जम्मू कश्मीर के मैप में सिर्फ कश्मीर को चमकाने की साजिश, सरकारी संस्थाओं के नामों से भी गायब है जम्मू
   29-मार्च-2019
जम्मू कश्मीर की राजनीति पर , कश्मीर के चंद नेता और कुछ लोग आज तक हावी रहे हैं, जिन्होंने वहाँ की सांस्कृतिक और भौगोलिक विविधता, को वहाँ की सच्चाई को , सही जानकारी को बाहर नहीं आने दिया I उनका ध्यान हमेशा से कश्मीर पर केंद्रित रहा न कि पूरे राज्य पर, जिसमें जम्मू और लद्दाख का भी समावेश है I और उन्होंने ये सुनिश्चित किया कि देश और दुनिया के आकर्षण केंद्र भी केवल कश्मीर रहे I यह बात एक बार फिर सामने आयी है I
 
 
अभी हाल ही में 18 मार्च 2019 जम्मू कश्मीर पर्यटन विभाग की पब्लिसिटी कमिटी ने ये निर्णय लिया की जम्मू से सोशल मीडिया अकाऊंट बंद कर दिया जायेगा I पब्लिसिटी कमिटी के चेयरमैन/सेक्रेटरी की अध्यक्षता में हुई इस मीटिंग में ये तय किया गया कि कश्मीर टूरिसम के डाइरेक्टर का सोशल मीडिया अकाउंट ही अब जम्मू कश्मीर पर्यटन के लिये औपचारिक अकाउंट होगा I जम्मू के टूरिसम डायरेक्टर को अब से कश्मीर के सोशल मीडिया अकाउंट से ही पोस्ट डालनी होंगीं I अब तक जम्मू कश्मीर पर्यटन विभाग के सोशल मीडिया में दो अकाउंट थे, एक जम्मू से और दूसरा कश्मीर से चलता था I पर अब ये तय किया गया है कि जम्मू अकाउंट से उपडटेस नहीं होंगीं, केवल कश्मीर से होंगीं I यानी जम्मू के पर्यटन स्थलों के प्रचार को ब्लॉक कर दिया गया है I हैरानी कि बात यह है कि जम्मू टूरिज़्म के अकॉउंट को बंद करने का कोई जायज़ कारण नहीं है I सोशल मीडिया के दो अकाउंट चलाने में खर्चा बढ़ रहा हो ऐसा भी नहीं था I अर्थात ये स्पष्ट हो गया है कि जान बूझ कर आधिकारिक तौर पर केवल कश्मीर पर्यटन को बढ़ावा दिया जा रहा है, और जम्मू के पर्यटन को नुकसान पहुँचाया जा रहा है I यहाँ एक महत्वपूर्ण बात यह है कि 2018 में जम्मू क्षेत्र में 1 .6 करोड़ देशी और विदेशी पर्यटक आये, जब कि कश्मीर में पर्यटन का प्रचार करने के लिया करोड़ो रूपया खर्च करने के बाद भी इस 2018 में पर्यटकों की संख्या 8.5 लाख ही थी I पिछले साल कि तुलना में 23 % कम यात्री कश्मीर गए I
 
 
 
 
पर्यटन विभाग के इस निर्णय का 27 मार्च को जम्मू में ज़बरदस्त विरोध हुआ, क्योंकि राज्य का नाम कश्मीर नहीं, जम्मू कश्मीर है I भारत के संविधान में भी राज्य का नाम जम्मू कश्मीर है , कश्मीर राज्य का सबसे छोटा हिस्सा है और ये पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व नहीं करता है I आंकड़े बताते हैं कि जम्मू में कश्मीर की तुलना में 20 गुना अधिक पर्यटक आते हैं I इसका कारण घाटी में हो रही आतंकवाद की घटनाएँ भी हैं, कश्मीर का भौगोलिक क्षेत्रफल छोटा होना भी हैI दूसरी ओर जम्मू में शांति है, पर्यटन के साथ साथ धार्मिक महत्ता के स्थान भी हैं, जिससे यहाँ पर्यटन अधिक सफल हुआ है I अब यदि केवल कश्मीर से पर्यटन की सूचनाएँ भेजी जाएँगी तो कश्मीर का पर्यटन बढ़ेगा , साथ ही पूरे राज्य की पहचान जम्मू कश्मीर न होकर केवल कश्मीर होगा I
 
 
 
 
हाल ही में बम्बई में भी जम्मू कश्मीर पर्यटन विभाग ने राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सेमिनार किया, पर वहाँ जो बैनर लगाया था उस पर ''Kashmir Calling - कश्मीर पुकार रहा है'' लिखा था I ये साफ़ पता चल रहा है की सोची समझी साज़िश कर जान बूझ कर हर जगह केवल कश्मीर लिखा जा रहा है I
 
 

कश्मीर के चंद सामंतवादी परिवारों की मानसिकता का परिचय देने हम आपको कुछ और उदाहरण देते हैं –
 
 
कश्मीर एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज- किसी राज्य की एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस यानि प्रशासनिक सेवाएँ उस राज्य के नाम पर होती हैं, जैसे पंजाब एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेस, पर जम्मू कश्मीर में इसको केवल ''कश्मीर एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज- Kashmir Administrative Services (KAS )'' के नाम से जाना जाता है I क्यों? जब राज्य का नाम जम्मू कश्मीर है तो प्रसाशनिक सेवाओं का नाम केवल कश्मीर एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस क्यों होना चाहिए?
 
 
कश्मीर पुलिस सर्विसेज- इसी तरह जम्मू कश्मीर की पुलिस विभाग का नाम भी केवल कश्मीर पुलिस सर्विसेस है I
जम्मू कश्मीर के अन्य रहवासियों की पहचान को समाप्त करने के इस विषैली मानसिकता का नतीजा है की जम्मू कश्मीर रेडियो की जगह ''कश्मीर रेडियो'' और ''जम्मू रेडियो, कश्मीर'' लिखते हैं I इस सबके परिणामस्वरूप आम तौर पर हम सभी जब इस राज्य की बात करते हैं तो केवल कश्मीर ही बोलते हैं , यही इन अलगाव वादियों की साज़िश है, यही इनकी मंशा है I
 
 
जम्मू शुरू से इस प्रकार के दुष्प्रचार और भेद भाव का शिकार रहा है I साथ ही इस राज्य की असली पहचान "विविधता में एकता" को नीतिगत तरीके से नष्ट किया जा रा है है I दशकों से चलते आ रहे झूठे प्रचार के कारण बहुत कम लोग जानते हैं कि जम्मू कश्मीर में केवल कश्मीरी और उर्दू बोलने वाले मुस्लमान नहीं रहते हैं I वहाँ हिन्दू, सिख , बौद्ध और क्रिश्चियन भी रहते हैं I अलग अलग समुदाय रहते हैं और विभिन्न बोलियाँ बोली जाती हैं , जैसे डोगरी, पहाड़ी, गुजर, शीना, बाल्टी, पंजाबी, डोगरी, पश्तो आदि I
 
परन्तु अलगाववादी सँकरी मानसिकता के राजनेता और कुछ चुनिंदा लोग भरसक यही प्रयत्न करते हैं कि पूरे देश और दुनिया में जम्मू कश्मीर की पहचान केवल कश्मीर हो और केवल इस्लाम हो, राज्य के पर्यटन विभाग द्वारा लिया गया यह निर्णय झूठ के इसी कड़ी में एक और कड़ी जोड़ता है I