मै एक इंच पीछे नहीं हटूंगा और तब तक लड़ता रहूँगा, जब तक कि मेरे पास आखिरी जवान और आखिरी गोली है- मेजर सोमनाथ शर्मा।
   31-Jan-2019

 
 
जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इसमें महाराजा हरी सिंह का अतुलनीय योगदान है। उन्होंने अधिमिलन पत्र पर हस्ताक्षर कर पाकिस्तान और अंग्रेजो के काले मंसूबो को फेल किया। वही दूसरी और भारतीय सेना ने समय पर कश्मीर में पहुँच कर पाकिस्तानी सेना को पीछे हटने पर मजबूर किया था. उस दौर में पराक्रम और विजय की कई गाथाएँ लिखी गयी। 
 
 
 
 
ऐसी ही एक कहानी थी देश के प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा की। जिन्होंने अपने सैनिको के साथ मिलकर बड़गाम हवाई अड्डे को पाकिस्तानी सेना से बचाये रखा। जब मेजर सोमनाथ शर्मा श्रीनगर पहुंचे उस समय उनका हाथ टूटा हुआ था. सैन्य अधिकारी नहीं चाहते थे कि वो युद्ध मैदान में जाए लेकिन उन्होंने युद्ध में जाने की जिद्द की। जब वे श्रीनगर पहुंचे तो उनकी टुकड़ी को काम दिया बड़गाम हवाई पट्टी की सुरक्षा।
  
पाकिस्तानी सेना बारामुला को पूरी तरह तबाह कर श्रीनगर की तरफ बढ़ रही थी. हवाई पट्टी श्रीनगर से थोड़ी बाहर थी। पाकिस्तानियो ने वहां जबरदस्त हमला किया। पाकिस्तानी जत्था 700 सैनिको का था। कमांड से आदेश था कि अपनी पोस्ट नहीं  छोड़नी। मेजर सोमनाथ शर्मा और उनके सैनिक पूरी वीरता से लड़े। साढे छह घंटे तक मेजर और उसके 55 सैनिको ने पाकिस्तान के 700 सैनिको को रोके रखा। अंत में मेजर सोमनाथ शर्मा लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। उन्होंने अपनी ब्रिगेड को अंतिम सन्देश में कहा था " {मै एक इंच पीछे नहीं हटूंगा और तब तक लड़ता रहूँगा, जब तक कि मेरे पास आखिरी जवान और आखिरी गोली है" . जो मेजर सोमनाथ शर्मा ने कहा उसे पूरा भी कर दिखाया। उन्होंने पराक्रम और कुर्बानी की एक अभूतपूर्व मिसाल कायम की जिसमें 55 जांबाजों ने 700 से ऊपर दुश्मन की फौज को छः घंटे तक रोके रखा जब तक कि अपने सेना की अतिरिक्त मदद पहुँच नहीं गयी