याद रहेगी कुर्बानी: 2 फरवरी 2018 माछिल सेक्टर हिस्खलन में शहीद कमलेश, बलवीर और राजेंद्र सिंह की कहानी
   01-Feb-2019
 
जम्मू कश्मीर में माइनस 30 डिग्री तापमान में लाइन ऑफ कंट्रोल पर देश की रक्षा के लिए ड्यूटी करना कम चुनौती भरा नहीं होता। जिसके सीने में देश की रक्षा और सम्मान की ज्वाला हो, वहीं ऐसी जानलेवा परिस्थितियों में डटकर खड़ा सकता है। ऐसे ही थे भारत मां की तीन सच्चे सपूत, शहीद कमलेश, बलवीर और राजेंद्र सिंह। तीनों राजस्थान के रहने वाले थे, और 21 राजपूत रेजीमेंट के जवान थे। जोकि जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में माछिल सेक्टर लाइन ऑफ कंट्रोल पर तैनात थे।
 
 
जनवरी 2018 की कड़कड़ाती ठंड के दौरान जम्मू कश्मीर में भारी बर्फ़बारी के बीच वहां रह पाना बहुत ही कठिन हो गया था। 31 जनवरी 2018 को अफ़ग़ानिस्तान में आये 6.2 तीव्रता के भूकंप के कारण मौसम विभाग ने कश्मीर घाटी के ऊँचे इलाकों में तीसरे स्तर के हिमस्खलन की चेतावनी जारी की। 2 फरवरी 2018 को सुबह साढे 4 बजे माछिल सेक्टर के सोनपंडी गली में एक भारी हिमस्खलन हुआ। हिमस्खलन की रफ़्तार इतनी तेज़ थी की हवलदार कमलेश, राजेंद्र सिंह, बलवीर और उनके एक और साथी को बचने का कोई मौका नहीं मिला और वो कई मीटर ऊंची बर्फ की परत के नीचे दब गये। आर्मी ने बड़े पैमाने पर रहत बचाव का कार्य शुरू किया। घंटों मशक्कत करने के बाद चारों सैनिको को बर्फ़ से निकाला गया। पता चला कि एक जवान की मौत हो चुकी है। जबकि 3 को बादामीबाग़, श्रीनगर के आर्मी बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां 2 और जवानों ने दम तोड़ दिया। चौथा जवान विपिन को बचा लिया गया। तीनों शहीद जवानों की पहचान हवलदार कमलेश, लांस नायक बलवीर सिंह और सिपाही राजेंद्र सिंह के तौर पर हुई।
हवलदार कमलेश
 

 
 
 
39 वर्षीय हवलदार कमलेश मूलत: राजस्थान के झुंझुनू क्षेत्र के रहने वाले थे। यहां शहीद कमलेश की अंतिम यात्रा के दर्शन करने के लिए हज़ारों लोगों की भीड़ इकठ्ठा हुई। उनकी रेजीमेंट के कैप्टन अविनाश गिरी के नेतृत्व में आयी सेना और झुंझुनू से एसआई राकेश कुमार के नेतृत्व में राजस्थान पुलिस ने शहीद कमलेश को गॉर्ड ऑफ़ ऑनर दिया। कैप्टन अविनाश गिरी ने शहीद कमलेश के पिता को राष्ट्र ध्वज भेंट किया।
 
 

सिपाही राजेंदर सिंह
 

 
 
 
25 वर्षीय सिपाही राजेंदर सिंह का जन्म राजस्थान के अलवर में हुआ और वही पर पले-बढ़े। शहीद राजेंद्र सिंह का पार्थिव शरीर 3 फरवरी देर रात जयपुर से सेना के वाहन में अलवर स्थित मिलिट्री एरिया पहुंचा। 4 फरवरी को सुबह 8 बजे उनकी पार्थिव देह मैथाना रवाना की गई। रास्ते में मोराका नगर, तसई और कठूमर में सेना के वाहन को रोक दर्जनों गांवों के लोगों ने पुष्प चक्र, फूलमालाओं से नमन किया।
 
 
लांस नायक बलवीर
 
 
 
25 वर्षीय लांस नायक बलवीर का जन्म राजस्थान के भरतपुर के रहने वाले थे। शहीद बलवीर का पार्थिव शरीर 4 फरवरी को उनके घर पहुंचा। जहां उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर राज्य के कई प्रशासनिक अधिकारियों समेत हज़ारों लोगों ने शहीद बलवीर को अंतिम विदाई दी।