शर्मनाक! डियर एजाज अशरफ और The Caravan, जवानों की जाति ढूंढ निकाली तो, आतंकियों का धर्म क्यों छिपा रहे हो, क्या एजेंडा है?
   21-फ़रवरी-2019
 
पुलवामा हमले के बाद देश आतंकवाद के खिलाफ जाति-धर्म और क्षेत्र से ऊपर उठकर एक है। लेकिन हमारे लिबरल मीडिया को ये रास नहीं आ रहा। लिहाजा मुस्लिम आतंकियों के हमले में हिंदूत्व का खतरा ढूंढा जा रहा है। किसी भी तरह हिंदूत्व जैसे शब्द ठूंसकर शहीदों का मज़ाक उड़ाया जा रहा है। इस नापाक कोशिश में ताज़ा कहानी छापी है The Caravan ने। जिसमें ‘कहानीकार एजाज अशरफ’ ने साबित किया है कि पुलवामा हमले में सवर्ण जातियों की हिस्सेदारी न के बराबर है। साथ ही ये भी साबित किया है कि कैसे हमले के लिए सिर्फ सवर्ण हिंदू साजिश रच रहे हैं। आप इस शर्मनाक कहानी का टाइटल देखिए-
 
 
 
विडंबना ये है कि जिस फोटो को इस आर्टिकल में इस्तेमाल किया गया है। वो खुद इनके शर्मनाक कहानी का जवाब है। जिसमें तमाम शहीद सिर्फ तिरंगे में लिपटे हुए हैं। सीआरपीएफ, देश और एक सेक्यूलर मुल्क की जनता के लिए सभी शहीद सिर्फ भारतीय है, लेकिन इस आर्टिकल में एजाज अशरफ ने सीआरपीएफ के तमाम जवानों के ताबूतों में से सबकी जातियां ढूंढ निकाली और फिर छाती ठोंक लिखा कि देखिए “मरने” वालों में सिर्फ 12.5 पर्सेंट ही सवर्ण हैं और बाकी जवान पिछड़े-दलित हैँ और साबित किया कि ये सवर्णों की पिछड़ों के खिलाफ साजिश है।
 

 
 
 
एजाज अशरफ के ये आर्टिकल कई मायनों में न सिर्फ शर्मनाक है, बल्कि सीधे तौर पर एक क्रिमिनल एक्ट है।
 
 
1. एजाज अशरफ ने शहीद जवानों का जातिगत तौर ब्यौरा देकर, फिर उनको सवर्णों के खिलाफ भड़काकर जातिगत भावनाएं भड़काने की साजिश रची।
 
 
2. एजाज अशरफ ने न सिर्फ कथित सवर्ण जवानों की शहादत का अपमान किया, बल्कि जाति-धर्म से ऊपर उठकर जान गंवाने वाले कथित पिछड़े जवानों का भी अपमान किया है।
 

 
 
3. एजाज अशरफ ने बिना किसी परमिशन के तमाम जवानों की व्यक्तिगत जानकारी पब्लिक कर शहीदों की प्राइवेसी के अधिकार का हनन किया है। पूछा जाना चाहिए कि क्या शहीद का परिवार शहीद की पहचान जाति के आधार पर याद रखना चाहता है? क्या एजाज अशरफ ने परिवारों से बात करने से पहले उनकी जाति छापनी की इज़ाजत परिवारों से मांगी थी?
 
 
The Caravan का ये आर्टिकल पत्रकारिता की नैतिकता पर काला धब्बा है?
 
1. साफ है एजाज अशरफ का ये आर्टिकल एजेंडे के तहत लिखा गया है। जिसके तहत साबित मुस्लिम आतंकी हमले को भी सवर्णों और हिंदूत्व की साजिश करार देने की शर्मनाक कोशिश की गयी है। यानि पहले साजिश का मुद्दा तय किया गया और फिर उसे साबित करने के लिए कुछ जातिगत आंकड़े और शहीदों के परिवार से बातचीत का आधा-अधूरा हिस्सा जोड़ा गया।
 
 
2. शर्मनाक है कि अपनी प्वाइंट को साबित करने के लिए एजाज अहमद ने शहीदों के परिवार को दुख की इस घड़ी में सिर्फ ये जानने के लिए फोन किया, कि उनकी जाति क्या है। ये जानने के लिए नहीं कि उनकी हालत क्या है।
 

 
 
3. इस आर्टिकल में बड़े शर्मनाक तरीके से हिंदू शहीदों की जातियां तो बता दीं गयी। उनकी शहादत के लिए हिंदूत्व को जिम्मेदार भी ठहरा दिया गया। लेकिन आत्मघाती हमला करने वाले शैतानों की न जाति बताई, न ही धर्म।
 
 
तो श्रीमान एजाज अशरफ हम आपको बता देते हैं जोकि हमलावर आदिल अहमद ने बड़ी शान ने सीधे-सीधे साफ-साफ बयान किया था, वो था इस्लाम और अपने इस आतंकी हमले को आदिल ने इस्लाम की लड़ाई गजवा-ए-हिंद का हिस्सा करार दिया था। जिसके शिकार हुए वो शहीद जिनको जातियों में बांटने की साजिश आपने की है। नतीजा ये है कि महबूबा मुफ्ती भी आपके इस शर्मनाक आर्टिकल को पचा नहीं पा रही हैं।