बरखा, मीरवाइज़, महबूबा से लेकर पाकिस्तान तक...!! जानिए यासीन मलिक और जमात नेताओं की गिरफ्तारी से किस-किसके दिल में उठा दर्द
   23-फ़रवरी-2019
 
 
 
शुक्रवार और शनिवार की दरम्यानी रात कश्मीर घाटी में पुलिस ने एहतियातन दर्जन से ज्यादा अलगाववादी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। जिसमें जेकेएलएफ के यासीन मलिक, जमात-ए-इस्लामी के अमीर अब्दुल हामिद फ़ैयाज़, जमात प्रवक्ता एडवोकेट जाहिद अली, पूर्व सेक्रेटरी जनरल ग़ुलाम क़ादिर लोन जैसे नाम शामिल है। सुबह जैसे ही ये खबर फैली, इन अलगाववादियों के चाहने वाले पत्रकारों-नेताओं के दिल में दर्द उठना लाजिमी था। कश्मीर, दिल्ली और पाकिस्तान सब जगहों ने दर्द के मारों ने गिरफ्तारी के खिलाफ ट्वीट दागकर अपनी भड़ास निकाली। पैटर्न देखिए, शुरूआत कश्मीरी नेताओं से हुई। फिर बात दिल्ली होते हुए इस्लामाबाद तक जा पहुंची। इस पैटर्न में शामिल तमाम लोगों ने न सिर्फ गिरफ्तारी का विरोध किया बल्कि हालात और खराब होने की चेतावनी दे डाली।
 
 
सबसे पहले अलगाववादी मीरवाइज़ उमर फारूख ने गिरफ्तारी के बाद माहौल और खराब होने की चेतावनी दी।
 
 
 
उसके बाद पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने एक कदम और आगे बढ़कर गिरफ्तारियों की वैधता पर सवाल खड़ा कर दिया और कहा कि- इंसान को तो कैद कर सकते हो, आयडिया को नहीं।
 
 
 

 
इसके बाद तो साफ था, आयडिया कहां कैद हो पाता, वो पहुंच गया दिल्ली। यहां जानी मानी पत्रकार बरखा दत्त ने इन गिरफ्तारियों को आर्टिकल 35ए का एंगल दे डाला। जबकि अब तक सुनवाई की कोई तारीख तय नहीं है। 
 
 

 
इसके बाद द वायर के एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन ने भी परंपरा का सम्मान करते हुए अलगाववादियों के पक्ष में मोदी पर सवाल दाग दिये। जिसको उनके सिपहसलारों ने ट्वीट कर बात को आगे बढाया।
 
 
बात बढ़ते-बढ़ते जा पहुंची, पाकिस्तान के पत्रकार हामिद मीर तक। हामिद मीर इससे काफी खफा भी और दुखी भी। लिहाजा दनादन गिरफ्तारी से जुड़े कई ट्वीट रीट्वीट कर डाले। ताकि बात पाकिस्तान में ठीक से फैले।
 
 
 
 
बात फैली भी, और जा पहुंची पाकिस्तानी की पूर्व डिप्लोमैट और नेता शेरी रहमान तक। शेरी को शायद बहुत गुस्सा आया और उसने अंग्रेजी के जितने शब्द आते थे। भारत सरकार की निंदा करते हुए एक ही ट्वीट में ठूंस दिये। मीरवाइज को ये भी कहा कि घबरायें नहीं, हम (पाकिस्तान) साथ हैं। 
 

 
 
इसके बाद मामला इस्लामाबाद की गली-कूचों में फैला और मीडिया की रौनक बन बैठा। तब से मीडिया में बताया जा रहा है कि भारत का ये कदम कितना खतरनाक है। फलाना-ढिमकाना...Ctrl C + Ctrl V….. चल रहा है। 
 

 
  
 
 
नतीजा ये है कि शाम होते-होते जेल से बाहर बचे अलगाववादियों ने कश्मीर में कल यानि संडे को बंद का ऐलान किया है। इस बीच एक आम कश्मीरी की उम्मीद ये है कि ये नेता बंद हों, तो कश्मीर खुले।