लोंगेवाला का युद्ध- जब 120 भारतीय सैनिकों ने टैंकों से लैस 2000 पाकिस्तानी सैनिकों को धूल चटा दी थी
   29-Jan-2019
 
 
 
 लेखक- अजीत सिंह
 
4 दिसंबर 1971, भारत-पाकिस्तान सीमा, भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट की 'A' कंपनी के सिर्फ 120 जवान लौंगेवाला में तैनात थे उस रात , जब पाकिस्तान ने हमला किया । रात करीब 9 बजे मेजर चांदपुरी को अपने गश्ती दल से सूचना मिली कि पाकिस्तान की एक बड़ी सेना लोंगेवाला चौकी की तरफ बढ़ रही है . मेजर चांदपुरी ने अपने कमांडिंग ऑफीसर को संदेश भेज मदद मांगी ।
 
 
CO ने स्पष्ट कह दिया .सुबह पौ फटने से पहले कोई मदद भेजना संभव नही । क्योंकि उस ज़माने की हमारी एयर फाॅर्स के लड़ाकू जहाजों में रात में लड़ने हमला करने की क्षमता न थी .लोंगेवाला में तैनात उस टुकड़ी के पास फौजी ट्रक या गाड़ियाँ तक न थीं इसलिए मेजर चांदपुरी को आदेश मिला कि पोस्ट छोड़ के पैदल ही रामगढ़ की ओर कूच करो .मेजर के पास सिर्फ 2 एंटी टैंक गन्स थीं , कुछ मोर्टार और शेष राइफल्स. जबकि सामने दुश्मन के पास 45 शरमन टैंक्स और 500 से ज़्यादा बख्तरबंद गाड़ियाँ और 2000 से ज़्यादा सैनिक ..लोंगेवाल चौकी पे एक पूरी आर्मड ब्रिगेड ने हमला किया था और उनका इरादा लोंगेवाला से आगे बढ़ के रामगढ़ और फिर जैसलमेर तक कब्जा करने का था । 
 
 
 
 
 
मेजर चांदपुरी का निर्णय पोस्ट छोड़ेंगे नहीं बल्कि लड़ेंगे
 
मेजर चांदपुरी ने अपने सैनिकों का उत्साह बढ़ाया और निर्णय लिया कि हम अपनी पोस्ट छोड़ेंगे नही , बल्कि लड़ेंगे . पाकिस्तान आगे बढ़ा आ रहा था , और इधर सब एकदम शांत था । 
 
मेजर साब ने तब तक इंतज़ार किया जब तक दुश्मन एकदम नज़दीक नही आ गया .यानी सिर्फ 100 मीटर दूर और फिर तभी भारत की एंटी टैंक गन्स गरजीं और 4 पाकिस्तानी टैंक हवा में उड़ गए. 
 
पाकिस्तानी फ़ौज ठिठक गयी। हमला इतना अचानक और इतना तीव्र हुआ कि पाकिस्तानी हतप्रभ। तभी उनका सामना A कंपनी की कंटीली तारो की फेंसिंग से हुआ. उनको लगा पूरे इलाके में माइंस बिछी हैं . दुश्मन वहीं रुक गया . इधर चांदपुरी की एंटी टैंक गन्स ने दो और पाकिस्तानी टैंक फोड़ दिए तो उनपे लदे डीज़ल के बैरल धूं धूं कर जलने लगे . खूब तेज़ रोशनी हो गयी और उसमे पूरी पाकिस्तानी सेना रात के अंधेरे में भी साफ साफ दिखने लगी . सिर्फ दो घंटे में हमारे सैनिकों ने 12 Tank मार गिराए थे .लोंगेवाला चौकी को सबसे बड़ा लाभ ये था कि वो एक ऊंचे टीले पे थी और पाकिस्तानी सेना नीचे थी जिसपे ऊपर से आसानी से निशाना लगाया जा सकता था .120 सैनिकों ने पूरे 6 घंटा पाकिस्तान को रोके रखा . तब तक पौ फट गयी . उजाला होते ही एयर फाॅर्स ने हमला किया और 22 टैंक्स और 100 से ज़्यादा बख़्तरबंद गाड़ियाँ उड़ा दी . सभी गाड़ियों पे डीज़ल लदा था क्योंकि उनका इरादा तो जैसलमेर तक चढ़ने का था . पूरी युद्ध भूमि में 100 से ज़्यादा चिताएं जल रही थीं .पाकिस्तानी अपनी 500 से ज़्यादा बख्तरबंद गाड़ियाँ छोड़ के पैदल ही भागे ।
  
 
 
 
क्यों है लोंगोवाल की लड़ाई अनोखी ?
 
दुनिया भर के सैन्य इतिहास में लौंगेवाला का युद्ध इस मामले में अनोखा माना जाता है कि सिर्फ 120 सैनिकों ने सिर्फ 2 M40 एंटी टैंक गन्स , चंद मोर्टार और MMG गन्स के सहारे एक पूरी आर्मर्ड ब्रिगेड को रात भर न सिर्फ रोके रखा बल्कि कायदे से मारा।  
 
युध्द के बाद पाकिस्तान में बाकायदे एक जांच कमीशन बैठा जिसने पाक के 18 Div के कमांडर मेजर जनरल मुस्तफा को क्रिमिनल निगलिजेंस का दोषी पाया और उसको नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया जबकि मेजर चांदपुरी को दूसरे सबसे बड़े सम्मान महावीर चक्र से सम्मानित किया गया और वो ब्रिगेडियर पद से रिटायर हुए .जांच कमीशन ने पाया कि पाकिस्तानी सेना ने बिना किसी योजना के ही हमला कर दिया . उन्हें न रास्ते का ज्ञान था और न टेरेन का . ज़्यादातर टैंक और गाड़ियाँ इसलिए शिकार हुए कि वो रेत में फँस गए थे .. पाकिस्तानी जनरल को ये आभास ही न था कि जब भारतीय एयर फाॅर्स मारेगी तो कहां छिपेंगे ? 

 
 
रोज़ाना सैंकड़ों सैलानी लोंगेवाला युद्ध लोकेशन को देखने जाते हैं, ताजा तस्वीरें
 
 
 
 
 उन्होंने एक अनजान इलाके में रात में हमला करने की गलती की. इसके विपरीत मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी को पता था कि उनकी टुकड़ी एक ऐसे टीले पे तैनात है जिसका डिफेंस बहुत तगड़ा है .. ऊंचाई पे बैठ के दुश्मन से लड़ना आसान होता है . पाकिस्तानी जनरल ने इतने महत्वपूर्ण तथ्य को नज़रअंदाज़ किया और बिना सोचे समझे ही हमला कर दिया और कुत्ते की मौत मरे । 
 
एक तरफ जहां पाकिस्तानी सैन्य लीडरशिप बुरी तरह फेल हुई वहीं मेजर चांदपुरी ने शानदार ज़बरदस्त लीडरशिप का परिचय देते हुए इतिहास में अपना नाम दर्ज किया । 
 
युद्ध खत्म होने के 3 हफ्ते के भीतर दुनिया भर से सैन्य अधिकारी , अफसर और जनरल लौंगेवाला युद्ध का अध्ययन करने आने लगे ..ये युद्ध दुनिया भर की मिलिट्री एकेडेमी में पढ़ाया जाता है . पाकिस्तान ने क्या क्या गलतियां की और भारतीय सेना ने क्या पराक्रम दिखाया ।