चाबहार में आयी बहार और ग्वादर पोर्ट में छाया है मायूसी का साया, चीन-पाकिस्तान को भारी नुकसान- पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स
   09-मार्च-2019

 
 
पाकिस्तान ने अरबों डॉलर खर्च कर ग्वादर पोर्ट तैयार किया और उसके चीन से जोड़ने के लिए चीन से 6 अरब डॉलर की लागत से सीपेक (चाइना-पाकिस्तान इकॉनोमिक कोरिडोर) बनाया। लेकिन ग्वादर ऑपरेशनल होने के बावजूद भी सी-ट्रेड ट्रैफिक को खींचने में नाकाम साबित हो रहा है। जबकि ईऱान और भारत द्वारा मिलकर बनाये गये चाबहार पोर्ट में ट्रेड ट्रैफिक की बहार आयी हुई है। यहां तक की बेहतर कनेक्टिविटी होने के चलते पाकिस्तान के जरिये होने वाली ट्रेडिंग भी अब चाबहार पोर्ट के जरिये होने लगा है। ये विश्लेषण किसी भारत या यूरोपियन ट्रेडिंग एक्सपर्ट का नहीं है। बल्कि खुद पाकिस्तान के जाने माने डिफेंस और इकॉनोमी एक्सपर्ट ने इस पर चिंता जाहिर की है। शुक्रवार को इस्लामाबाद क्लब में Institute of Policy Reforms (IPR) ने एक सेमिनार आयोजित किया। जिसका मौजूं था “Crisis or Peace: Pakistan, India and Afghanistan”.
 
 
 
इसी सेमिनार में जाने माने पाकिस्तानी एक्सपर्ट अहमद रशीद ने चिंता जताते हुए कहा कि “दक्षिण एशिया में शांति पाकिस्तान की इकॉनोमी के लिए बेहद ज़रूरी है। क्योंकि एक तरफ ग्वादर में ट्रैफिक को खींचने में नाकाम रहा है। दूसरी तरफ चाबहार पोर्ट चालू हो चुका है, जिसने पाकिस्तान के जरिये होने वाली ट्रेडिंग को भी खींचना शुरू कर दिया है। अफगानिस्तान ने ट्रेडिंग चाबहार के जरिये करनी शुरू कर दी है, जोकि पहले पाकिस्तान के जरिये होती थी।” पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच ट्रेड पहले 5 बिलियन डॉलर की थी। जो अब घटकर 1.5 बिलियन डॉलर रह गयी है। यानि 70 फीसदी ट्रेड चाबहार पोर्ट ने खींच ली है।
 
 
 
 
 चाबहार और ग्वादर पोर्ट 
 
 
इस सेमिनार में पाकिस्तानी एक्सपर्ट्स ने पाकिस्तान को चेताया कि अगर पाकिस्तान में मौजूद नॉन स्टेट एक्टर्स (जैश-ए-मोहम्मद और जमात-उद-दावा जैसी तंजीम) भारत और पाकिस्तान के बीच शांति को खतरा पैदा करते रहे तो पाकिस्तान की इकॉनोमी को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। इसी बाबत पाकिस्तान की पूर्व कॉमर्स मिनिस्टर हुमांयू अख्तर खान ने कहा कि “पाकिस्तान को कोई आउट-ऑफ-द बॉक्स हल ढूंढना पड़ेगा ताकि शांति कायम की जा सके और अपनी इकॉनोमी को फायदा हो।”


चाबहार पोर्ट की शाम की तस्वीर