क्या फिर टलेगी आर्टिकल 35A की सुनवाई? जम्मू कश्मीर प्रशासन ने की सुनवाई टालने की अपील, सुप्रीम कोर्ट में इसी हफ्ते Listed है मामला
   11-Feb-2019
 
 
सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर से संबंधित आर्टिकल 35A संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कुछ और दिन टलने के आसार मंडराने लगे हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में इसी हफ्ते की वीकली लिस्ट के मुताबिक 12-14 फरवरी के बीच सुनवाई की जानी है। हालांकि सुनवाई के वक्त और कोर्ट की फाइनल लिस्टिंग अभी होनी बाकी थी। लेकिन उससे पहले ही जम्मू कश्मीर राज्य प्रशासन के वकील शोएब आलम ने रजिस्ट्रार को एक पत्र लिखकर मामले की सुनवाई टालने की अपील की है। इस पत्र में शोएब आलम ने कहा है कि ये मामला जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए काफी संवेदनशील है। चूंकि राज्य में अभी राष्ट्रपति शासन लगा है और कोई चुनी हुई सरकार नहीं है। लिहाजा मामले की सुनवाई नयी चुनी हुई सरकार आने तक टाल दी जाये।
 
 
हालांकि इस अपील पर सुप्रीम कोर्ट क्या रूख अपनाती है, ये देखना दिलचस्प होगा। क्योंकि मामला अभी इस हफ्ते की फाइनल लिस्ट में नहीं आया। हालांकि अगस्त 2018 में पिछली सुनवाई के बाद भी मामला राज्य प्रशासन की अपील पर इसीलिए टाला गया था कि राज्य में पंचायत औऱ शहरी निकाय चुनाव होने हैं। क्या सुप्रीम कोर्ट इस बार फिर राज्य प्रशासन के तर्क को मानेगी?
 

 
 
क्या है मामला?
 
दरअसल पिछले साल आर्टिकल 35A की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली और उसको हटाने के लिए अलग-अलग संगठनों ने कई याचिकाएं दायर की थी। राज्य सरकार और केंद्र सरकार से अपना रूख स्पष्ट करने के लिए जवाब मांगा था, जिसमें उस वक्त राज्य सरकार ने जम्मू कश्मीर में पंचायत चुनावों को हवाला देकर मामले की सुनवाई टालने की अपील की थी। जिसके बाद अगस्त 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई जनवरी दूसरे हफ्ते से करने की बात कही थी, लेकिन तीसरा हफ्ता खत्म हो चुका है और अब तक मामले की सुप्रीम कोर्ट में लिस्टिंग नहीं पायी है। अब बंद कमरे में लिस्टिंग करने के फैसले से ये मामला और टलता दिखाई दे रहा है।
 
 
 
 
क्या है आर्टिकल 35A
 
जम्मू कश्मीर राज्य से संबंधित आर्टिकल 35-A वो धारा है, जोकि 1954 में राष्ट्रपति के आदेश पर संविधान में जोड़ी गयी थी। जबकि संविधान में कोई भी प्रावधान बिना संसद में प्रस्ताव पारित किये बिना नहीं किया जा सकता। यानि आर्टिकल 35 A न सिर्फ अपने लागूकरण के कारण असंवैधानिक है बल्कि इस धारा के तहत जम्मू कश्मीर में रहने वाले लाखों लोग आज भी मूलभूत अधिकारों से वंचित है। इनमें जम्मू कश्मीर में रहने वाले वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी, गोरखा, दलित और महिलाएं शामिल है। आर्टिकल 35 A के तहत इन वोट के अधिकार, नौकरी में अवसर, संपत्ति खरीदने या बिजनेस करने तक के अधिकारों से वंचित रखा गया है। साथ ही जम्मू कश्मीर के अलावा भारत के दूसरे राज्य के नागरिकों को भी आर्टिकल 35 A के चलते राज्य में कोई अधिकार नहीं मिल सकते। जोकि भारत के संघीय व्यवस्था के विपरीत है।