लोकल मीडिया छोड़िए, देखिए पाकिस्तान में कैसे न्यूयॉर्क टाइम्स के भी पर कतर दिये जाते हैं, क्या NYT को भी खबर छापने से पहले परमिशन लेनी पड़ती है?
   13-Feb-2019
 
ऊपर दी गयी इस तस्वीर में जरा ध्यान से देखिए... ये न्यूयॉर्क टाइम्स के 12 फरवरी के इंटरनेशनल एडिशन की तस्वीर है। एक वो है जो पाकिस्तान में प्रकाशित किया गया और दूसरा न्यूयॉर्क समेत बाकी देशों में प्रकाशित एडिशन की तस्वीर। आपको साफ दिखाई देगा कि दूसरे संस्करण में छपी एक न्यूज़ आर्टिकल पाकिस्तान वाले संस्करण से गायब है। यानि उसको सेंसर कर दिया गया है। दरअसल ये आर्टिकल पाकिस्तान में चल रहे आंदोलन पश्तून तहफुज मूवमेंट के लीडर मंजूर पश्तीन ने लिखा था। जिसमें पश्तीन ने पाकिस्तानी आर्मी के अत्याचारों की धज्जियां उड़ाई थी। जाहिर है पाकिस्तान आर्मी के जरनैलों को ये खबर कहां पसंद आती। इसीलिए उन्होंने इसको सेंसर कर दिया।
 

 
 
ऊपर पाकिस्तान में प्रकाशित न्यूयॉर्क टाइम्स का संस्करण और नीचे उस खबर का लिंक जिसे सेंसर किया गया है।
 
 
 
लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे इंटरनेशनल अखबरों को भी पाकिस्तान में खबरें छापने के लिए आर्मी की परमिशन लेनी पड़ती है। अगर नहीं तो दिन का अखबार छपने से पहले ही न्यूयॉर्क टाइम्स के मेन पेज से गायब कैसे हो गयी। या फिर इंटरनेट एडिशन पर ये आर्टिकल प्रकाशित होने के बाद आर्मी ने न्यूयॉर्क टाइम्स को सेंसर करने के लिए कहा। दोनों ही सूरतों में हालात बदतर दिखाई देते हैं। इससे पता चलता है कि जब न्यूयॉर्क टाइम्स को भी पाकिस्तानी आर्मी के आगे झुकना पड़ता है, तो लोकल मीडिया की हालत तो आप समझ ही रहे होंगे कि कैसे पीटीएम का पश्तून आंदोलन कैसे लोकल मीडिया से पूरी तरह गायब है। मानों कुछ हो ही नहीं रहा..वैसे ही जैसे आर्मी के कहने पर पाकिस्तानी मीडिया ने बांग्लादेश के आंदोलन को छिपाने की कोशिश की थी। जिसका नतीजा सबक सामने है।