टेरर फंडिंग मामले में आतंकी हाफिज सईद पर आरोप तय, पाकिस्तान की आतंकवाद निरोधी अदालत ने माना आरोपी
पाकिस्तान की आतंक निरोधी अदालत ने बुधवार को जमात-उल-दावा आतंकी संगठन प्रमुख हाफिज सईद के खिलाफ टेरर फंडिंग मामले में आरोप तय किया। इससे पहले शनिवार को ही आतंक निरोधी अदालत में हाफिज सईद के खिलाफ आरोप तय होना था, लेकिन मामले का दूसरा आरोपी मलिक जफर कोर्ट में हाजिर नहीं था, जिस कारण कोर्ट ने मामले की सुनवाई 11 दिसंबर तक के लिये टाल दी थी। आतंकवाद निरोधी अदालत के जज मलिक अरशद भुट्टा ने हाफिज सईद और उसके साथियों के खिलाफ पंजाब प्रांत के विभिन्न शहरों में आतंकी संगठनों को फंडिंग करने का आरोप तय किया।
एनजीओ के नाम पर इकट्ठा किया जाता था धन
हाफिज पर लाहौर, गुजरांवाला और मुल्तान में अल-अंफाल ट्रस्ट, दावातुल इरशाद ट्रस्ट और मुआज बिन जबाल ट्रस्ट और अन्य एनजीओ के नाम पर रकम जुटाकर आतंकियों की फंडिंग करने का आरोप था। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की पुलिस ने हाफिज सईद और उसके साथियों के खिलाफ टेरर फंडिंग के आरोपों में पंजाब प्रांत के विभिन्न शहरों में 23 एफआईआर दर्ज की हुयी है। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद 17 जुलाई को पाकिस्तान पुलिस ने हाफिज सईद को गिरफ्तार किया था। फिलहाल हाफिज सईद लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव बनाने के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने शुरू की थी जांच
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव में पाकिस्तानी अधिकारियों ने लश्कर-ए-तैयबा, जेयूडी और उसकी चैरिटी शाखा फलाह-ए-इन्सानियत फाउंडेशन के खिलाफ जांच शुरू की थी। इसके बाद जांच में सामने आया कि आतंकवाद को बढ़ावा देने और आतंकियों की मदद करने के लिये इन ट्रस्टों का इस्तेमाल किया जाता है। हाफिज सईद के नेतृत्व वाला जेयूडी लश्कर-ए-तैयबा का सबसे प्रमुख संगठन है। यह संगठन साल 2008 के मुंबई हमलों के लिये भी दोषी है, जिसमें 166 लोगों की जान गयी थी।