NIA की कार्रवाई से घबराये अलगाववादियों ने शुरू किया प्रोपगैंडा, जमात-ए-इस्लामी कार्यकर्ता की संदिग्ध मौत NIA पर मढ़ने की साजिश
   19-मार्च-2019

टेरर फंडिंग केस में अलगाववादी मीरवाइज़ उमर फारूख एक बार फिर एनआईए के समन पर दिल्ली नहीं पहुंचे। ये दूसरी बार है जब उमर फारूख ने एनआईए के समन को नहीं माना। उमर फारूख की मांग है कि पूछताछ दिल्ली नहीं श्रीनगर में की जाये। जिसके लिए एनआईए तैयार नहीं है। IANS की खबर के मुताबिक एनआईए का दावा है कि उनके पास काफी सबूत हैं जिनसे साबित होता है कि मीरवाइज़ टेरर फंडिंग केस में शामिल हैं। उम्मीद है उमर फारूख समेत बाकी 6 बड़े अलगाववादी नेताओं पर कार्रवाई की जा सकती है। इन नेताओं में मीरवाइज उमर फारूख के अलावा सैयद अली शाह गिलानी, मोहम्मद अशरफ खान, मसर्रत आलम, जफर अकबर भट के नाम शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक ये कार्रवाई अगेल 2 महीनों के अंदर की जा सकती है।
 
जाहिर है अलगाववादियों पर फंदा कसता जा रहा है, लिहाजा एनआईए के खिलाफ एक नयी साजिश शुरू हो चुकी है। दरअसल घाटी में दावा किया जा रहा है कि अवंतिपोरा के रहने वाले 28 साल के रिजवान असद की मौत एनआईए की कस्टडी में हुई है। इसके लिए घाटी में तमाम अलगाववादी नेटवर्क प्रोपगैंडा फैलाना शुरू कर चुका है। अलगाववादियों द्वारा कहा जा रहा है कि कुछ दिन पहले एनआईए की टीम ने रिजवान असद को हिरासत में लिया था। हालांकि एनआईए ने एक स्टेटमेंट जारी कर साफ किया है कि एजेंसी ने रिजवान असद को किसी भी केस में जांच के लिए नहीं बुलाया, न ही कोई पूछताछ की। ना ही उसे किसी दूसरी लोकेशन पर जांच के लिए बुलाया गया।
 
 
बहरहाल मामला बढ़ता देख जम्मू कश्मीर पुलिस ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिये हैं। लेकिन इससे पहले की जांच पूरी हो, एनआईए की साख पर सवाल उठाना शुरू कर दिया गया है।
 

 
 
कोशिश की जा रही है कि एनआईए को विलेन के तौर पर पेश किया जा सके। इसके लिए अलगाववादियों ने फिर से घाटी बंद का ऐलान किया है। जाहिर है रिजवान की मौत का प्रोपगैंडा बनाकर टेटर फंडिंग केस में फंसे नेताओं को बचाने की कवायद शुरू हो चुकी है।