क्वेटा बम धमाके में 21 की मौत, 50 घायल: जानिए पाकिस्तान में क्यों है शिया हजारा फिर सुन्नी आतंकियों के निशाने पर
   12-अप्रैल-2019
 
 
पाकिस्तानियों में हिंदू और क्रिश्चियन की हालत सबके सामने हैं। लेकिन एक और माइनोरिटी कम्यूनिटी हमेशा पाकिस्तानी सुन्नी आतंकियों के निशाने पर रहती है, वो है क्वेटा शहर में बसी हजारा कम्यूनिटी। यहां कोई भी घर ऐसा नहीं है, जिसके घर से कोई न कोई सुन्नी आतंकी संगठन लश्कर-ए-झांगवी का शिकार बना हो। बलूचिस्तान के क्वेटा शहर के बाजार में आज सुबह फिर एक धमाका हुआ, जिसमें 21 लोगों की मौत हो गयी और 50 से ज्यादा घायल हो गये। मारे गये लोगों में 20 हजारा शिया समुदाय के थे, जबकि एक एफसी सुरक्षाकर्मी था।
 
 
 
 
धमाका हज़ारगंजी मार्केट में हुआ, सुबह करीब 8 बजे उस वक्त था, जब हजारा कम्यूनिटी के करीब 55 लोग सब्जी मार्केट में पुलिस प्रोटेक्शन के साथ एक ग्रुप में सब्जी लेने के लिए आये हुए थे। तब सुसाइड बॉम्बर ने हजारा खरीदारों के पास खुद बम से उड़ा दिया। शुरुआती जांच के बाद घटना का ब्यौरा देते पुलिस अधिकारी-
 
 
 

हजारा शिया पर सुन्नी आतंकी हमलों का लंबा इतिहास
पाकिस्तान में हजारा शिया सालों से नस्लवादी हमलों के शिकार रहे हैं। हज़ारा मध्य अफ़गानिस्तान में बसने वाला और दरी फ़ारसी की हज़ारगी उपभाषा बोलने वाला एक समुदाय है। यह लगभग सारे शिया इस्लाम को मानने वाले हैं। पाकिस्तान में भी करीब 10 लाख हजारा शिया लोगों की संख्या है जोकि क्वेटा शहर के आसपास ही रहते हैं। पाकिस्तान में अपनी अलग शक्लो-सूरत के चलते भी हजारा लोग अलग से पहचान में आते हैं। पाकिस्तान में शिया होने और अफगान-मंगोल समुदाय से होने के चलते ये लोग हमेशा पाकिस्तान के सुन्नी आतंकियों के शिकार बनते रहते हैं।
 
 
 
 
सबसे पहले शिया हजारा जनरल जिया उल हक के जमाने में सुन्नी आंतकियों का प्रभाव बढ़ा। इन्हीं सुन्नी संगठनों ने शिया हजारा लोगों के काफिर करार देना शुरू किया औऱ उन पर हमले शुरू हो गये।  उसके बाद पिछले 10 सालों से शिया हजारा लोगों पर हमलों की अचानक बाढ़-सी आ गयी। लश्कर-ए-झांगवी और अहले-सुन्नत वल जमात जैसे सुन्नी आतंकी संगठनों ने खुलेआम शिया हजारा के खिलाफ उकसाना शुरु किया और उनको बम धमाकों, टारगेट किलिंग के जरिये खत्म करने की मुहिम शुरू की।
 
 
 
 
 
पाकिस्तान के ह्यूमन राइट्स कमीशन के मुताबिक 2012 के बाद पाकिस्तान में 650 शिया हजारा को टारगेट किलिंग या बम धमाकों के जरिये मारा गया है। हालांकि शिया हजार समुदाय के मुताबिक ये आकंड़ा एक हजार से ऊपर है।
 
 
यहां गौर लायक बात ये है कि शिया हजारा लोगों पर हमले करने वाले मुख्य आरोपी लश्कर-ए-झांगवी के मुखिया रमजान मेंगल को तीन दिन पहले ही जेल से रिहा किया गया था। जोकि खुलेआम शिय़ा हजारा पर हमलों को कबूलता रहा है।
 
 
 
पाकिस्तान सरकार के लिए मुसीबत ये है कि लश्कर-ए-झांगवी जैसे संगठन वो आतंकी हैं, जिन्हें खुद आर्मी ने पाला है। जिनका इस्तेमाल अफगानिस्तान में किया जाना था, लेकिन अमेरिका की मौजूदगी में वहां से खदेड़े जाने के बाद अब वो खुद पाकिस्तान के लिए आत्मघाती बने हुए हैं। पाकिस्तानी आर्मी अभी भी इनके नेताओं को पैसा और ताकत मुहैया कराती है।
 
 
 
ऐसे में इमरान सरकार के सामने बड़ा सवाल खड़ा हो गया है, कि वो उन संगठनों पर कार्रवाई कैसै करे जोकि खुद आर्मी ने पाला हुआ है। जिसका नतीजा पाकिस्तान में लोगों के बीच रोष बढ़ता जा रहा है।