देखिए, डिविज़न बनने के बाद लद्दाख में कहां है जश्न का माहौल, और कश्मीर घाटी के किन नेता-बुद्धिजीवियों के दिल में पसरा मातम
   09-Feb-2019
 
 
जम्मू कश्मीर में शुक्रवार को लद्दाख को डिविज़न बनाने की खबर फैली ही थी, कि राज्य प्रशासन ने नये डिविज़न का डीसी यानि डिविजनल कमिश्रनर की नियुक्ति भी कर दी। प्रशासन की तत्परता देख लेह-कारगिल के लोग जश्न में डूब गये। लद्दाख में मिठाईयां बांटी गयी। लेह में लोग पारंपरिक डांस करते देखे गये। हों भी क्यूं न आखिर पहली बार लद्दाख के लोगों को एक अलग पहचान मिली थी, जोकि 70 सालों से कश्मीर घाटी के साये तले दबी थीँ। देखिए जश्न की तस्वीरें-
 

 
दशकों पुरानी मांग पूरी होने पर जश्न में डूबे लद्दाख के लोग 
 
 
 अलग डिविज़न बनने के बाद तेज़ी से होगा लद्दाख का विकास, तो सेल्फी तो बनती है

 
 
 
 
वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर एक ऐसी तस्वीर भी देखने को मिली, जिससे देखकर सिर्फ तरस खासा जा सकता है। कश्मीर घाटी की स्थानीय राजनीति करने वाले नेता, पत्रकार और एक्टिविस्ट लद्दाख की इस खुशी को पचा हीं नहीं पा रहे हैं और ट्विटर-फेसबुक पर जमकर भड़ास निकाल रहे हैं। इस फैसले को साजिश करार दे रहे हैं, बद्दुआएं दे रहे हैं।
 
इन कथित अंतराष्ट्रीय पत्रकार गौहर गिलानी का ट्वीट देखिए, जिनको इस फैसले में तानाशाही और लोकतंत्र खतरे में नजर आने लगा है।
 

 
एक और रिटायर्ड एक्टिविस्ट इसको एक कदम आगे बढ़कर आरएसएस की साजिश करार दे रहा है।
 
 

 
नेताओं ने हद ही कर दी, महबूबा मुफ्ती की बात नहीं बनी तो लेह और कारगिल जिले के लोगों को ही भड़काने की राजनीति शुरू कर दी।
 

 
क्यों ज़रूरी था अलग डिविज़न
 
इससे पहले लेह और कारगिल जिलों के लोगों को प्रशासनिक काम के लिए सैंकड़ों किमी श्रीनगर जाना पड़ता था। दुर्गम भौगोलिक विभिन्नता और टॉपोग्राफी के चलते लोगों के लिए ये बेहद मुश्किल भरा था। खासतौर पर सर्दियों में लद्दाख क्षेत्र राज्य और देश के बाकी हिस्सों से कट जाता था। इस दौरान कश्मीर पहुंचना असंभव होता था, जिसके चलते लद्दाख क्षेत्र पूरी तरह से पंगू हो जाता था। न तो लोग और न ही अधिकारी लोगों तक पहुंचा पाते थे। लिहाजा लोगों की सालों से मांग थी, कि लद्दाख को अलग डिविज़न का दर्जा दिया जाये। लेकिन सत्ता में कश्मीर के नेता होने चलते उन्होंने कभी लद्दाख की तरफ ध्यान हीं नहीं दिया। लेकिन पद संभालने के कुछ ही दिन बाद राज्यपाल ने लद्दाख की समस्या को हल करने का बीड़ा उठाया था, जिसकी खबर सबसे पहले जम्मू कश्मीर नाउ ने आप तक पहुंचाई थी। आज राज्यपाल ने आखिरकार अपने वायदे को पूरा कर लद्दाख के लोगों को एक बड़ी सौगात दे दी, जिसके वो सालों से हकदार थे।
 
 
 
 
उनके मुताबिक लद्दाख को अलग करने का फैसला एक साजिश है। हालांकि लद्दाख को अलग डिविज़न बनाने से कश्मीर घाटी के प्रशासनिक, आर्थिक और राजनीतिक ढांचे को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, उल्टे रोजगार की संभावनाएं बढेंगी। नये पद सृजित होंगे। कश्मीर डिविज़न का आर्थिक बोझ कम होगा। अफसर कश्मीर घाटी के विकास कार्यों को ज्यादा समय और ध्यान दे पायेंगे। तो फिर ये लोग उखड़े हुए क्यों हैं, इसीलिए क्योंकि एक क्षेत्र का वर्चस्व और उसके नेताओं का वर्चस्व कम होगा। लद्दाख के लोग बराबरी से खड़े पायेंगे। साफ है कुछ लोगों की राजनीतिक दुकानदारी बंद होगी। मीडिया के बाज़ार में में कथित पत्रकारों की कश्मीर केंद्रित सत्ता और वर्चस्व को धक्का लगेगा। साफ है अपना वर्चस्व बचाने के लिए दूसरों की खुशी पर मातम नहीं करेंगे तो क्या करेंगे।