कश्मीरी नेताओं ने युवाओं को जन्नत का रास्ता बताकर पत्थरबाज बनाया, और अपने बच्चों को अमेरिका भेजा - केंद्रीय मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह
   14-दिसंबर-2019

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कश्मीर के नेताओं ने अभी तक घाटी के युवाओं को जन्नत का रास्ता बताकर पत्थरबाज बनाया, और खुद अपने बच्चों को पढ़ने के लिये अमेरिका भेजा है। उनके द्वारा बताया गया रास्ता अगर जन्नत का था, तो अपने बच्चों को क्यों जन्नत में नहीं भेजा था। डॉ जितेंद्र सिंह ने शनिवार को हैदराबाद में आयोजित “मेरा क्या कॉन्क्लेव” कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। उन्होंने कहा कि कश्मीर के नेताओं ने अपने स्वार्थ के लिये हिंदुओं के साथ कश्मीरी मुस्लिमों को भी ठगा है।
 
जम्मू कश्मीर में कितने कानून लागू है ? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में अब सभी केंद्रीय कानून लागू हैं। देश की जनता के दिमाग में अभी भी अनुच्छेद 370 बैठा हुआ, लेकिन सच यह हैं कि अनुच्छेद 370 अब हमेशा के लिये निष्क्रिय हो चुका है। जम्मू-कश्मीर राज्य भी अब देश के बाकी केंद्रशासित प्रदेशों की तरह है, जहां पर केंद्र की सभी कानून और योजनायें लागू हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश इसलिये बनाया गया ताकि इन दोनों राज्यों का विकास हो सके। जितेंद्र सिंह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में नेताओं ने अपने स्वार्थ की वजह से जनता के हित में कभी कोई कानून लागू नहीं होने दिया। उदाहरण के तौर पर जम्मू-कश्मीर में चाइल्ड मैरेज एक्ट लागू नहीं था, जिस कारण नाबालिक लड़कियों की शादी कम उम्र में हो जाती थी, लेकिन अब वहां की जनता को केंद्र सरकार की सभी योजनायें और कानून का लाभ मिलेगा।
 
 
35 ए ने जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को अपने हक से रखा था वंचित
 
 
जितेंद्र सिंह ने कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों को संबोधित करते हुये कहा कि कुछ महीनों पहले तक 35 ए के कारण महिला और दलित नागरिक अपने हक से वंचित थे। उन्होंने कहा कि 35 ए के कारण 70 साल पहले आये नागरिकों को अभी तक नागरिकता नहीं मिली थी। लेकिन 370 और 35 ए के खत्म होने के साथ ही अब वहां के नागरिकों को उनका हक और नागरिकता मिला हैं। विदेशों में कुछ साल रहने के बाद नागरिकों को ग्रीन कार्ड मिल जाता है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में 70 सालों से रहने वाले नागरिकों को अभी तक नागरिकता नहीं मिली थी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर की तरह जो अन्य राज्य अभी तक विकसित नहीं हुये है, उसे विकसित करना सरकार का लक्ष्य है। 
 
उन्होंने कहा कि वह अपने जीवन में अमित शाह से ज्यादा दयालु गृह मंत्री नहीं देखे है। दरअसल जम्मू-कश्मीर में नजरबंद नेताओं के सवाल के जवाब में उन्होंने यह बात कही। उन्होंने कहा कि हाउस अरेस्ट का मतलब होता है कि दुनिया और लोगों की नजरों से कही दूर कोठरी में बंद करना। लेकिन जम्मू-कश्मीर में जो नेता नजरबंद है, वह असल अर्थ में नजरबंद नहीं है। उन्होंने कहा कि नजरबंद का नियम वह था, जो जवाहर लाल नेहरु ने अपने मित्र शेख अब्दुल्ला के साथ किया था। नेहरु ने शेख अब्दुल्ला को 2 हजार किलोमीटर दूर तमिलनाडु में नजरबंद रखा था।