जनरल बाजवा को बड़ा झटका, रिटायरमेंट से 3 दिन पहले एक्सटेंशन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी रोक, इमरान खान ने बाजवा को दिया धोखा?
   26-नवंबर-2019

 
पाकिस्तान के चीफ जस्टिस आसिफ सईद खोसा ने आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा और इमरान खान सरकार को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस खोसा ने 3 साल के एक्टेंशन को लेकर नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी है। इसी के साथ जनरल बाजवा के एक्सटेंशन पर खतरे साफ नज़र आने लगा है। आपको बता दें कि जनरल बाजवा 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं।
 
 
इस मामले की अगली सुनवाई अब बुधवार को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में इमरान खान सरकार, डिफेंस मिनिस्ट्री और जनरल बाजवा को नोटिस जारी किया है। मंगलवार को सुनवाई स्थगित करने से पहले जस्टिस खोसा ने कहा कि आर्मी चीफ के एक्सटेंशन का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति को है। जबकि नोटिफिकेशन इमरान खान सरकार ने जारी किया। जोकि सही नहीं है।
 
 
जानकारों के मुताबिक जनरल बाजवा के साथ खेल खेलने में पीएम इमरान खान पर संदेह जताया जा रहा है। सुनवाई के दौरान सामने आया कि इमरान खान सरकार ने एक्सटेंशन को मंजूरी देने के दौरान जानबूझकर तय नियमों को अनदेखा किया। जिससे एक्सटेंशन में अड़चनें पैदा हो सकें।
 
 
आपको बता दें कि इमरान खान सरकार ने जनरल बाजवा को 3 साल का एक्सटेंशन देते हुए 19 अगस्त को नोटिफिकेशन जारी किया था। जिसके बाद 21 अगस्त को इमरान खान कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गयी थी। जिसके बाद पाकिस्तान बार काउंसिल समेत आर्मी ऑफिसर्स ने इस एक्सटेंशन का भारी विरोध किया था।
 
 
बाद में मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केस पर सुनवाई शुरू की। मंगलवार को इसी मामले में जस्टिस खोसा ने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर जनरल बाजवा को 19 अगस्त को नोटिफिकेशन जारी किया था तो इमरान खान कैबिनेट ने मंजूरी 21 को क्यों दी। साथ ही जब जस्टिस खोसा ने अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान से पूछा कि क्या कैबिनेट की मंजूरी के बाद राष्ट्रपति से मंजूरी ली गयी थी, तो अटॉर्नी जनरल में मना करते हुए कहा कि राष्ट्रपति से अब मंजूरी ली जा सकती है।
 
 
सुनवाई के दौरान सामने आया कि मंजूरी के दौरान 25 कैबिनेट मंत्रियों में से सिर्फ 11 मंत्री उपस्थित थे। यानि ये एक अल्पमत कैबिनेट का निर्णय था। इस पर भी जस्टिस खोसा ने सवाल उठाते हुए कहा कि- “कैबिनेट के 14 मेंबर्स ने कोई अनुपस्थित होने के कारण कोई मत नहीं दिया, तो ऐसे में सरकार ने उनकी चुप्पी को हां कैसे माना।”
 
 
इस पर अटॉर्नी जनरल ने स्वीकारा कि जिन्होंने एक्सटेंशन के पक्ष में हां नहीं कहा था, वो ही कैबिनेट मीटिंग में शामिल नहीं हुए थे।
 
 
इसके अलावा इस केस की सुनवाई कर रहे 3 जजों की बेंच में शामिल जस्टिस मंसूर अली शाह ने भी सवाल उठाया कि सरकार ने एक्सटेंशन देते समय कोई कारण तक नहीं बताया।
 
 
साफ है कि इमरान सरकार ने भारी दबाव में जनरल बाजवा को एक्सटेंशन तो दे दिया, लेकिन प्रक्रिया में ऐसी खामियां छोड़ दी, जोकि अब सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिक पायेंगी। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या इमरान खान ने जानबूझकर जनरल बाजवा को धोखा दिया।
 
 
बहरहाल सुप्रीम कोर्ट को इस मामले का फैसला अगले 2-3 दिनों में करना होगा।