बंद पड़े 30 साल पुराने केस में होगी अलगाववादी यासीन मलिक पर कार्रवाई, लगा PSA,जम्मू जेल में किये गये शिफ्ट
   07-मार्च-2019
सरकार जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेताओं पर धीरे-धीरे नकेल कसती जा रही है। ताजा कार्रवाई में जेएंडके प्रशासन ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) चीफ यासीन मलिक के ऊपर जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। आपको बता दें कि मलिक को 22 फरवरी को हिरासत में लिया गया था और इसके बाद उन्हें कोठीबाग पुलिस स्टेशन में रखा गया था। इसके पहले राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने गत 26 फरवरी को अलगाववादी नेता के आवास पर 26 फरवरी को छापे मारे थे। जिसमें काफी अहम सबूत और दस्तावेज मिले थे।
 
 
PSA लगने से पहले राज्य के उच्च न्यायालय ने भी यासीन मलिक को एक बड़ा झटका देते हुए रुबिया सईद के अपहरण की साजिश में शामिल होने व एयरफोर्स के अधिकारियों पर हमले से जुड़े मामलों की सुनवाई को श्रीनगर से जम्मू स्थानांतरित करने के संदर्भ में उनसे आपत्तियां मांगी हैं। यह मामला भी बीते 30 सालों से लटका पड़ा था। ता दें कि राज्य उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल ने देश के तत्कालीन गृहमंत्री स्व मुफती मोहम्मद सईद की छोटी बेटी रुबिया सईद के 1990 में हुए अपहरण व 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र में एयरफोर्स अधिकारियों के वाहन पर हुए आतंकी हमले में आरोपित जेकेएलएफ चेयरमैन मोहम्मद यासीन मलिक के खिलाफ जारी मामलों की सुनवाई को श्रीनगर स्थित हाईकोर्ट विंग से जम्मू स्थानांतरित करने की सीबीआई की मांग का नोटिस लेते हुए सभी आरोपितों को एक दिन के भीतर अपनी आपत्तियां दर्ज कराने का निर्देश दिया है। इस मामले की सुनवाई 11 मार्च को होनी है।
 
पुलवामा हमले के बाद जम्मू-कश्मीर सरकार ने 18 अलगाववादी नेताओं की हटा ली गयी थी। जिन नेताओं से सुरक्षा हटाई गई उनमें हुर्रियत नेता एसएएस गिलानी, आगा सैय्यद मोसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नयीम अहमद खान, मुख्तार अहमद वाजा के नाम हैं।