अलगाववादियों की आवाज उठाने वाले मीडिया पर भी लगाम, ग्रेटर कश्मीर अखबार के सरकारी विज्ञापन बंद, विज्ञापनों से साल में होती थी करोड़ों की कमाई
   22-फ़रवरी-2019
 
 
पुलवामा हमले के अलगाववाद और आतंकवाद से निबटने के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने कई पॉलिसी डिसीज़न लिये हैं। अलगावादियों की सुरक्षा हटाने के बाद अब सरकार ने उनकी आवाज़ उठाने वाले अखबारों पर भी कार्रवाई करने के मूड में है। जोकि अलगाववादियों और आतंकियों के एजेंडे को अपनी खबरों के जरिये आवाज देते हैं। उनमें से कश्मीर का सबसे बड़ा अखबार माना जाने वाले ग्रेटर कश्मीर को दिये जाने वाले विज्ञापनों पर रोक लगाई जाने की खबर है। इस ग्रुप के अखबार अंग्रेजी और उर्दू में छपते हैं। जिनमें इंग्लिश डेली, ग्रेटर कश्मीर, इंग्लिश वीकली कश्मीर इंक और उर्दू में छपने वाला उज़्मा उर्दू शामिल है। जिनको साल में करोड़ों के सरकारी विज्ञापन दिये जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक अकेले इस अखबार को दिेये जाने वाले विज्ञापनों का हिस्सा लगभग 40 फीसदी होता है। देखिए साल 2016-17 में सालाना आवंटित विज्ञापन राशि में से ग्रेटर कश्मीर का हिस्सा भी सबसे ग्रेटर है।
 
 
 
 
ग्रेटर कश्मीर के विज्ञापन बंद होने की खबर मिलते ही नेशनल कांफ्रेंस के लीडर उमर अब्दुल्ला ने तुरंत सरकार पर निशाना साधा है।
 
 

 
हालांकि अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि ग्रेटर कश्मीर के अलावा किन-किन अखबारों के विज्ञापन बंद होने वाले हैं। फिलहाल ये देखिए जम्मू और कश्मीर दोनों क्षेत्रों के तमाम अखबारों को मिलने वाले विज्ञापनों के भुगतान की 2016-17 की लिस्ट-