पाकिस्तान में गृह-युद्ध के हालात, आर्मी चीफ और कोर कमांडर आमने-सामने, इमरान खान सरकार गिराने के लिए विपक्ष इस्लामाबाद में एकजुट
   01-नवंबर-2019
 
 
 
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान एक और शुक्रवार के दिन पीओजेके में जम्मू कश्मीर को लेकर भारत के खिलाफ भाषणबाज़ी देने पहुंचे। आर्टिकल 370 को हटाये जाने के बाद हरेक शुक्रवार को निभाये जाने वाली इस कागज़ी रिवायत में महज कुछ सौ लोग ही शिरकत करने पहुंचे। गिलगिल में आयोजित इस मौसमी कार्यक्रम में ज्यादातर सुरक्षा एजेंसियों के जवान थे। यहां इमरान खान ने जमकर भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला। लेकिन विडंबना देखिए ठीक इसी समय पाकिस्तान की राजधानी में लाखों लोग जमा हैं। जोकि इमरान खान सरकार के खिलाफ सड़कों पर जमा है और सरकार गिराने की मांग को लेकर हंगामाखेज़ हैं। विपक्षी पार्टी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फज़ल) के इस विरोध प्रदर्शन में अन्य विपक्षी पार्टियां भी समर्थन कर रही हैं। जिसमें पाकिस्तान पीपल्स पार्टी, एएनपी, पीएमएल-एन भी शामिल हैं। इनके कारकून में इमरान के इस्तीफे की मांग को लेकर इस्लामाबाद में इकठ्ठा हो चुके हैं।
 
 
 
 
अब तक मिल रही खबरों के मुताबिक पाकिस्तान की राजधानी में गृहयुद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। क्योंकि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फज़ल) के एक मिलिशिया विंग के कारकून लाठियों और हथियारों के साथ इस्लामाबाद की सड़कों पर जमा हैं। जोकि पाकिस्तानी सुरक्षा एजेंसियों की किसी भी कार्रवाई का हिंसक जवाब देने के लिए तैयार हैं।
 
 
 
 
सुरक्षा एजेंसियों ने इस्लामाबाद में जलसे में शामिल होने के लिए काफिलों को रोकने के लिए सड़कों को बड़े कंटेनरों के जरिये बंद कर दिया है। लेकिन इसके बावजूद भी कम से कम 5 लाख कारकून इस्लामाबाद पहुंच चुके हैं।
 
 
 

 
 
पाकिस्तानी आर्मी चीफ और कोर कमांडर के बीच फूट
 
 
 
दरअसल इस जलसे के पीछे आर्मी चीफ और कोर कमांडरों की बीच आपसी भिडंत सामने आयी है। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा को 3 साल का एक्सटेंशन मिलने के बाद कम से कम 3 कोर कमांडर बेहद नाराज़ हैं। जोकि बाजवा के रिटायरमेंट की सूरत में आर्मी चीफ बनने की कतार में थे। लेकिन बाजवा को 3 साल का एक्सटेंशन मिलने के बाद इनको कोई मौका नहीं मिलेगा। बल्कि आर्मी चीफ के एक्सटेंशन खत्म होने से पहले ही रिटायर हो जायेंगे। लिहाजा ये कोर कमांडर अभी भी जनरल बाजवा के एक्सटेंशन पर रोक लगाने के लिए दवाब बना रहे हैं। गौरतलब है कि जनरल बाजवा को इसी महीने के बीच में रिटायर होना था।
 
 
 
पुख्ता सूत्रों के मुताबिक इस हफ्ते आर्मी चीफ और कोर कमांडरों के मीटिंग में जनरल बाजवा और कोर कमांडरों के बीच जमकर तू-तू मैं-मैं हुई है। बाजवा के खिलाफ आवाज उठाने वाले आर्मी ऑफिसरों में लेफ्टिनेंट जनरल सरफराज़ सत्तार, चीफ ऑफ जनरल स्टाफ नदीम रज़ा, कराची कोर कमांडर हुमांयू अजीज शामिल हैं। इन तीनों ने आर्मी चीफ बाजवा पर जमकर आरोप लगाये और इस्तीफा देने का दवाब बनाया।
 
 
 
 
 
 
 
मौलाना फजलुर्रहमान के धरने के पीछे हैं आर्मी कोर कमांडर
 
 
दरअसल इमरान खान सरकार द्वारा जनरल बाजवा को एक्सटेंशन देने के बाद तीनों कोर कमांडर ने एक योजना बनायी है। जिसके जरिये या तो इमरान सरकार को गिराया जाये या फिर जनरल बाजवा का एक्शटेंशन खत्म करवाया जाये। जिसके लिए आर्मी कमांडरों ने चुपके से जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फज़ल) पार्टी के मुखिया मौलाना फजलुर्रहमान से एक डील की है। जिसके तहत ही लाखों लोग इमरान खान से इस्तीफा लेने के लिए सड़कों पर उतरे हैं। तीनों कोर कमांडर पर्दे के पीछे से इस इमरान खान विरोधी जलसे को हर तरीके से समर्थन दे रहे हैं। यहीं वजह है कि पाकिस्तान सरकार चाहकर भी इस जलसे को बंद कराने में नाकामयाब रही है।
 
 
धरना खत्म कराने को मांगी थी सऊदी सरकार से मदद
 
 
 
जब आर्मी के जरिये इमरान खान सरकार मौलाना फजलुर्रहमान के धरने को रोक नहीं पायी तो पाकिस्तान सरकार ने सऊदी सरकार ने इसको रोकने के लिए गुहार लगायी थी। पुख्ता सूत्रों के मुताबिक इमरान खान सरकार के इस्लामाबाद स्थित प्रतिनिधियों ने सऊदी अरब के दूतावास में मीटिंग की थी। जिसमें उन्होंने सऊदी सरकार से गुहार लगायी कि वो अपने इस्लामिक नेटवर्क के जरिये मौलाना फजलुर्रहमान पर धरना खत्म करने का दवाब बनायें। लेकिन पाकिस्तान की ये चाल भी कामयाब नहीं हो पायी।
 
 
आपको बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (फज़ल) पार्टी को बहुत बड़ी आर्थिक मदद सऊदी अरब से मिलती है।
 
  
ऐसे में साफ है कि इस्लामाबाद में हालात बेहद नाजुक बने हुए हैं। जानकारों के मुताबिक अगर ये धरना कुछ दिन भी कामयाब रहता है तो पहले से महंगाई, कर्ज जैसे मुद्दों पर घिरी सरकार के लिए बने रहना नामुमकिन होगा। आशंका जताई जा रही है कि मामला गृह-युद्ध की तरफ भी बढ़ सकता है।