पॉलिटिक्स की पहली परीक्षा में ही फुस्स हुए आईएएस टॉपर शाह फैज़ल, 15 दिन में 50 हजार चंदा भी नहीं जुटा पाये, पहली रैली में लगे इस्लामिक निज़ाम के नारे
   06-Feb-2019
 
 
जम्मू कश्मीर में पिछले महीने आईएएस पद से इस्तीफा देकर शाह फैज़ल ने सनसनी मचा दी थी। सोशल मीडिया पर बताया गया कि जम्मू कश्मीर की राजनीति में क्रांति आने वाली है। शाह फैज़ल ने भी दावा किया कि वो केजरीवाल और इमरान खान जैसी राजनीति करना चाहते हैं। लेकिन सोशल मीडिया के बुलबुले असल धरातल पर फूटते नजर आ रहे हैं। 22 जनवरी को शाह फैज़ल ने एक ऑनलाइन चंदा इकठ्ठा करने की मुहिम शुरू की थी। सोशल मीडिया पर इसका जोरदार प्रचार किया गया। टारगेट रखा गया 70 दिनों में 70 लाख इकठ्ठा करने का। जिससे शाह फैज़ल की आगे की राजनीतिक रणनीति तय होती। लेकिन इस मुहिम को 15 दिन बीच चुके हैं और शाह फैज़ल सिर्फ 43,305 रूपये चंदा जमा कर पाये हैं। जोकि कुल टारगेट के 200वां हिस्से के बराबर भी नहीं है।
 
 

 
साफ है जिस इस्तीफे के बाद शाह फैज़ल ने जिस धमाके के उम्मीद की थी। जनता की राय में वो उम्मीद फुस्स होती नजर आ रही हैं। साफ है जनता अपनी मेहनत की पूंजी किसी घिसे-पिटे राजनीतिक ख्वाब पर लुटाने को कतई तैयार नहीं है और ये नज़ीर है इस बात की भी कि सत्ता और लोगों के दिलों तक जाने वाली राह उतनी आसान नहीं है। वो मुकाम बनाने के लिए अभी और पापड़ बेलने पड़ेंगे।
 
शाह फैज़ल की रैली में इस्लामिक निजाम की नारेबाजी
 
5 फरवरी को शाह फैजल ने अपने जिले कुपवाड़ा में रैली की, हालांकि इस रैली में शाह फैज़ल कुछ सौ लोगों की भीड़ जुटी। लेकिन रैली में “यहां क्या चलेगा, निजाम-ए-मुस्तफा” जैसे इस्लामिक नारे लगते रहे। जोकि एक जमाने में शेख अब्दुल्ला की रैलियों में लगा करते थे। जब वो जम्मू कश्मीर को इस्लामिक राज्य बनाना चाहते थे। ये नारे आज भी अलगाववादियों की रैली में सुनाई देते हैं। इस रैली से साफ हो गया, कि शाह फैज़ल वहीं एंटी-इंडिया, प्रो-मुस्लिम राजनीति को अपना आधार बना राजनीति करना चाहते हैं।
 


कुपवाड़ा रैली में लोगों ने लगाये निजाम-ए-मुस्तफा जैसे नारे 
 
 
आईएएस नौकरी को बताया जेल
 
2010 के टॉपर शाह फैजल ने अपनी रैली में आईएएस की नौकरी को जेल करार दे दिया। जिससे उन्होंने इस्तीफा देकर आजादी हासिल कर ली। साथ ही ये भी कहा कि अगर वो चाहते तो आईएएस रहकर ऐश की जिंदगी गुजार सकते थे। लेकिन यहां ये समझ नहीं आया कि अगर आईएएस की नौकरी जेल थी, जो ऐश की जिंदगी वो कैसे गुजारते।  
 
उधर दिलचस्प पहलू ये भी है कि तकनीकी रूप से वो अभी भी सरकारी कर्मचारी हैं। क्योंकि सरकार ने उनका इस्तीफा अब तक मंजूर नहीं किया है। जम्मू कश्मीर सरकार की वेबसाइट के मुताबिक शाह फैज़ल अभी भी एकेडमिक लीव पर हैं।