करतारपुर के बाद कश्मीरी हिंदूओं के लिए शारदा पीठ कॉरिडोर खोलने को पाकिस्तान सरकार दे सकती है मंजूरी
   25-मार्च-2019
 
 
 
करतारपुर साहिब कोरिडोर बनने से सिखों की 70 साल पुरानी ख्वाहिश आखिरकार पूरी हो गयी। सरहद के इस पार रहने वाले सिखों को अब करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए दूरबीन या वीज़ा की जरूरत नहीं पड़ेगी। बालाकोट हमले के बाद भारत औऱ पाकिस्तान के बाद आपसी खटास को मिटाने के लिए पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर स्थित मां शारदा पीठ के दर्शन के लिए कॉरिडोर खोल सकता है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने आगे का रास्ता साफ करने के लिए अपनी मंजूरी दे दी है।
 
 
 
हालांकि भारत सरकार ने अब तक इस पर कोई बयान नहीं दिया है। जाहिर है भारत पहले पाकिस्तान के आधिकारिक बयान के बाद ही कुछ रिएक्ट करेगा।
 
 
 
बहरहाल ये खबर सुनकर कश्मीरी पंडितों को भी एक आस जगी कि शायद उनकी भी 70 साल पुरानी ख्वाहिश पूरी हो जाये। ख्वाहिश पीओजेके में स्थापित शारदा पीठ के दर्शन की। मां शारदा वो नाम है, जो डेढ हजार साल से जम्मू कश्मीर के हिंदुओं की अनंत आस्था और संस्कृति की पहचान है। एक ऐसा पवित्र धाम जहां शंकराचार्य और कल्हण जैसे विद्वानों ने शिक्षा पायी हो। हिंदू परंपरा का एक ऐसा केंद्रस्थान जहां पाणिनी ने संस्कृत व्याकरण की रचना की हो। मां सरस्वती को समर्पित एक ऐसा नाम जिसकी मान्यता बाबा अमरनाथ धाम के समान हो। वो पवित्र धाम जो आज पाकिस्तानी सरकार की अमानवीय करतूतों के चलते जर्जर हालत में है।
 
 
 
 
 
दरअसल मां शारदा पीठ किशनगंगा नदी के किनारे स्थापित है, जो 1947 में पाकिस्तानी हमले के बाद पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर में चली गई। इसके बाद स्थानीय मुस्लिम हमले में शारदा पीठ को तहस-नहस कर दिया गया। किशनगंगा नदी का नाम बदलकर नीलम नदी रख दिया गया। इसके 70 साल बाद शारदा पीठ ने पाकिस्तानी सरकार की विखंडन मानसिकता से लेकर प्राकृतिक आपदा तक हर तरह का दंश झेला। आज शारदा पीठ एक खंडहर में तब्दील हो चुकी है। जिसकी टीस आपको हरेक कश्मीरी हिंदू की बातों में जज्बात में झलकेगी। कश्मीरी हिंदू सालों मां शारदा पीठ के पुनर्उद्धार की मांग कर रहे हैं। हिंदू की मांग है कि शारदा पीठ और LOC के इस पार एक कोरिडोर बनाया जाये। ताकि कश्मीरी हिंदू एक बार फिर अपनी जड़ों से जुड़ सकें, श्रद्धालु एक बार फिर कश्मीर की कुलदेवी मां शारदा का आशीर्वाद ले सके।
 
 
करतारपुर कोरिडोर का सपना पूरा होने के बाद, शारदा पीठ को लेकर भी कश्मीरी हिंदुओं में उम्मीद की एक किरण जगी है। उम्मीद है वो किसी आपसी मतभेद के पूरी हो जायेगी।