मेजर रोहित शुक्ला, जिनके नाम से कांपते हैं आतंकी, घाटी में चल रही है उसको खलनायक बनाने की साजिश
   09-Feb-2019
 
 
44, राष्ट्रीय रायफल में तैनात मेजर रोहित शुक्ला, ये वो नाम है जिसको सुनकर कश्मीर घाटी के आतंकी थर्र-थर्र कांपते हैं। वो अब तक 52 से ज्यादा ऑपरेशंस को अंजाम दे चुके हैं। जिसमें सबसे मशहूर वाकया तब सामने आया था, जब मई 2018 में एक हिजबुल कमांडर समीर टाइगर की वीडियो वायरल हुआ था जिसमें उसमें मेजर रोहित शुक्ला को चैलेंज किया था। उस वीडियो में वो सेना के एक मददगार युवक की पिटाई करते हुए दिखा था, साथ ही वो कह रहा था कि शुक्ला को कहना कि अगर उसने अपनी मां का दूध पिया है तो सामने से आकर लड़े।
 
 
इस वीडियो के सामने आने के कुछ ही घंटों के भीतर मेजर रोहित शुक्ला और उनकी टीम ने समीर टाइगर और उसके साथी को उनके गांव में ही ढेर कर दिया था। इस ऑपरेशन में मेजर शुक्ला खुद भी घायल हो गये थे। तब ये मामला काफी सुर्खियों में रहा था और लोगों ने भारतीय सेना की दिलेरी की दिल खोलकर तारीफ की थी। इसके लिए मेजर शुक्ला को 'शौर्य चक्र' से सम्मानित भी किया गया था।
 

 
 मेजर शुक्ला को चैलेंज करना आतंकी समीर टाइगर को भारी पड़ा
 
 
 घाटी में आतंकियों के काल हैं मेजर शुक्ला
इसके अलावा मेजर रोहित शुक्ला ने घाटी और भी ऑपरेशंस को दिलेरी के साथ अंजाम देते हुए कई आतंकियों को मारा है। मेजर शुक्ला का अब आतंकियों में ऐसा खौफ है कि उनके नाम से ही घाटी के आतंकी कांपते हैं।
 
दक्षिण कश्मीर में पिछले दो साल में कई नामी आतंकियों को मार गिराने में अहम भूमिका निभा चुके मेजर शुक्ला करीब 52 ऑपरेशन में हिस्सा ले चुके हैं। शुक्ला के नेतृत्व वाली क्विक एक्शन टीम (क्यूएटी) पूरी रणनीति के तहत घेराबंदी से लेकर ऑपरेशन को अंजाम देकर आतंकियों का सफाया करती है। इसमें मेजर शुक्ला के दस्ते को महारत हासिल है।।
 
शहीद राइफलमैन औरंगजेब भी 44 आरआर के मेजर शुक्ला के नेतृत्व वाले क्विक एक्शन टीम के ही सदस्य थे। पिछले साल जून में ईद से एक दिन पहले आतंकियों ने रास्ते में अपहरण कर हत्या कर दी थी।
 
मेजर रोहित शुक्ला जो 44 राष्ट्रीय राइफल्स में मेजर पद पर तैनात हैं वो एक बार फिर चर्चाओं में हैं। उनके खिलाफ एक बार फिर कश्मीर घाटी में लामबंदी की जा रही है दरअसल आतंकियों की आंखों की किरकिरी बन चुके मेजर शुक्ला को अब वहां की राजनीतिक पार्टियां भी विलेन बनाने की नापाक कोशिशों पर आमादा हैं।
 

 
 

पिता ज्ञानचंद्र शुक्ला और मां विजय लक्ष्मी शुक्ला वकील हैं। घर में मोहित को मोनू उपनाम से पुकारा जाता है। मेजर शुक्ला की बहन एलएलबी कर रही हैं। वे सेंट जोजेफ एकेडमी से पढ़े हैं। एनडीए से सेना में इंट्री के बाद वह कई बड़े ऑपरेशन में शामिल हो चुके हैं। पिता ज्ञानचंद्र शुक्ला का कहना है कि फौज बनी है लोहा लेने के लिए। सौभाग्य है मेरा बेटा देश की सेवा कर रहा है।
 
क्या है पूरा मामला ?
 
दरअसल, पिछले साल आतंकी समीर टाइगर को ढेर करने वाले मेजर रोहित शुक्ला, शहीद राइफलमैन औरंगजेब की निर्मम हत्या के सिलसिले में तौसीब नाम के एक युवक से पूछताछ की थी. इस पूछताछ के बाद मेजर शुक्ला पर तौसीब को बेरहमी से पीटने का आरोप लगा। शहीद राइफलमैन औरंगजेब 44 आरआर के मेजर शुक्ला के नेतृत्व वाले क्विक एक्शन टीम (क्यूएटी) के ही सदस्य थे। पिछले साल जून में ईद से एक दिन पहले अपने घर पुंछ जा रहे औरंगजेब की आतंकियों ने रास्ते में अपहरण कर हत्या कर दी थी। बताया जा रहा है कि औरंगजेब की हत्या के मामले में सेना ने उनके ही तीन साथी सैन्यकर्मियों को हिरासत में लिया है, जो पुलवामा व कुलगाम के रहने वाले हैं। इनके नाम तजामुल अहमद, आदिल वानी और आबिद वानी के नाम बताये जा रहे हैं। आर्मी कोर कमांडर के मुताबिक इन सैनिक साथियों ने जाने-अनजाने औरंगजेब़ की सूचना आतंकियों तक पहुंचाई थी। जिस सूचना के आधार पर औरंगबेज की हत्या कर दी गयी थी।
 
 
इन्हीं 3 सैन्यकर्मियों से अभी पूछताछ की जा रही थि कि मेजर शुक्ला पर आरोप लगा कि उन्होंने आरोपी सैन्यकर्मी आबिद वानी के भाई तौसीफ अहमद वानी को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया और उसे बुरी तरह पीटा। जिससे मिलने के लिए महबूबा मुफ्ती अस्पताल गयीं और उसके बाद उन्होंने मेजर शुक्ला के खिलाफ एक मुहिम शुरू कर दी। जिसके समर्थन में उमर अब्दुल्ला समेत सोशल मीडिया पर बाकायदा एक कैंपेन शुरू कर दिया। मकसद था मेजर रोहित शुक्ला को विलेन साबित करना। चुनावी माहौल बनाकर राजनीतिक फायदा उठाना। 
 
 
 
 
 
लेकिन राज्यपाल और आर्मी कोर कमांडर ने ऐसी अफवाहों को न सिर्फ नकारा, बल्कि अपने जवानों की तारीफ भी की।