पाकिस्तान में जमात-ए-इस्लामी कर रहा भारत से जंग लड़ने के लिए बच्चों की भर्ती, कराची-लाहौर समेत कईं शहरों में खुले रजिस्ट्रेशन ऑफिस
   03-मार्च-2019
 
 
 
पाकिस्तान में एक तरफ अभिनंदन की रिहाई के बदले में इमरान खान को नोबेल दिये जाने के नगाड़े पीटे जा रहे हैं, दूसरी तरफ यहां मौजूद दहशतगर्द इस्लामिक ऑर्गनाइजेशन भारत के खिलाफ अपनी जंग को और तेज़ करने के लिए नईं भर्ती कर रही है। 26 फरवरी को भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद इस्लामिक संगठन जमात-ए-इस्लामी ने कराची, लाहौर, पेशावर, बहावलपुर समेत कईं शहरों में रजिस्ट्रेशन ऑफिस खोलें हैं। जिसमें बच्चों की भर्ती का रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है, हैरत इस बात की है कि मां-बाप खुद अपने बच्चों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए ला रहे हैं। यहां रजिस्ट्रेशन कैंप में बच्चों के पते और फोन नंबर नोट किये जा रहे हैं। जिनको वक्त आने पर जंग में शामिल होने के लिए बुलाया जायेगा।
 
समा टीवी की वेबपोर्टल पर छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अकेले कराची में 30 हज़ार से ज्यादा रजिस्ट्रेशन किये जा चुके हैं। यहां रजिस्ट्रेशन कराने वाले हरेक बच्चे को ज़ज्बा-ए-शहादत और ज़ज्बा-ए-जिहाद के मायने रटाये जाते हैं। यानि उनको वक्त आने पर जिहादी बनने की शुरूआती ट्रेनिंग दी जा रही है।
 

 
कराची यूनिवर्सिटी में भारत के खिलाफ मार्च निकालते जमात के तालिबान
 
 
कराची में जमात ए इस्लामी के स्टूडेंट विंग इस्लामी जमीयत तलबा के नेता हाफिज बिलाल ने ये कैंप लगाया था। जोकि कराची यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट प्रेज़ीडेंट भी रह चुके हैं। कराची में इस स्टूडेंट विंग के 10 हजार से ज्यादा मेंबर हैं। जिन्होंने इस रजिस्ट्रेशन कैंप को सफल बनाने के लिए जी-जान एक कर रखी है।
 
 
 कराची शहर में कैंप के लिए लगे जमात के पोस्टर-बैनर
 
 
जमात-ए-इस्लामी का पाकिस्तान में एक इस्लामिक संगठन के तौर पर बड़ा रूतबा है। इसके अमीर शिराज़-उल-हक पाकिस्तान की सीनेट के मेंबर भी हैं। लेकिन असल में जमात-ए-इस्लामी कश्मीर की आजादी और इसके लिए जिहाद करने यानि कश्मीर में आतंकवाद फैलाने में सीधे-सीधे शामिल है। इसके नेता हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन के साथ अक्सर देखे जाते हैं। दरअसल ये जमात-ए-इस्लामी का ही आतंकी विंग है। जिसको कश्मीर घाटी में हिज्बुल आतंकी रियाज नाइकू आगे बढ़ा रहे हैं।
 
 
 
 हिज्बुल मुजाहिदीन के सैयद सलाहुदीन के साथ जमात-ए-इस्लामी अमीर सीनेटर शिराज-उल-हक
 
 
हालाकिं जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर विंग पाकिस्तान की जमात से आजादी के बाद अलग हो गया था। लेकिन परोक्ष रूप से दोनों का मकसद एक ही है। घाटी में जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर हिज्बुल मुजाहिदीन की रीढ़ मानी जाती है। जिसको वो हर तरीके से सपोर्ट मुहैया कराती है। यहीं वजह है कि केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर की जमात-ए-इस्लामी को बैन कर दिया है। लेकिन सरहद के उस पार ये जमात बैखौफ फल-फूल रही है।
 

 
पेशावर में पीएम मोदी के खिलाफ सड़कों पर दंगे करते जमात-ए-इस्लामी के जिहादी