डियर द वायर... इशरत मुनीर की हत्या करने वाले Unknown Gunman नहीं, टेररिस्ट हैं
   05-Feb-2019
 
 
 
जम्मू कश्मीर के सबसे छोटे हिस्से, कश्मीर के 4-5 ज़िले, जो लगातार आतंकवाद का दंश झेल रहे हैं, . उन्ही में से एक जिला है शोपियाँ l ये वो जिला है जहाँ 31 जनवरी की रात फेहरन और हिजाब पहने एक कश्मीरी लड़की को बहुत नज़दीक से आतंकवादियों ने दो गोलियाँ मारीं l लड़की ने हिजाब पहना था, यह बताना जरूरी है क्योंकि जिस दिन पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने हिजाब पहने इस लड़की को गोली मारी , उस से ठीक एक दिन बाद देश के तथाकथित लिबरल बड़ी बेशर्मी से “ हिजाब डे” सेलिब्रेट कर रहे थे l मरने वाली लड़की का नाम था इशरत मुनीर, लेकिन इन तथाकथित लिबरल एक्टिविस्टों और लेफ्ट के पोर्टल्स को इशरत का ख्याल बिलकुल नहीं आया, आता भी कैसे क्योंकि यहाँ मारने वाले आतंकवादी थे और मरने वाली एक आम कश्मीरी लड़की इशरत । 
 
इन लेफ्ट ओरिएंटेड पोर्टल्स की बेशर्मी केवल यहीं नहीं रुकी l ऐसा ही एक पोर्टल है - द वायर “ l हम आपको सिलसिलेवार बताएँगे कैसे पत्रकारिता के नाम पर देश में अलगाववाद और आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है l आज देश के किसी भी हिस्से में कुछ भी घटता है तो मिनटों में खबर पूरे देश में फ़ैल जाती है l हम आपको जम्मू कश्मीर के उदाहरण से ही समझायेंगे l 8 जुलाई 2016 को आतंकवादी बुरहान वाणी को जम्मू कश्मीर पुलिस ने एनकाउंटर में मार गिराया l समय रहा होगा कोई शाम के 7-8 बजे के बीच द वायर ने पत्रकारिता का धरम निभाते हुए थोड़ी ही देर में इस आतंकी के मारे जाने की अपडेट अपनी वेबसाइट पर डाल दी l बाद में बुरहान वानी पर कितने लेख या स्टोरीज कवर की, उनकी गिनती अलग है l लेकिन अब आतंकियों के हाथों मारी गयी कश्मीरी लड़की इशरत की हत्या 31 जनवरी की रात को हुईl बाकायदा आतंकियों ने वीडियो बना कर इन्टरनेट पर डाला, जो 31 की रात को ही इन्टरनेट पर वायरल हो गया था l पुलिस ने भी वीडियो के वायरल होने की बात मानी l सुबह इशरत की लाश भी मिली, लेकिन लेफ्ट ओरिएंटेड "द वायर “ ने इशरत की हत्या की पहली स्टोरी कवर की 3 फ़रवरी को, कारण जानते है क्यों ? क्योंकि वामपंथी विचारधारा वाला द वायर आतंकवादियों के विरुद्ध कुछ भी लिखना नहीं चाहता है l इशरत की हत्या के तीसरे दिन वो खबर लिखते हैं, क्योंकि मरने वाली एक आम कश्मीरी लड़की थी और हत्यारे आतंकवादी l 3 फ़रवरी को भी जो स्टोरी की वो भी हो सकता है इन्टरनेट पर इस खबर के जोर-शोर से चलने की दबाव में की गयी , निष्पक्ष जो दिखना है l
 
 
3 फ़रवरी की स्टोरी में सब लिखा, कब से इशरत गायब हुई, परिवार वाले परेशान हुए और शाम को इशरत की हत्या हो गयी l बाकायदा वीडियो बना जो कश्मीर में वाइरल हुआ l सुबह लड़की की लाश मिली l बस भूले तो ये लिखना कि इशरत की हत्या आतंकवादियों ने की l यहाँ उन्होंने लिखा “अज्ञात बन्दूक धारियों ने इशरत की हत्या की'' l द वायर “ के तथाकथित पत्रकार जो खुद कश्मीर से है उन्हें आतंकवादी को आतंकवादी लिखने में शर्म आती हैl उन्होंने आतंकवादियों के लिए शब्द प्रयोग किये ''Unknown Gunman“ यानि अज्ञात बन्दूकधारी, आतंकी नहीं l जबकि जम्मू कश्मीर पुलिस ने अपनी प्रेस रिलीज़ में साफ़-साफ लिखा कि इशरत को आतंकवादियों ने मारा, लेकिन वायर के पत्रकार के की-बोर्ड के बटन आतंकवादी को आतंकवादी न कह सकेl 21 वीं सदी के जागरूक पोर्टल ज़रा जाकर कश्मीर घाटी के सोशल मीडिया को खंगालो जहाँ अलगाववाद के जहर से भरे धार्मिक कट्टरपंथी इशरत की हत्या को शरियत के तहत जायज़ बता रहे है, क्योंकि उनके अनुसार इशरत की मुखबिरी के चलते कई आतंकियों को नरक का रास्ता दिखाया जा चुका था l
 

 
 
बुरहान वानी जैसे आतंकवादी की एनकाउंटर में मौत को ऐसे न्यूज़ पोर्टल्स हत्या का नाम देकर लोगों के दिमाग में ज़हर भरना चाहते हैं, पर उसी कश्मीर में एक सामान्य लड़की की आतंवादियों द्वारा की गयी हत्या को न सिर्फ वो नकारना चाहते हैं वरन उस घटना को दबाना भी चाहते हैं l
 
ऐसे न्यूज़ पोर्टल देश और दुनिया को गुमराह कर रहे हैं, इनका असली चेहरा उजागर करना अब ज़रूरी हो गया है, वरना अलगाववाद का ज़हर न सिर्फ आतंकवादी बल्कि आतंकवादियों के मानवाधिकार के हिमायती न्यूज़ पोर्टल्स भी देश भर में फैलते रहेंगे l