इज़राइल से सीखिए...कैसे लिया जाता है आतंकवाद से बदला!!
   23-फ़रवरी-2019
 
 
 
 मोसाद टारगेट को मारने से पहले बुके भेजती थी जिसमें लिखा होता था " ये याद दिलाने के लिए कि हम ना तो भूलते हैं ना ही माफ करते हैं" उसके बाद आतंकवादी के जिश्म में गिनकर 11 गोली दाग दी जाती थी।
 
 75 साल की बूढ़ी महिला थी इजरायल की प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर। जिसने पूरी दुनिया को बताया कि इजरायल के नागरिकों पर हमला करने का अंजाम क्या होता है
 
 
5 सितंबर 1972 को जर्मनी में ओलंपिक खेलों के दौरान फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन के आतंकवादियों ने इजरायल के 11 खिलाड़ियों को पराए मुल्क में मार डाला। पूरा देश इस घटना से गुस्से में था लोग दुखी थे। लेकिन इजराइल की दादी मां गोल्डा मेयर ने छाती नहीं पीटी वो बूढ़ी औरत रोइ नहीं बल्कि उसने ऐसा कुछ किया कि फलस्तीनी आतंकी तो क्या दुनिया भर के आतंकवादी दहल गए।
 
 
गोल्डा मेयर के आदेश पर इजरायली सेना ने अपने खिलाड़ियों की हत्या के महज 48 घण्टे में सीरिया और लेबनान में घुसकर फलस्तीन के 10 कैम्पों पर एयर स्ट्राइक कर 200 आतंकियों और आम लोगों को मौत के घाट उतार दिया। बूढ़ी गोल्डा मेयर यहीं नहीं रुकी, 200 मौतों के बाद भी उसके दिल में बदले की आग शांत नहीं हुई। इसके बाद गोल्डा मेयर ने जो किया उसने पूरी दुनियां को हिलाकर रख दिया।
 
 

 
 गोल्डा मेयर की एक गुर्राती तस्वीर
 
गोल्डा मेयर ने इजरायली खिलाड़ियों का बदला लेने के लिए ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड छेड़ दिया। और इसकी जिम्मेदारी दी इजरायल की सबसे खुंखार खुफिया एजेंसी मोसाद को।
 
 
मोसाद ने अगले 7 साल तक दुनियां भर में खोज खोज कर अपने खिलाड़ियों के हत्याकांड से जुड़े सभी 35 आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया।  मोसाद टारगेट को मारने से पहले बुके भेजती थी।  जिसमें लिखा होता था " ये याद दिलाने के लिए कि हम ना तो भूलते हैं ना ही माफ करते हैं"। उसके बाद आतंकवादी के जिश्म में गिनकर 11 गोली दाग दी जाती थीं। 11 गोलियां इसलिए कि आतंकियों ने इजरायल के 11 खिलाड़ी मारे थे।
 
 

 
म्यूनिख ओलंपिक में शामिल होने वाला इज़राइली दल 
 
मोसाद ने आगे 20 साल तक ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड चलाया था। और दुनियां भर में फैले फलस्तीनी आतंकियों को ठिकाने लगाती रही। इसलिए गोल्डा मेयर को आयरन लेडी कहा गया।