानते हैं इस संवैधानिक मिलन का सिलसिलेवार वर्णन-
 
 
1. 1949 मे कर्ण सिंह ने देश के संविधान को जम्मू कश्मीर मे लागू करने के लिए प्रोक्ल्मेशन किया था
 
 
देश की देशी रियासतो ने संविधान निर्माण प्रक्रिया समाप्त होने के बाद अपनी -2 रियासतों की तरफ से भारतीय संविधान को अपनाने के लिए जारी किये थे । 25 नवंबर 1949 को अन्य रियासतों की भांति जम्मू कश्मीर की तरफ से तत्कालीन रीजेंट कर्ण सिंह ने भविष्य यानी 26 ज़नवरी 1950 को भारत मे लागू होने वाले संविधान को जम्मू कश्मीर में भी प्रभावी होने की घोषणा की।
 

 
 
 
2. संविधाननुसार जम्मू कश्मीर भारत का 15वें नम्बर का राज्य बना !
 
भारतीय संविधान की पहली अनुसूची में जम्मू कश्मीर भारत का 15वें राज्य के रूप में अंकित है। यह क्रमानुसार पश्चिम बंगाल और नागालैंड के बीच का राज्य है जोकि क्रमश : 14 और 16 नम्बर के राज्य हैं।
 

 
3. अनुच्छेद 370 - संविधान का अस्थायी अनुच्छेद
पिछले 70 वर्षो से देश भर में एक झूठ फैलाया गया है कि अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर को किसी प्रकार का विशेष दर्जा देता है . जबकि सत्य यह कि अनुच्छेद 370 केवल संविधान का एक अस्थायी अनुच्छेद है जो अनुच्छेद का मार्जिनल नोट मे साफ -2 लिखा है . ( कृपया नीचे अनुच्छेद 370 का मार्जिनल नोट पढ़े सब साफ हो जायेगा .

 
 
4. देश के संविधान में कहीं नहीं लिखा, जम्मू कश्मीर भारत 'अभिन्न’ हिस्सा है
 
भारत का संविधान कही पर भी अपने किसी राज्य के लिए अलग से शब्द का प्रयोग नहीं करता। भारतीय संविधान के अनुसार भारत का चाहे बिहार हो या जम्मू कश्मीर , सभी भारत के अभिन्न अंग है.
 
 

5. अब प्रश्न उठता है शब्द ‘ अभिन्न’ कहाँ से आया है ?
 
यह अभिन्न शब्द जम्मू कश्मीर के संविधान की संकल्पना में और सेक्शन 3 में साफ - साफ कहता है कि ‘जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है . इतना ही नहीं सेक्शन 147 बहुत सपष्टता से बताता है।
 
 

 
 
 
कि राज्य के संविधान मे आप कुछ भी बदल सकते है किंतु सेकशन 3,5 और 147 मे कोई भी परिवर्तन संभव ही नहीं है . यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि जम्मू कश्मीर के संविधान का सेकशन 3 जो जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बताता है मे संशोधन ही नहीं किया जा सकता।
 
 

6. यदि अलगाववादी ने जम्मू कश्मीर संविधान का सेक्शन 3 पढ़ा होता तो " जनमत संग्रह " जैसे मुद्दे ना उठाते !
 
 
जम्मू कश्मीर के विमर्श मे अक्सर कुछ लोग जनमत संग्रह जैसे विषय उठाते है , जो पूर्णतया निरर्थक है . यदि वो सेक्शन 3 , जोकि मात्र एक लाईन का सेक्शन है , पढ़ लेते तो कभी ऐसी बात नहीं करते. भारत ने 1951 मे राज्य मे संविधान सभा का गठन किया. इस संविधान सभा का गठन चुनाव के माध्यम से हुआ ज़िसमे राज्य की आम जनता ने भाग लिया . इसी संविधान सभा ने 6 फरवरी 1954 के दिन राज्य के भारत मे अधिमिलन को सत्यापित कर दिया था . राज्य की आम जनता द्वारा चुनी हुई संविधान सभा के द्वारा अधिमिलन के सत्यापन जम्मू कश्मीर के आम जनता का मत था.
 
 
आज अलगाववादी और आतंकवादी धर्म की आड़ में भावनाओं को भड़का कर देश के इन संवैधानिक तथ्यों से देश के ध्यान भटकाना चाहते है . आज गणतंत्र दिवस के दिन हमें देश के संविधान के इन अंशो को ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचाये यहीं सच्चे अर्थो में देश के संविधान निर्माताओं को नमन होगा।