जानिए बालाकोट का पूरा इतिहास, कैसे बना यह इलाका इस्लामी आतंक का गढ़!
   11-मार्च-2019

 
 
 
फरवरी 1989 में सोवियत सेनाओं की अफगानिस्तान से वापसी के बाद हरकत-उल-मुजाहिद्दीन का रुख भारत की ओर हो गया। इसी साल से जम्मू-कश्मीर में इसकी सक्रियता लगातार इजाफा होने लगा था। पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर का मुजफ्फराबाद शहर इसकी गतिविधियों का केंद्र बनाया गया। मुजाहिद्दीन ने हरकत-उल-जिहाद-अल-इस्लामी के साथ मिलकर ने 1993 में हरकत-उल-अंसार नाम का नया आतंकी समूह बनाया। जोकि भारत के जम्मू-कश्मीर सहित म्यांमार में जेहाद के नाम पर दहशत फ़ैलाने लगा।
 
इस बीच मुजाहिद्दीन के तीन सरगनाओं को भारतीय सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया। पहले नसरुल्लाह मंसूर पकड़ा गया जोकि मुखिया रह चुका था। जनवरी 1994 में श्रीनगर से सज्जाद अफगानी और मसूद अज़हर भी सुरक्षा बलों के गिरफ्त में आ गए। कमजोर हो चुके मुजाहिद्दीन को आई.एस.आई. का सहारा मिला और लश्कर-ए-तोइबा में शामिल हो गया। 1997 में हरकत-उल-अंसार पर अमेरिका ने प्रतिबन्ध लगा दिया। रिपोर्ट्स दावा करती है कि इस आतंकी संगठन के तार ओसामा बिन लादेन और अलकायदा से जुड़े हुए थे। अब अंसार ने मुजाहिद्दीन के नाम से अपनी गतिविधियों को जारी रखना शुरू कर दिया।[1]. 
 
 
 
मसूद अजहर (फोटो Reuters)
 
सात सालों तक लगातार मुजाहिद्दीन अपने आतंकी मुखियाओं को भारत की जेलों से निकालने की कोशिश करता रहा। पहले चार बार वह एकदम नाकाम रहा। अधिकतर मौकों पर विदेशी नागरिकों को बंधक बना कर भारत सरकार पर दवाब बनाया जाता था। पांचवीं दफा सज्जाद अफगानी जेल तोड़कर भागने के कारण मारा गया। आखिर में दिसंबर 1999 में काठमांडू से दिल्ली आ रहे इंडियन एयरलाइन्स के विमान IC 814 को उसने हाईजेक कर लिया। विमान को जबरदस्ती कंधार ले जाया गया जोकि उस समय तालिबान के कब्जे में था। विमान में सवार यात्रियों के बदले मसूद अजहर के साथ दो अन्य आतंकियों को छुड़ाने में मुजाहिद्दीन कामयाब हो गया।
 

 
 
आई.सी. 814 (फोटो AP)
 
पाकिस्तानी आतंकी मसूद अजहर का मंसूबा है कि कश्मीर घाटी को पाकिस्तान में जबरदस्ती शामिल किया जाए। सी.आई.ए. भी यही मानता है कि वह इसी दिशा में काम कर रहा हैं।[2] भारत से निकलने के बाद वह सीधे ओसामा बिन लादेन के पास गया। साल 2000 में आई.एस.आई., तालिबान और अलकायदा ने अजहर को जैश-ए-मोहम्मद को खड़ा करने में मदद दी। एक अमेरिकी अखबार ने साल 2002 में खुलासा किया कि मसूद का ओसामा से पुराना रिश्ता हैं।[3] यूनाइटेड नेशनस सिक्यूरिटी काउंसिल को भी इस नाते की जानकारी हैं. काउंसिल के मुताबिक जैश को अलकायदा और तालिबान से पैसा, योजना, सुविधा और तैयारी के लिए सहयोग मिला था।[4]
 
ग्लोबल टेररिज्म डाटाबेस के अनुसार जैश ने भारत में 2000 से 2017 के बीच 73 आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया। इन 17 सालों में 294 लोगों की मौत और घायलों की संख्या 425 बताई गई हैं। हमलों में नागरिकों सहित पुलिस और सेना को खासकर निशाना बनाया जाता रहा हैं। नई दिल्ली में दो और हैदराबाद में एक बार के अलावा अधिकतर हमलें श्रीनगर, त्राल, राजौरी, दीनानगर, साम्बा, कठुआ, नगरोटा, उरी, बारामुला, पठानकोट, उधमपुर, पुलवामा और सौपोर में हुए।[5] हालाँकि भारत सरकार ने अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट 1967 के तहत जैश पर प्रतिबन्ध लगा रखा हैं।[6]
 
 

 
13 दिसंबर, 2001 को भारत की संसद पर आतंकी हमला भी जैश-ए-मोहम्मद की साजिश थी (फोटो Reuters)
 
 
अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट की वेबसाइट की माने तो इस समूह के पास हल्की और भारी मशीन गन, असॉल्ट राइफल्स, मोर्टार, इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस, रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेडनेस जैसे हथियार हैं। वेबसाइट में यह जिक्र है कि इसके ठिकाने पाकिस्तान में मौजूद हैं।[7] यूनाइटेड नेशनस सिक्यूरिटी काउंसिल ने भी जैश को पाकिस्तान में स्थित एक चरमपंथी समूह घोषित किया हैं।[8] विकिलीक्स ने 2004 की एक रिपोर्ट में ऐसा ही एक खुलासा किया था। उसमें बताया गया कि अमेरिका ने एक पाकिस्तानी आतंकी हाफिज के. रहमान को पकड़ा था। आतंकी ने बताया कि 2001 में वह तालिबान के साथ जुड़ गया। उसने यह भी जानकारी दी कि उसे विस्फोटक और बंदूक चलाने की ट्रेनिंग पाकिस्तान के बालाकोट में मिली जोकि जैश का अड्डा था।[9]
 
बालाकोट पाकिस्तान के मानसेहरा जिले में स्थित एक तहसील हैं। वहां की काग़ान घाटी पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। घाटी का अधिकतर हिस्सा बालाकोट और मानसेहरा में ही आता हैं। इस घाटी से निकलने वाली कुनहार नदी के किनारे यह तहसील बसी हुई हैं। वैसे तो इस पूरा इलाका अपने प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है, लेकिन इसके पीछे एक अलग दुनिया हैं। सामरिक द्रष्टि से यह क्षेत्र बेहद संवेदनशील माना जाता रहा हैं। पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर की सीमाएं इससे सटी हुई हैं। चीन और पाकिस्तान को सीधे जोड़ने वाला काराकोरम हाईवे यही से होकर गुजरता हैं।
 
 

 
बालाकोट, पाकिस्तान (फोटो Google Maps)
 
 
बालाकोट से एबटाबाद की दूरी सिर्फ 62 किलोमीटर हैं। यह वही पाकिस्तान का शहर हैं, जहाँ से अमेरिकी फौज ने ओसामा को पकड़ा था। मुंबई हमले (2008) के बाद पकडे गए पाकिस्तानी आतंकी डेविड कोलमेन हेडली ने खुलासा किया था कि ओसामा जम्मू-कश्मीर पर हमेशा नज़र रखता था। जब उसे मारा गया तो उसके पास राज्य के नक़्शे और अखबार मिले थे।[10] यही नहीं बालाकोट से मुजफ्फराबाद का फासला भी मात्र 40 किलोमीटर हैं। यह पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर की कथित राजधानी हैं, जहाँ से भारत के खिलाफ कई आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता रहा हैं।
 
पिछले दिनों बालाकोट फिर से चर्चा में आ गया। भारत के पुलवामा में 14 फरवरी, 2019 को सी.आर.पी.एफ. के काफिले पर आतंकी हमला हुआ। इस घातक हमलें में अर्धसैनिक बल के 40 जवान शहीद हो गए। इस घटना को जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था। भारत ने जैश के खिलाफ जवाबी कार्यवाही करते हुए बालाकोट और पाक अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर में आतंकी ठिकाने एयर स्ट्राइक से तबाह कर दिए। अब एक सवाल यहाँ उठता है कि आखिर बालाकोट और जैश का सम्बन्ध क्या है? कुछ पुराने दस्तावेजों से पता चलता है कि यह पिछले सातवीं शताब्दी से कट्टरपंथी और चरमपंथी विचारों का केंद्र बना हुआ हैं।
इतिहास में देखने पर पता चलता है कि 326 ईसा पूर्व में सिकंदर की सेनाएं इस इलाके से होकर गुजरी थी। उसके उत्तराधिकारी सेल्यूकस ने बीस साल बाद इस इलाके को एक संधि के तहत चन्द्रगुप्त मौर्या को वापस सौंप दिया था।[11] मौर्या साम्राज्य में मानसेहरा एक प्रमुख शहर था। दरअसल ब्रिटिश और भारतीय खोजकर्ताओं के दल ने 1889 वहां कुछ शिलालेखों की खोज की थी। इतिहासकारों के अनुसार सम्राट अशोक ने ही उन शिलालेख को खुदवाया था।[12] सामान्यतः बाद के कुछ शताब्दियों तक वहां कोई खास हलचल नहीं हुई। 650 ईसवी में इस इलाके के पश्चिमी छोर पर एक बड़ा परिवर्तन हुआ। पर्शिया साम्राज्य पर अब मुसलमानों ने कब्ज़ा कर लिया था और इसका असर दिखाई देने लगा था। सातंवी शताब्दी के आखिरी दौर के बाद से पठानों, तुर्कों और अफगानों के लगातार हमलें होने लगे।
 
