चीन का दोगला चेहरा- तमाम बेकसूर उईगर मुस्लिम हैं आतंकी, लेकिन पाकिस्तान के तमाम आतंकी बेकसूर
   14-मार्च-2019
 
 
एक बार फिर चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में अपने वीटो का विशेषाधिकार प्रयोग कर मसूद अज़हर के अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी घोषित किये जाने पर रोड़ा अटका दिया है I अमेरिका , ब्रिटेन और फ्राँस ने मिलकर अज़हर मसूद के विरुद्ध ये प्रस्ताव रखा था I 5 स्थाई और 10 अस्थायी सदस्यों में से 14 ने इस प्रस्ताव को पारित कर दिया था पर इस बार चीन ने कुछ तकनीकी कारणों का हवाला देकर इस निर्णय को छः महीनों के लिए पीछे धकेल दिया है I पिछले 10 सालों में चीन ने चौथी बार इस काम के लिए अपने वीटो अधिकार का प्रयोग किया है I बात और रोचक हो जाती है जब हर बार चीन के अलावा बाकी के सदस्य अपनी सहमति दे रहे हैं I चीन के इस रवैय्ये का सीधा मतलब यही है की चीन पाकिस्तान के साथ अपने संबंधों पर कोई दबाव या मनमुटाव नहीं चाहता है, परन्तु चीन को भारत को नाराज़ करने से कोई परहेज़ नहीं है I
 
 
एक ओर पिछले लगभग एक दशक से चीन पाकिस्तान में आतंकवाद को न सिर्फ पनपने दे रहा है बल्कि अनेकों आतंकवादी हमलों के बावजूद आतंकवाद की निंदा करने से भी परहेज़ कर रहा है I यह देखकर लगता है जैसे चीन इस्लाम और इस्लामी कट्टरपंथियों का समर्थन करता है, या कम से कम उनसे सहनुभूति रखता है I परन्तु यही चीन अपनी ज़मीन पर इस्लाम के अनुयायियों से कैसा बर्ताव करता है वो आपको क्सीनजियांग प्रान्त के उइघुर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों से पता चल जायेगा I इनके मानवाधिकार अस्तित्व में ही नहीं हैं और जब डोल्कुन इसा जैसे लोगों ने 1988 में इन अत्याचारों के और भेद भाव के विरुद्ध आवाज़ उठायी तो उसे कॉलेज से निकाल दिया गया I तब से इसा जर्मनी में रहते हैं I 72 वर्षीय महिला राबिया कादिर ने उइघुर समुदाय के अधिकारों की बात की तो उन्हें भी चीन छोड़ कर जाना पड़ा I वर्ष 2005 से वे अमेरिका में रहती हैं I
 
 

 Glimpse of Chinese detention Center
 
 
चीन ने जिंगजियांग में ग़ैर कानूनी “री-एजुकेशन” शिविर बनाये हैं जहाँ दस से बारह लाख उइघुर नज़रबंद हैं I चीन की इस्लाम के प्रति असहिष्णुता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है की उइघुर रमजान में रोज़े नहीं कर सकते हैं, उनके उलेमाओं के सरकार ने दाढ़ी कटवा दी, मस्जिद तोड़ दिए गए I जब डोल्कुन इसा जैसे लोग आवाज़ उठाते हैं तो उनको आतंकवादी घोषित कर दिया जाता है I यानि जब कोई चीन में मानवाधिकार की बात करता है, अपने और अपने समुदाय के लोगों के हक़ की लड़ाई लड़ता है वो चीन के लिए आतंकवादी होता है I चीन दूसरे देशों में उसके प्रवेश पर रोक लगवा देता है, , भारत जैसे देशों में उसका वीसा रद्द करवा देता है, ये कह कर की वो चीन की आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरा है, आतंकवादी है यु एन के दफ्तर में उसका प्रवेश रुकवा देता है I पर यही चीन, मुंबई में लोकल ट्रेन पर, सूरत में अक्षरधाम पर, भारत की पार्लियामेंट पर, पठानकोट में वायुसेना बेस पर, पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों पर आतंकवादी हमले कर, हज़ारों लोगों की जान मॉल का नुकसान करनेवाले मसूद अज़हर के आतंकवादी होने का सबूत माँगता है I
 
जिस आतंकवादी को 1996 में भारत ने आतंकवादी गतिविधियों के लिए क़ैद किया गया था उसे छुड़वाने के लिए 1999 को इंडियन एयरलाइन्स का विमान अपहृत किया गया था I अपने 187 यात्रियों और लगभग 20 विमान कर्मियों को बचाने के लिए भारत को मजबूरन मसूद अज़हर और 2 अन्य आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा था I ये हास्यास्पद बात है की जैश ए मोहम्मद को 2001 में यु एन ने आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था , पर उसके संस्थापक और सबसे बड़े लीडर के आतंकवादी होने पर चीन को संदेह है I चीन आतंकवाद, विशेष रूप से पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है बावजूद इसके की अमेरिका ने साफ़ शब्दों में चीन को चेतावनी दी कि मसूद अजहर को लेकर चीन का रुख क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए खतरा बन सकता है I
 
 
 
 
 
 
अपने देश में धर्मिक स्वतंत्रता और मुसलमानों पर कठोर प्रतिबन्ध और दूसरी ओर भारत पर लगातार आतंकी हमले करनेवाले इस्लामी कट्टरपंथी आतंकवादियों को पाकिस्तान में समर्थन देकर बढ़ावा देना, चीन का ये दोगलापन अब खुलकर सामने आ गया है I इस सबसे एक बात तो स्पष्ट हो जाती है की अब यदि, पाकिस्तान से चल रहे आतंकवाद का करारा जवाब भारत सैन्य कारवाही कर के देता है तो कोई भी भारत को क्षेत्र में अशांति और असुरक्षा फ़ैलाने के लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहरा सकता है I