महबूबा ने बोली अलगावादियों की भाषा, कहा 35A हटा तो कश्मीरी थामेंगे तिरंगे के अलावा दूसरा झण्डा
   25-फ़रवरी-2019

 
 
पुलवामा हमले के बाद जम्मू कश्मीर में अलगाववाद और आतंकवाद के समर्थक पूरी तरह बेनकाब हो गए हैं। वो खुलेआम वही भाषा बोल रहे हैं, बस बहाना अलग है। आज पीडीपी लीडर महबूबा मुफ्ती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीधे-सीधे वो भाषा बोली जो पाकिस्तान परस्त अलगावववादी बोलते आएं हैं। महबूबा ने बहाना बनाया आर्टिकल 35A को। कहा अगर 35A को हटाने की कोशिश की गई तो कश्मीर के लोग तिरंगा छोड़कर कोई और झंडा उठाने को तैयार हो जाएंगे। किसका! ये महबूबा ने नहीं बताया। साफतौर पर वो देश की अखंडता को चुनौती दे रही हैं।
 
यहां गौरतलब ये है कि 35A का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में है। जिसकी सुनवाई इसी हफ्ते में हो सकती है। तो क्या इसका मतलब ये है कि महबूबा सुप्रीम कोर्ट को प्रभावित करने के लिए धमकी दे रहीं हैं। क्या ऐसी भाषा देश की किसी और नेता से उम्मीद की जा सकती है, सरासर नहीं।
जबकि सच ये है कि अगर यह धारा हटी तो 70 सालों से जम्मू कश्मीर पर चंद कश्मीरी अलगाववादियों की जो सत्ता बनी हुई है जिसे हम कभी अलगाववाद और आतंकवाद का नाम देते हैं। उनकी सत्ता पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।
 
यहां ये भी गौरतलब है कि 35A के पक्ष में सिर्फ कश्मीर घाटी से ही क्यों राजनीति की जाती है। सच ये है कि जम्मू और लद्दाख डिवीज़न के लोग कभी भी 35A के समर्थन में नहीं रहे। आज जम्मू और लद्दाख से 35A हटाने की आवाज़ें उठ रही हैं।
 
जम्मू कश्मीर में यदि आप घूमेंगे तो आप पाएंगे कि वहां पर रहने वाले वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी जो 35A के 70 वर्षों से शिकार है, वह अपनी रैलियों में खुलकर तिरंगे का सम्मान करते हैं और उसको पूरी शान से लहराते हैं लेकिन समस्या तो यह है कि इन तिरंगा लहराने वाले लोगों के बारे में 70 सालों से कश्मीर वादी के इन पॉलिटिशन से कुछ नहीं किया।
 
65 सालों से दलित जम्मू कश्मीर में इस कदर तक मजबूर है कि ऐसा कानून किताब में लिख कर बनाया गया कि उनके परिवार के बच्चे केवल और केवल सफाई का काम कर सकते हैं वो कितना भी पढ़ लिख लो लेकिन वह बनेंगे सफाई कर्मचारी और ऐसा बढ़ाने के लिए स्पेशल कश्मीर की पॉलीटिशियंस ने एक कानून बनाया है। जिसका जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ अनुच्छेद 35a है।
महिला होकर खुद महिला अधिकारियों की धज्जियां उड़ाने वाली है देश की पहली पूर्व मुख्यमंत्री है जो खुलकर महिला अधिकारों के अपमान की बात करती है उसको तोड़ने की बात।