 
 
पाकिस्तान में स्थित सम्राट अशोक का एक शिलालेख
 
यह क्रम 16वीं शताब्दी तक चलता रहा। इस दौर में एक अफगानी युसुफजई कबीलें ने धर्मांतरण पर जोर देना शुरू कर दिया। इस वक्त दिल्ली में बाबर गद्दी पर बैठ चुका था। उसने इस काबिले के मलिक शाह मंसूर की बेटी से शादी भी की। इस कूटनीतिक रिश्ते का मकसद मुगलों का आधिपत्य स्वीकार करना था। औरंगजेब के समय वहां स्थितियां बेहद बिगड़ने लगी। अफगानिस्तान से नादिर शाह, उसका उत्तराधिकारी अहमद शाह दुर्रानी और तैमूर शाह ने यहाँ कब्ज़ा कर लिया। इस तरफ पंजाब में सिक्ख साम्राज्य स्थापित हो चुका था। महाराजा रणजीत सिंह ने 1814 में अटक और 1818 में पेशावर को अफगानों से वापस ले लिया था।
 

 
सिक्ख साम्राज्य (फोटो Wikipedia)
 
 
उनका अगला कदम बालाकोट के पहाड़ी इलाकों को भी विदेशी हमलावरों से वापस लेना था। वहां मुकाबले के लिए बरेली के रहने वाले अहमद शाह ने अपने कट्टरपंथी विचारों के साथ एक छोटी सेना तैयार कर ली थी। उसने उन्हें मुजाहिद कहा और 1831 में उसका सामना सिक्ख सेना से हुआ। एक ही रात में महाराजा की सेना से सभी मुजाहिदों को मार गिराया। हालाँकि इसके बाद अब्दुल गफ्फूर ने इस विचारधारा को जीवित रखा। इस बीच 1849 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने पेशावर को हथिया लिया। अगले कई सालों तक यह इलाका ब्रिटिश सेनाओं और गृह युद्ध में घिर गया। इसके बाद यहाँ सिर्फ कट्टरपंथी, चरमपंथी, दहशतगर्दी और धर्मान्धता का बोलबाला रहा।यह बालाकोट और उसके आसपास के इलाकों का इतिहास था। आज मसूद अजहर ने बंदूक और विस्फोटकों से इसे आतंक का पर्यायवाची बना दिया हैं।
 
 
[1] साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल https://www.satp.org/satporgtp/countries/india/states/jandk/terrorist_outfits/jaish_e_mohammad_mujahideen_e_tanzeem.html
 
[2] सी.आई.ए. https://www.cia.gov/library/publications/resources/the-world-factbook/fields/print_2265.html
 
[3] लॉस एंजिल्स टाइम्स, 25 फरवरी, 2002  http://articles.latimes.com/2002/feb/25/news/mn-29792
 
[4] यूनाइटेड नेशनस सिक्यूरिटी काउंसिल  https://www.un.org/securitycouncil/sanctions/1267/aq_sanctions_list/summaries/entity/jaish-i-mohammed
 
[5] https://www.start.umd.edu/gtd/search/Results.aspx?expanded=no&casualties_type=&casualties_max=&success=yes&perpetrator=20233&ob=GTDID&od=desc&page=1&count=100#results-table%3E
 
[6] गृह मंत्रालय, भारत सरकार https://mha.gov.in/node/91173
 
[7] यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ़ स्टेट https://www.state.gov/j/ct/rls/crt/2006/82738.htm
 
[8] यूनाइटेड नेशनस सिक्यूरिटी काउंसिल https://www.un.org/securitycouncil/sanctions/1267/aq_sanctions_list/summaries/entity/jaish-i-mohammed
 
[9] विकिलीक्स https://wikileaks.org/gitmo/pdf/pk/us9pk-000301dp.pdf
 
[10] लाइवमिंट, 2 नवम्बर, 2017 https://www.livemint.com/Politics/eezWeBkffevk59JGNfds3J/Osama-bin-Laden-kept-eye-on-Kashmir-David-Headley-trial-CI.html
 
[11] इम्पीरियल गजेटियर ऑफ़ इंडिया, नार्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस, 1908, पृष्ठ 217
 
[12] राधाकुमुद मुखर्जी, अशोक, मैकमिलन : लन्दन, 1928, पृष्ठ 139