जनरल बाजवा आज रात होंगे रिटायर, एक्सटेंशन पर पाकिस्तान बार काउंसिल के देशव्यापी विरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी
   28-नवंबर-2019
 
 
 
पाकिस्तान आर्मी जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल गुरूवार रात खत्म हो रहा है, यानि शुक्रवार को जनरल बाजवा का रिटायर होना तय है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में अभी तक उनके 3 साल के एक्सटेंशन पर फैसला नहीं हो पाया है। इमरान खान सरकार के पास सिर्फ आज यानि गुरूवार का दिन बचा है, जिसमें वो सुप्रीम कोर्ट के इस बात के लिए समझा पायें कि जनरल बाजवा का एक्सटेंशन पाकिस्तान के संविधान सम्मत हुआ है। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।
 
 
गुरूवार को सुबह 10 बजे लगातार तीसरे दिन एक्सटेंशन पर बहस फिर से शुरू हुई। जिसमें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आसिफ सईद खोसा, जस्टिस मियां मजहर आलम खान मियांखेल और जस्टिस सैयद मंसूर अली शाह ने बाजवा के एक्सटेंशन पर कुछ नये सवाल खड़े कर दिये। जब अटॉर्नी जनरल अनवर मंसूर खान पूर्व आर्मी चीफ अशफाक परवेज़ कयानी के एक्सटेंशन का नोटिफिकेशन पेश करते हुए हवाला दिया कि पहले भी एक्सटेंशन दिया जाता रहा है, तो कोर्ट ने सवाल उठाया कि फिर पिछले जनरल रहील शरीफ समय पर रिटायर क्यों हुए। उन्हें एक्सटेंशन क्यों नहीं दिया गया।
 
 
आपको बता दें कि 2010 में पीपीपी सरकार ने 2010 में जनरल कयानी को 3 साल का एक्सटेंशन दिया था। इस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया कि आखिर कयानी को किन ग्राउंड्स पर एक्सटेंशन दिया गया। रिटायरमेंट के बाद उनको पेंशन और भत्ते क्या दिये गये, वो भी कोर्ट ने पेश करने को कहा।
 
 
पिछले तीन दिनों की बहस से साफ है कि इमरान खान सरकार सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त करने में नाकाम रही है कि जनरल बाजवा का एक्सटेंशन संविधान सम्मत हुआ है। जानकारों की मानें तो कोर्ट एक्सटेंशन के कतई पक्ष में नहीं है। जिसका नतीजा ये होगा कि शुक्रवार को जनरल बाजवा को तमाम हथकंडे अपनाने के बावजूद भी अपना मौजूदा कार्यकाल पूरा करने के बाद रिटायर होना होगा।
 
 
 

यानि जनरल बाजवा को अगर एक्सटेंशन मिलता है तो वो नवंबर 2002 में रिटायर होंगे। तब तक उनके मातहत काम करने वाले कम से कम 20 जनरल रैंक के अधिकारी रिटायर हो चुके होंगे।
  
 
 
पाकिस्तान बार काउंसिल का विरोध
 
 
 
एक तरफ सुप्रीम कोर्ट में बहस जारी है, दूसरी तरफ पाकिस्तान बार काउंसिल ने गुरूवार को एक्सटेंशन के खिलाफ देशव्यापी विरोध की घोषणा कर रखी है। जाहिर है सुप्रीम कोर्ट अपनी बार काउंसिल के विरोध को नज़रअंदाज नहीं कर पायेगी।
 
 
दरअसल पाकिस्तान में आर्मी जनरल को एक्सटेंशन दिये जाने के फैसले एक और मिलिट्री राज की आहट के तौर पर देखा जा रहा है। आर्थिक औऱ सामरिक तौर पर अलग-थलग पड़े पाकिस्तान में एक और तख्तापलट हो सकता है, इन्हीं आशंकाओं को देखते हुए पाकिस्तान में जबरदस्त विरोध देखा जा रहा है। विरोध करने वालों में सबसे आगे पाकिस्तान बार काउंसिल है।
 
 

 
 
 
एक्सटेंशन का नोटिफिकेशन जारी होने के बाद 20 अगस्त को भी पाकिस्तान बार काउंसिल ने पीएम इमरान खान से मांग की थी, कि जल्द इस फैसले को बदला जाये। तब बार काउंसिल ने अपने बयान में कहा है कि चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ को दिया जाने वाला एक्सटेंशन देश के खिलाफ है, संवैधानिक संस्थाओं के खिलाफ है। लिहाजा इस फैसले को बदला जाये और नया चीफ नियुक्त किया जाये। पाकिस्तान बार काउंसिल एक ऐसी संस्था है, जोकि पूरे पाकिस्तान की कानूनी बिरादरी का प्रतिनिधित्व करती है।
 
 
 
ये फैसला इसीलिए भी हैरान करने वाला था, क्योंकि इमरान खान ने हमेशा अपने पूरे पॉलिटिकल करियर में किसी भी आर्मी चीफ को एक्सटेंशन देने का पुरज़ोर विरोध करते रहे हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इमरान खान को मर्जी के खिलाफ दबाव में ये फैसला लेना पड़ा।
 
 
लेकिन इसी आशंका को देखते हुए पाकिस्तान में इसका खासा विरोध देखने को मिला। आर्मी के पूर्व जनरलों, पत्रकारों और पॉलिटिकल पार्टियां इस फैसले का पुरज़ोर विरोध कर रही हैं।
 
 
दरअसल 19 अगस्त को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा को 3 साल का एक्टेंशन दे दिया था, जोकि 29 नवंबर को अपना मौजूदा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं।