5 दिसंबर-शेख अब्दुल्ला के जन्मदिन और 13 जुलाई का अवकाश रद्द, 26 अक्टूबर पर होगा अधिमिलन दिवस का अवकाश
   28-दिसंबर-2019

Accession Day- 26 October
 
 
अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भी जम्मू कश्मीर में ऐतिहासिक गलतियों को सुधारने की प्रक्रिया जारी है। शुक्रवार को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने साल 2020 के लिए हॉलीडे कैलेंडर जारी किया, जिसमें सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए शेख अब्दुल्ला के जन्म दिन यानि 5 दिसंबर और 13 जुलाई के दिन छुट्टियों को रद्द कर दिया। बल्कि 26 अक्टूबर को अधिमिलन दिवस के रूप में मनाने के लिए अवकाश की घोषणा की है। आपको बता दें कि 26 अक्टूबर 1947 के दिन ही जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने अधिमिलन पत्र पर हस्ताक्षर किये थे।
13 जुलाई का इतिहास-
 
 
जम्मू कश्मीर के लोग दशकों से इसकी मांग करते आ रहे थे। खासतौर पर 13 जुलाई का दिन जम्मू कश्मीर में ब्लैक-डे के रूप में मनाया जाता था। जबकि अलगाववादी इस दिन को Maryrs’ day के तौर पर मनाते थे। दरअसल 13 जुलाई 1931 की तारीख वो काला अध्याय है, जिस दिन जम्मू कश्मीर के इतिहास में सांप्रदायिक दंगों की शुरूआत हुई थी। ये वो दिन था जब जम्मू कश्मीर के आधुनिक इतिहास में अलगाववाद, आतंकवाद और सांप्रदायिकता के बीज बोये गये थे।
 
 

Accession Day- 26 October
 
 
 
दरअसल 13 जुलाई 1931 को महाराजा हरि सिंह के डोगरा राज के विरोध में शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में दंगाईयों की एक भीड़ ने पहले श्रीनगर जेल से एक कट्टरपंथी अब्दुल कादिर पठान को छुड़वाने के लिए जेल के दरवाज़े तोड़ने की कोशिश की। इस दौरान सुरक्षा में तैनात सिपाहियों पर जमकर पत्थरबाज़ी हुई..। हिंसक भीड़ जब काबू से बाहर हुई तो पुलिस प्रशासन को गोलियां चलानी पड़ी। जिसमें 22 दंगाई मारे गये।
 
 
लेकिन दंगा इससे थमा नहीं, बल्कि भड़क गया। पुलिस प्रशासन की कार्रवाई के बाद दंगाईयों की भीड़ ने श्रीनगर में चुन-चुनकर कश्मीरी हिंदूओं पर हमले किये। जमकर हिंदूओं की दुकानों-घरों में लूटपाट हुई, तोड़फोड़ की गय़ी। इसका पूरा ब्यौरा इस दंगे पर अंग्रेजों द्वारा गठित की गयी बरजोर दलाल कमेटी में दिया गया है।
 
बाद में इन्हीं दंगाईयों को रोकने की कोशिश में पुलिस प्रशासन की कार्रवाई में मारे गये लोगों को शहीदों को दर्जा देकर पिछले 70 सालों से जम्मू कश्मीर में एक सांप्रदायिक एजेंडा Maryrs’ Day मनाया जाता रहा है। जबकि जम्मू कश्मीर में ज्यादातर लोग इसको ब्लैक डे के रूप में मनाते हैं। जिस दिन महाराजा हरि सिंह के खिलाफ सांप्रदायिक ताकतों ने हिंसा के सहारे पूरे श्रीनगर को दंगों की आग में झोंक दिया था। वो आग जो आज तक नहीं बुझ पायी।
 
 
सरकार ने इस अलगाववाद और सांप्रदायिकता के इस प्रतीक दिन की छुट्टी रद्द कर बड़ी भूल-सुधार की है।
5 दिसंबर का इतिहास-
 
 
पिछले 70 सालों से शेख अब्दुल्ला को जम्मू कश्मीर के आधुनिक संस्थापक के तौर पर प्रस्तुत करने की कोशिश की जाती रही है। इसी कोशिश उनके जन्मदिन 5 दिसंबर को ठीक ऐसे ही मनाया जाता था, जैसे देश में महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को मनाया जाता है। हालांकि सच ये है कि जम्मू कश्मीर में अलगाववाद के बीज शेख अब्दुल्ला ने ही बोये थे। उनके देशविरोधी बयानों के चलते ही तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू ने ही उनको 9 अगस्त 1953 को गिरफ्तार कर जेल में डालना पड़ा था। ऐसे शख्स के जन्मदिन को राजकीय अवकाश घोषित करना जम्मू कश्मीर के साथ बड़ा छल था।
 
 
26 अक्टूबर का इतिहास-
 
 
26 अक्टूबर 1947 को जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ अधिमिलन पत्र पर हस्ताक्षर किये थे। । अधिमिलन के नियमों के अनुसार प्रिंससी स्टेट्स के सिर्फ राजा य़ा नवाब को ये अधिकार था, कि वो अपने राज्य का भविष्य तय करे कि उसे किस देश का हिस्सा बनना है, भारत का या पाकिस्तान का। अंग्रेजी कूटनीति औऱ जिन्ना की तमाम कोशिशों, छल-प्रपंचों के बावजूद महाराज हरि सिंह ने भारत को चुना। उनके एक हस्ताक्षर के चलते ही यूनाइटेड नेशन्स ने भी माना कि अविभाज्य जम्मू कश्मीर सिर्फ और सिर्फ भारत का संवैधानिक राज्य है। इसी अधिमिलन पत्र को अंतिम मानते हुए यूएन ने पाकिस्तान को पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर से अपनी सेनायें वापिस लेने को कहा था। लेकिन ब्रिटेन औऱ अमेरिका की शह पर पाकिस्तान ने यूएन की भी एक नहीं सुनी, और इस तरह जम्मू कश्मीर का आधे से ज्यादा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया।
 
 
लेकिन अलगाववादी शक्तियां ऐसे महत्वपूर्ण दिन प्रोपगैंड़ा चलाते थे और साबित करने की कोशिश करते थे कि अधिमिलन पूर्ण नहीं था। इस दिन अवकाश घोषित करने से जम्मू कश्मीर में राष्ट्रवादी ताकतों को बड़ा संबल मिलेगा।