अयोध्या में होगा भव्य राम मंदिर के निर्माण, सुप्रीम कोर्ट ने सर्वसम्मति से सुनाया ऐतिहासिक फैसला
   09-नवंबर-2019

 
देश के सबसे पुराने केस में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई जमीन का मालिकाना हक श्री रामजन्म भूमि ट्रस्ट को देने का फैसला सुना दिया है। 1045 पेज के फैसले को सुनाते हुए संवैधानिक पीठ ने पहले निर्मोही अखाड़ा और शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया। फिर अयोध्या में रामजन्मभूमि न्यास को विवादित जमीन देने का फैसला सुनाया। साथ ही मुस्लिम पक्ष को अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को तय समय के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है, जोकि मंदिर निर्माण करेगा।
 
फैसले के मुख्य बिंदू-
 
 सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने 5-0, सर्वसम्मति से सुनाया फैसला
 
 आस्था और विश्वास पर नहीं, कानून के आधार पर फैसला
 

 रामजन्मभूमि न्यास को दिया गया मालिकाना हक
 
 3 महीने में केंद्र सरकार को करना होगा मंदिर ट्रस्ट का गठन
 
 राम मंदिर निर्माण की रूपरेखा तैयार करेगा नया ट्रस्ट
 
 भव्य श्रीराम मंदिर बनने का रास्ता साफ
 

 सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन देने का आदेश
 
 मुस्लिम पक्ष को जमीन देने की जिम्मेदारी योगी सरकार की
 

 निर्मोही अखाड़े और शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज
 
 पक्षकार गोपाल विशारद को मिला पूजा-पाठ का अधिकार
 
मुस्लिम पक्ष का एकाधिकार सिद्ध नहीं हुआ
 
 
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दस्तावेज़ों से पता चलता है कि 1885 से पहले हिन्दू अंदर पूजा नहीं करते थे। बाहरी अहाते में रामचबूतरा सीता रसोई में पूजा करते थे। 1934 में दंगे हुए, उसके बाद से मुस्लिम पक्ष का एकाधिकार आंतरिक अहाते में नहीं रहा। मुसलमान उसके बाद से अपना एकाधिकार सिद्ध नहीं कर पाए। हिन्दू पक्ष निर्विवाद रूप से बाहर पूजा करते रहा।
 
 

 
 

इन जजों ने सुनाया फैसला
 
 
संवैधानिक पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नज़ीर ने फैसला सुनाया। खास बात है कि यह फैसला पांचों जजों की सर्वसम्मति से सुनाया गया है। इस फैसले के बाद चीफ जस्टिस अन्य 4 जजों के साथ ताज़ होटल में डिनर करेंगे।