क्या मोदी सरकार कर रही है श्री राम जन्मभूमि के पास मंदिर निर्माण की तैयारी, सुप्रीम कोर्ट से मांगी आसपास की 67 एकड़ भूमि श्री राम जन्मभूमि न्यास को वापिस लौटाने की मंजूरी
   29-Jan-2019
 
 
अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करने के लिए मोदी सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है और अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि के आसपास 67 एकड़ भूमि वापिस श्री राम जन्मभूमि न्यास को लौटाने के लिए मंजूरी मांगी है। जिसको 1991 में केंद्र सरकार ने श्री राम जन्मभूमि न्यास से अधिग्रहण कर लिया था। ये श्री राम जन्मभूमि के उस 2.77 एकड़ हिस्से के आसपास की जमीन है, जिसपर सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा है। केंद्र सरकार चाहती है कि ये जमीन श्री राम जन्मभूमि न्यास को वापिस कर दी जाये। ये इस पर कोई विवाद नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस जमीन पर भी यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था।
 
 
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 4 सिविल मुकदमों के फैसले में 2.77 एकड़ श्री राम जन्मभूमि को 3 हिस्सों में बराबर बांटने का फैसला किया था और ये एक-एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा, रामलला को दिये जाने का फैसला दिया था। जिसके बाद इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर की गयी हैं। जिनको सुनने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 5 जजों की एक बेंच बनायी थी। लेकिन संडे को बताया गया कि 29 जनवरी को तय सुनवाई नहीं हो पायेगी, क्योंकि जस्टिस एस एस बोबडे उपलब्ध नहीं हैं। अगली सुनवाई की तारीख अभी तक तय नहीं की गयी है।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
इससे पहले 25 जनवरी को अयोध्या मामले की सुनवाई के लिए चीफ जस्‍ट‍िस रंजन गोगोई ने नई बेंच का गठन कर दि‍या था । इस बैंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा एस ए बोबडे, जस्टिस चंद्रचूड़, अशोक भूषण और अब्दुल नज़ीर शामि‍ल हैं। पिछली बैंच में कि‍सी मुस्‍ल‍िम जस्‍ट‍िस के न होने से कई पक्षों ने सवाल भी उठाए थे।
 
 
इससे पहले बनी पांच जजों की पीठ में जस्‍ट‍िस यूयू ललित शामि‍ल थे, लेकिन उन पर मुस्‍लि‍म पक्ष के वकील राजीव धवन ने सवाल उठाए थे। इसके बाद वह उस पीठ से अलग हो गए थे। इसके बाद चीफ जस्‍ट‍िस ने नई पीठ गे गठन का फैसला किया था।