Tweets-Articles के जरिये आतंकवाद का दोष #IndianForces पर मढ़ने की साजिश शुरू हो चुकी है, इनमें वकील, कांग्रेसी, प्रोफेसर, पत्रकार, एक्टिविस्ट सब हैं
   16-Feb-2019
 
पुलवामा बम धमाके के जिम्मेदार जैश-ए-मोहम्मद और उसके पालने वाले पाकिस्तान के खिलाफ देश में जबरदस्त रोष है। देश एक है, पाकिस्तान को लेकर किसी को कोई शक-शुबहा नहीं हैं। शहीदों के परिवार न्याय के इंतजार में हैं, कब कार्रवाई होगी। लेकिन शहीदों की चिताओं की आग ठंड़ी भी नहीं हुई थी, कि देश में बुद्धिजीवी लॉबी ने आत्मघाती हमले का दोष धीरे-धीरे जम्मू कश्मीर में तैनात फोर्सेस पर शिफ्ट करना शुरू कर दिया। बताया जा रहा है, तर्को-कुतर्कों से से साबित किया जा रहा है कि 2016 में एक दिन इंडियन सिक्योरिटी फोर्सस ने कथित तौर पर आत्मघाती हमलावर की पिटाई न की होती तो शायद... Blah..Blah..Blah!! आतंकी के माता-पिता की कहानी को बढ़ा-चढ़ा कर, मानवीय संवेदनाओं का हवाला देकर नैरेटिव बदला जा रहा है।
 
इंडियन फोर्सेस के खिलाफ सोशल मीडिया पर चल रहे इस नैरेटिव वॉर में कांग्रेस के नेता भी हैं, बुद्धिजीवी भी, पत्रकार भी, यूनिवर्सिटी प्रोफेसर भी और एक्टिविस्ट भी। जाहिर है जो मोदी सरकार से नाराज़ है, वो इस नैरेटिव को मानने न सिर्फ तैयार बैठे हैं, बल्कि इसको आगे बढ़ा भी रहे हैं।
 
सबसे पहले प्रशांत भूषण का ट्वीट देखिए, साफतौर इसमें जैश फिदायीन आदिल के आतंकी बनने की घोर मज़बूरी पर प्रकाश डाला गया है। 

 
प्रशांत भूषण के इसी ट्वीट को कांग्रेस सोशल मीडिया की नेता और राहुल गांधी की खासमखास दिव्या स्पंदना ने ट्वीट कर आगे बढ़ा दिया।
  



इसके बाद इंडियन एक्सप्रैस के पत्रकार भी आतंकी बनने की कहानी और कारणों पर मार्मिक प्रकाश डाल रहें है, शब्दों का प्रयोग अच्छे से किया गया। लेकिन ऑर्गनाइज़्ड नैरेटिव वॉर का उदाहरण देखिए, इसको रीट्विट संदेश आगे पहुंचाने का काम करती हैं, एक्टिविस्ट कविता कृष्णन।
 
 
कुछ बहाने से वार कर रहे हैं, लेकिन बहुतेरे ऐसे हैं जो सीधे-सीधे सुरक्षाबलों पर हमला कर रहे हैं। आसाम की असिस्टेंट प्रोफेसर का फेसबुक स्टेट्स पढ़िए, खून खौल जायेगा। लेकिन चुप रहिए क्योंकि ये उनके बोलने की आजादी है।
 

 
अच्छी खबर ये रही कि इसके बाद न सिर्फ आसाम पुलिस ने संज्ञान लिया, बल्कि कॉलेज ने भी इनको सस्पेंड कर दिया है।
 
 

 
 
 
हमला फोर्सेस पर तो हो ही रहा है, राजनीति के बहाने से सीधे-सीधे कहा जा रहा है कि ये पाकिस्तान का नहीं inside job है। पहले कथित पत्रकार संजुक्ता बासू का ट्वीट देखिए.. लोगों ने सवाल पूछे तो मासूमियत से भरा दूसरा ट्वीट लिख मारा।
 
 

 
 
नैरेटिव वारियर्स का दायरा इंटरनेशनल है, स्वीडन में बैठे कांग्रेस भक्त अशोक स्वैन का संदेश भी पढ़िए। मोदी-विरोध में इस कदर डूबे हुए हैं कि पाकिस्तान की हकीकत दिखाई नहीं दे रही। 




 
 
 
यहां तक कि देश के जवानों को जातियों में भी बांटने की साजिश की जा रही है। 
 
 
अगली नैरेटिव वॉरियर एक मुम्बई यूनिवर्सिटी की रिटायर्ड प्रोफेसर हैं, जो Howz the Josh नारे और सर्जिकल स्ट्राइक से खासी नाराज़ दिखाई दे रही हैं। लिहाजा खुलेआम Howz the Jaish का नारा लगा रही हैं।
 

 
 
बहरहाल ये तो इस खेल की शुरूआत भर है, लिस्ट धीरे-धीरे लंबी होती जा रही है। आने वाले दिनों में माहौल पूरी तरह बदल दिया जायेगा और पाकिस्तान में बैठी एंजेसियां इन्हीं आर्टिकल और ट्वीट्स का हवाला देकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माहौल बना रही है कि देखिए खुद इंडिया के इतने बड़े-बड़े बुद्धिजीवी खुद इंडियन फोर्सेस को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, तो इसमें पाकिस्तान का दोष कैसा...।